Wednesday, 6 May 2015

सलमान खान पर फैसला, जमानत और 'घरवापसी'

बुधवार, 7 मई 2015 का दिन शायद भारतीय न्यायव्यवस्था और पुलिस प्रशासन के लिए कई मायनों से महत्त्वपूर्ण और यादगार माना जाना चाहिए। 13 वर्ष पूर्व घटित हिट एंड रन केस मामले की सुनवाई होकर उसपर फैसला आना और उससे भी तीव्र यानी 4745 दिनों की गति से मुंबई हायकोर्ट में जमानत लेकर सिर्फ 3 घंटे में 'घरवापसी' शायद सलमान खान के ही नसीब में थी। सलमान खान फिल्मी पर्दो का हिरो है और 'मैंने प्यार किया' से से लेकर 'दबंग' तक का इसका मासूम और बाद में एंग्री मैन तक बदलता चेहरा आज भी लाखों के दिलों की धड़कन है। सलमान बॉलीवुड के तमाम खान बंधुओं की तुलना में अधिक लोकप्रिय और चर्चित अभिनेता है। फिल्मी दुनिया के बाहर भी इनकी 'दुनियादारी' चलती भी है और कई बार विवाद का कारण भी बन चुकी है। परिवार से लेकर बॉलीवुड और सड़क से लेकर पॉश इलाके में सलमान का अस्तिव सबको आकर्षित करने का माद्दा रखता है। आप कितने भी अच्छे कर्म करो लेकिन एक छोटीसी गलती उसपर पानी फेरने के लिए समंदर का काम करती है। सलमान के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ और एक कार एक्सीडेंट के बाद हिरो से विलेन बन गए। 'हिट एंड रन' केस मामले में सलमान खान इतनी बार मीडिया में खबरों की सुर्खिया बन गए है कि अमिताभ बच्चन जैसे गुजरात के ब्रांड अम्बेसडर है ठीक उसीतरह आगामी काल में जब भी 'हिट एंड रन' मामले से बचने के लिए सावधानियां बरतने के लिए सरकार, ट्रैफिक पुलिस किसी भी तरह का विज्ञापन जारी करती है तो उसके लिए अमिताभ जैसे महान और अनुभवी हस्तियों की तलाश करने की नौबत नही आएंगी क्योंकि हम हमारे पास अच्छा खासा अनुभव और उससे जुड़ा एक जिम्मेदार अभिनेता के तौर पर सलमान खान जो मौजूद है। भारतीय न्यायव्यवस्था और पेंडिंग केस की संख्या आज भी 10 वर्षों की प्रतिक्षा करने के लिए हर एक पीड़ित को इंतजार करने के लिए मजबूर करती है। लेकिन जब सलमान खान केस मामले में 'झटपट' सुनवाई, फैसला,जमानत और 'घरवापसी' से 'अंधा कानून' फ़िल्म की याद जरुर आती है। इस फैसले को लेकर सोशल साईट पर भारी ट्रैफिक जाम थी। मेगा ब्लाक के बाद भी आम भारतीय जनता अपना ज्ञानचक्षु खोले ऐसा कुछ देखने की चेष्ठा में मशगूल थे ताकि हर व्यक्ती का केस सलमान खान की तर्ज पर तालिम हो और उनकी भी झटपट 'घरवापसी' हो सके। हम न्यायव्यवस्था पर टिप्पणी नही कर रहे है ना फैसले को लेकर किसी भी तरह का तीलमात्र भी संदेह करने की किंचित भी प्रयास कर रहे है। सेशन कोर्ट में फैसला आते ही रो पड़ा सलमान और उसका परिवार इस तरह की बिकट स्थिती में लाचार हो जाता है। मगर किसी ईश्वरीय शक्ती की तरह दिल्ली से मुंबई देवदूत की तरह प्रकट हुए अधिवक्ता हरीश साल्वे ने आते ही बम्पर ड्रा निकाला और सलमान खान को आननफानन में जमानत मिली। जमानत का आदेश वाली कॉपी जबतक सेशन कोर्ट में पेश नही होती है तबतक सजा सुनाए गए आरोपियों को न छोड़ने का नियम है। लेकिन कोर्ट ने 4.30 के बजाय 4.45 तक हायकोर्ट की जमानत दर्शानेवाली कॉपी देने का आदेश दिया था। कोर्ट में बिना दस्तावेज और प्रक्रिया पूर्ण किए बिना सुनवाई होना संभव नही है। मगर सेशन कोर्ट के आदेश की सर्टिफाईड कॉपी पेश किए बिना हायकोर्ट में सुनवाई हुई और सलमान को जमानत भी सशर्त मिली। हायकोर्ट का आदेश देखे बिना सेशन कोर्ट से रिहाई संभव नही थी लेकिन सलमान के लिए नियम तोड़े गए और कॉपी आने तक का लंबा इंतजार किया गया ताकि सलमान की सूर्यास्त के ठीक पहले 'घरवापसी' हो सके। आज भी मेरे जैसे करोड़ों लोगों का भारतीय न्यायव्यवस्था पर शत प्रतिशत विश्वास है। क्या, ऐसी झटपट व्यवस्था हर एक मामले में देखने के लिए मिल पाएगी ? सलमान की तर्ज पर देश की निचली से लेकर ऊपरी अदालते चल पड़ेगी तो कोई भी न्यायव्यवस्था की लेटलतीफी के विवश में दम नही तोड़ेगा।

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