Tuesday 3 March 2020

एक शिकायत के बाद मनपा का जल विभाग के बचे 31करोड़

जिस काम को वर्ष 2018 में मुंबई महानगरपालिका प्रशासन द्वारा रद्द कर दिया गया था, उसी काम के लिए मुंबई महानगरपालिका प्रशासन ने ठेके में 250 प्रतिशत की वृद्धि की और उसी ठेकेदार को 44 करोड़ काम का आबंटित किया था। मुंबई नगरपालिका प्रशासन ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली की शिकायत के बाद निविदाओं की जांच शुरु की और काम रद्द होने से मनपा का 31 करोड़ बच गए।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई महानगरपालिका के जल उपअभियंता( प्रचलन) ने बताया कि ठेका तकनीकी कारणों से रद्द किया गया हैं और इस काम के लिए किसी भी कंपनी को कार्यादेश नहीं दिया गया। इस बारे में जानकारी हैं कि एपीआई सिविल कंपनी को मुंबई महानगरपालिका प्रशासन द्वारा मार्च 2018 को जारी किए गए टेंडर में सीवॉल के एपॉक्सी पैटिंग का काम मिला था । इस कार्य की राशि 2.60 करोड़ थी। लेकिन मुंबई महानगरपालिका प्रशासन ने काम रद्द कर दिया। इसके बाद उसी काम में कुछ नए कामों को जोड़ते हुए, मुंबई महानगरपालिका प्रशासन ने सितंबर 2019 को 44.81 करोड़ का नया टेंडर जारी किया, जिसका ठेका फिर से पहले वाला ठेकेदार एपीआई सिविल कंपनी प्राप्त हुआ। इसमें नए काम जैसे कोटिंग करना, जल वाहिनी साफ ​​करना शामिल था। केवल 18 महीनों में, पिछली दर और नई दर में 250% की वृद्धि हुई। पिछली दर और नई दर की तुलना करते हुए, अनिल गलगली ने मुंबई के महानगरपालिका आयुक्त प्रवीण सिंह परदेशी और अतिरिक्त आयुक्त प्रवीण दराडे से शिकायत की है कि मुंबई महानगरपालिका प्रशासन को 31 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।


कुल 185 रुपए के बजाय, अब काम की लागत में 463 रुपए की वृद्धि हुई है और कुल लागत 648 रुपए है। इस पर मुंबई महानगर पालिका प्रशासन को 31 करोड़ रुपए की अतिरिक्त चपत लगेगी। अनिल गलगली की मांग के बाद मुंबई मनपा प्रशासन ने मुख्य अभियंता, सतर्कता को मामले की जांच करने का निर्देश दिया था और टेंडर रद्द करने का ठोस निर्णय मुंबई मनपा आयुक्त प्रवीणसिंह परदेशी ने लिया।

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