Wednesday, 6 May 2015
मेट्रो की फेयर फिक्सेशन कमिटी बेकार
मुंबई मेट्रो का बढ़ाया हुआ मनमानी टिकट का दाम ध्यान में रखते हुए गठित की गयी फेयर फिक्सेशन कमिटी बेकार साबित हुई है और अब इस कमिटी की मियाद दोबारा बढ़ाने के लिए सरकार को सुप्रीम कोर्ट में जाने की नौबत आन पड़ी हुई है।
मुंबई मेट्रो का काम पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशीप अंतर्गत हुआ है इसके बाद भी अनिल अंबानी की मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट कंपनी ने एग्रीमेंट का उल्लंघन कर फेयर बढ़ाने का काम किया है। ये मामला कोर्ट में जाते ही उसका लाभ मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट कंपनी को हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने फेयर फिक्सेशन कमिटी गठित कर 30 अप्रैल 2015 तक निर्णय लेने का आदेश दिया था। लेकिन केंद्र सरकार ने वैसी जलदता न दिखाते हुए उसकी ओर लापरवाही बरती और कमिटी को देरी से गठित किया। इसके चलते ही अब दोबारा कमिटी की मियाद बढ़ाने की नौबत आन पड़ी हुई है।
मुंबई मेट्रो के काम पर बराबर नजर रखनेवाले आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली का कहना है कि सरकार और मुंबई मेट्रो वन कंपनी के बीच अभद्र फिक्सिंग से समय पर निर्णय लिया नही गया है। पिछली काँग्रेस की सरकार ने 'मेट्रो एक्ट' लाकर मदत की और अबकी भाजपा सरकार ने भी जानबूझकर फेयर फिक्सेशन कमिटी का गठन देरी से कर अपरोक्ष तौर पर मुंबई मेट्रो वन प्राइवेट कंपनी को मदत ही की है, ऐसा आरोप अनिल गलगली ने लगाते हुए ये पुरे मामले को मुंबईकरों से धोखाधड़ी जैसा बताया है।
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