आरटीआई कार्यकर्ताओं और प्रख्यात वकीलों के प्रतिनिधिमंडल ने महाराष्ट्र में आरटीआई अधिनियम के बेहतर कार्यान्वयन के लिए मुख्य राज्य सूचना आयुक्त सुमित मलिक को अपनी मांगों का एक ज्ञापन सौंपा है। इस प्रतिनिधिमंडल में आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली के साथ दिलीप धूमसकर (सेवानिवृत्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट), एड नसीर जहाँगीरदार और आरटीआई कार्यकर्ता - जीआर वोरा और क्लैरेंस पिंटो उपस्थित थे।
इस ज्ञापन में विशेष रूप से आरटीआई अधिनियम को मजबूत बनाने के लिए कुछ मांगों को कार्यान्वित करने का आग्रह किया गया। सूचना आयुक्तों के ढीले रवैये के कारण सार्वजनिक सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय प्राधिकारी को आरटीआई अधिनियम के तहत जानकारी प्राप्त करने वाले नागरिकों को सूचना देने में लापरवाही बरत रहे हैं।
सार्वजनिक सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय प्राधिकारी इस अधिनियम के प्रावधानों का पालन नहीं करते हैं और यहां तक कि देर से अवैध निर्माणों, अनुबंधों, भ्रष्टाचार आदि की जानकारी से इनकार करते हैं, यह देखा गया है कि यहां तक कि सार्वजनिक सूचना अधिकारी और प्रथम अपीलीय प्राधिकारी को आरटीआई आवेदकों को धमकी देते हैं और उन पर हमला करते हैं जो भ्रष्टाचार की जानकारी को उजागर करना चाहते हैं।
शासन के मामलों में इस गैर-पारदर्शिता से कानून के उल्लंघन, शक्ति का दुरुपयोग, मानदंडों को दरकिनार करने और इस तरह गलत व्यवहार करने के लिए आदी हो गई हैं। आम नागरिकों के लिए सूचना का अधिकार यह सूचना की लड़ाई बन गई है। इसलिए सुधारात्मक उपाय, जिसे मुख्य सूचना आयुक्त द्वारा अमल में लाने की आवश्यकता है, उसे इस प्रतिनिधिमंडल द्वारा सौंप दिया गया।
माननीय सर्वोच्च न्यायालय की व्याख्या के अनुसार अधिनियम की धारा 18 और धारा 19 के कार्यान्वयन की आवश्यकता पर बल दिया गया है और कहा गया है कि सिर्फ दंडात्मक कारवाई के अलावा सूचना का कोई आदेश धारा 18 के तहत जारी नहीं किया जा सकता है। प्रथम और द्वितीय अपील का पालन किए बिना धारा 18 के तहत शिकायतों को सीधे खारिज करने की प्रथा को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने सिविल एप्लीकेशन नंबर 10787 और 10788 में 2011 के तहत खारिज किया गया हैं। इस कानून की धारा 18 के तहत दंडात्मक कारवाई का अधिकार का प्रदान किया गया। प्रतिनिधिमंडल ने आवेदकों को सम्मान और सहानुभूति के साथ व्यवहार करने पर भी जोर दिया।
सूचना आयोग द्वारा माननीय सर्वोच्च न्यायालय की व्याख्याओं का पालन करने और अपने पत्र और भावना में अधिनियम का प्रशासन करने का वादा करने के साथ एक उपयोगी चर्चा थी। श्री मलिक ने आश्वासन दिया कि वह अपने स्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेंगे और महाराष्ट्र सरकार को आवश्यक निर्देश जारी करेंगे।
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