मुंबई विद्यापीठ के गरवारे पत्रकारिता शिक्षण संस्थान में ‘आरटीआई और पत्रकारिता’ विषय पर परिसंवाद का आयोजन किया गया। संचार-संवाद श्रृंखला के तहत आयोजित इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल गलगली ने परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए बताया कि २००५ में प्राप्त ‘सूचना का अधिकार’ अधिनियम आजादी के बाद जनता को दी गई सबसे बड़ी ताकत है। इसके प्रभाव से सरकारी कार्यालयों के दरवाजे आम लोगों के लिए खुल गए हैं और सरकार जनता के प्रति जवाबदेह हो गई है।
अनिल गलगली ने बताया कि केंद्र और राज्य सरकारों ने आरटीआई के लिए अलग-अलग विभाग बनाए हैं जो आवेदक को वांछित जानकारी उपलब्ध कराने के लिए बाध्य हैं। आरटीआई द्वारा कई सनसनीखेज खुलासे कर चुके अनिल गलगली ने छात्रों के प्रश्न का जवाब देते हुए यह भी स्पष्ट किया कि यह कानून मात्र सूचना प्राप्त करने का अधिकार देता है, कार्रवाई का नहीं।
हिंदी पत्रकारिता विभाग के समन्वयक सरोज त्रिपाठी ने अनिल गलगली की बात को और स्पष्ट करते हुए बताया कि सरकारें इस कानून को अपाहिज बना देना चाहती हैं। वरिष्ठ पत्रकार सैयद सलमान ने पत्रकारिता और आरटीआई को एक दूसरे का पूरक बताया। राजदेव यादव ने सरकारी दफ्तरों में आरटीआई के दुरूपयोग पर चिंता व्यक्त की।
कार्यक्रम के द्वितीय सत्र में 'वसंतोत्सव' के अंतर्गत काव्य पाठ का आयोजन किया गया जिसमें अतिथियों सहित पत्रकारिता के छात्रों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। छात्रों ने केदारनाथ अग्रवाल, जयशंकर प्रसाद, नजीर अकबराबादी और सेनापति जैसे प्रसिद्ध कवियों की वसंत और फागुन पर रचित कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन विनय सिंह ने और आभार प्रदर्शन पुरुषोत्तम कनौजिया ने किया। अफसाना कुरैशी, सुनील सावंत, प्रिंस तिवारी, धीरज गिरी और अनिरुद्ध तिवारी सहित अन्य छात्रों का कार्यक्रम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा।
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