Thursday, 18 June 2015

सरकारी निवासस्थान कब्जा करनेवाले की राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण में नियुक्ती

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के मातहत में गृह विभाग ने पूर्व रिटायर्ड पुलिस अफसर प्रेमकृष्ण जैन (पी के जैन ) को राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण में नियुक्त किया है जिन पर मार्च 2015 तक लगातार 13 महीने से सरकारी निवास न छोड़ने पर करीब 12 लाख रुपए बकाया होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सरकार ने दी है। नई नियुक्ती को आधार बनाकर पीके जैन ने नया निवासस्थान देने की मांग का प्रस्ताव सरकार ने खारिज किया है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र सरकार से अपर पुलिस महानिदेशक प्रेमकृष्ण जैन (पी के जैन ) को जारी की हुई नोटीस और बकाया रकम की जानकारी मांगी थी। महाराष्ट्र सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने अनिल गलगली को सभी दस्तावेज की कॉपी दी है। इन दस्तावेजों से ये बात सामने आई है कि चर्चगेट स्थित 'यशोधन-31' ये सरकारी निवासस्थान पीके जैन को दिया गया था। जैन 28 फरवरी 2014 को रिटायर्ड तो हुए लेकिन  सरकारी निवासस्थानाचा खाली किए बिना ही कब्जा जमाए हुए है। दिनांक 7 मार्च 2015 को सार्वजनिक निर्माण  विभाग के कार्यकारी अभियंता, इलाखा शहर विभाग ने 11 लाख 50 हजार 812 इतनी रकम बकाया बताते हुए 7 दिन में निवासस्थान खाली करने को कहा था। ये सच्चाई होते हुए गृह विभाग ने ऐसे डिफाल्टर व्यक्ती को 25 मई 2015 को 'राज्य पुलिस शिकायत प्राधिकरण' में सदस्य के तौर पर नियुक्त किया है। सरकारी नियुक्ती का गैरलाभ लेते हुए पीके जैन ने 28 मई 2015 को सरकार को पत्र लिखकर निवासस्थान को खाली करने के बजाय फ्लैट क्रमांक 10 या 18 देने की मांग की जिसे अतिरिक्त मुख्य सचिव ने ख़ारिज किया और 12 जून 2015 को निवासस्थान को फटाफट खाली करने को कहा है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के मातहत में  सामान्य प्रशासन विभाग और गृह विभाग अलग अलग निर्णय लेकर आंख मूंदने जैसा काम कर रहा है अन्यथा ऐसे महत्त्वपूर्ण पद पर नियुक्ती करने के पहले संबंधितों का पूर्व इतिहास जांचने की सतर्कता को नजरअंदाज किया गया हैं। सरकारी निवासस्थान नियमों के अनुसार खाली न करनेवालों पर कारवाई करने जे बजाय फडणवीस सरकार ऐसे व्यक्ती को पुरस्कृत करने पर अनिल गलगली ने जताई है। # बकायेदार मजे में गत वर्ष भी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को ऐसे ही अधिकारियों की जानकारी दी गई थी जिन्होंने सेवानिवृत्त होने के बाद भी सरकारी निवासस्थान खाली नहीं कर रहे है और आणि लाखों रुपए का बिल बकाया रखकर मजे में रहे है उनमें के एल बिश्नोई( 6,43,451), वेंकटेश भट ( 4,88,071), वाय पी सिंह (8,01,448), दिलीप जाधव (6,40,585), वी एम लाल ( 3,08,972) , प्रकाशर पवार (2,07,982), प्रकाश वाणी (1,97,756), बी जे तराले ( 1,22,865) ऐसे नाम है।

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