Monday, 8 June 2015
मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के हाथों से खिसक सकती है बीकेसी की जमीन
मुंबई की सबसे महंगी बीकेसी में 13 एकड का भूखंड एमएमआरडीए प्रशासन ने रियायत शुल्क लेकर शैक्षणिक काम के लिए मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन को दिया लेकिन उसका व्यावसायिक इस्तेमाल होने से एमएमआरडीए ने नोटिस देने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को एमएमआरडीए प्रशासन ने दी है। एक हजार करोड का घपला होने का आरोप कर आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने भूखंड वापस लेकर एक हजार करोड वसूल करने के अलावा मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन और मेसर्स शिर्के पर कारवाई करने की मांग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से की है। हाल ही में मुंबई हाईकोर्ट ने सिडको को झटका देते हुए टेंडर निकाले बिना एक निजी विकासक को दिया भूखंड वापस लेने का आदेश दिया है और अब उसी तरह का मामला मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन का होने से भाजपा की सरकार क्या कारवाई करेगी, इसपर सब का नजर है।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन को दिए हुए भूखंड की जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए ने दिनांक 05.03.2004 को मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन को 80 वर्ष की लीज पर 52,157 वर्ग मीटर का भूखंड दिया जिसपर शुल्क 2,65,98,202 इतनी रकम ली गई। उसमें से 46,941 वर्ग मीटर खुला मैदान जमीन का इस्तेमाल 3 प्रकार का होगा.10 प्रतिशत जमिन पर 15 प्रतिशत कंस्ट्रक्शन, 23 प्रतिशत जमीन तालाब,टेनिस कोर्ट, नेट्स और अन्य इस्तेमाल और 67 प्रतिशत जमीन सार्वजनिक अनुशासितबद्ध इस्तेमाल के लिए ओपन रखने के अलावा इनडोअर क्रिकेट अकादमी में पुरे महाराष्ट्र के छात्रों को प्रवेश खुला रखे। यह भूखंड व्यावसायिक प्रयोजनार्थ न इस्तेमाल करने की मुख्य शर्त का उल्लंघन कर मुंबई क्रिकेट एसोसिएशनने मेसर्स शिर्के के साथ व्यावसायिक एग्रीमेंट किया। शिर्के इन्फ्रा स्ट्रक्चर के साथ किया एग्रीमेंट और व्यावसायिक प्रयोजन के मद्देनजर '3 महीने के भीतर योग्य कदम उठाए या लीज एग्रीमेंट निरस्त करेगे' ऐसी नोटीस एमएमआरडीए ने दिनांक 02.06.2015 को मुंबई क्रिकेट एसोसिएशनला को जारी कर दी है।
एमएमआरडीए ने मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन को भूखंड देते वक्त सरकारी नियम, भूखंड वितरण की एमएमआरडीए की नीति और सरकारी निर्णय का उल्लंघन कर मनोरंजन मैदान के लिए आरक्षित भूखंड मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन को एकतरह से गिफ्ट ही दिया। क्योंकि स्वयं सरकार ने प्रायवेट संस्था की भूखंड, गार्डन देने पर दिनांक 15.05.2000 को रोक लगाई थी। एमएमआरडीए की नीतियों के तहत मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन को भूखंड वितरित करने की मांग विचारार्थ नही ली जा सकती है, ऐसी जानकारी अनिल गलगली को उपलब्ध कराए दस्तावेजों के आधार पर सामने आ रही है। टेंडर दिए बिना मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन को भूखंड देने से एमएमआरडीए को रु 13.95 करोड़ का घाटा होने का जिक्र ऑडिट रिपोर्ट में है।
एमएमआरडीए की नींद भले ही देरी से खुली लेकिन आयकर विभाग ने मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन की व्यावसायिक कार्यशैली को भांपकर आयकर में दी जानेवाली रियायत को रद्द किया। इस मामले में एसोसिएशन ने सर्वोच्च न्यायालय में दस्तक भी दी लेकिन उन्हें वहां से कोई भी राहत नहीं मिली और आयकर अदा किया। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली एमएमआरडीए प्रशासन कानूनन सलाह लेने के नाम पर 6 महीने से मेसर्स कांगा एंड कंपनी से पत्राचार करती रही है। सरकारी लीगल विभाग किसी काम का न होने का बर्ताव कर एमएमआरडीए ने समय की बर्बादी कर मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन से भूखंड कब्जे में लेने के मामले से भागने की कोशिश करने का आरोप अनिल गलगली ने किया है. क्रिकेट यह खेल अब शैक्षणिक कैसे और कब से हुआ है? यह बात भी जांच का विषय है।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय और एमएमआरडीए के महानगर आयुक्त यूपीएस मदान से भूखंड वापस लेते हुए एक हजार करोड वसूल करने तथा मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन और मेसर्स शिर्के पर कारवाई करने की मांग की है।
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Aap ko Kya Lagta Hai kee kya Aisa ho sakta hai..? Anil G
ReplyDeleteBhaskar Mishr
9619534401