Monday, 24 August 2015

मिठी नदी विकास को पीठ दिखाते मुख्यमंत्री

मुंबई में 26 जुलाई 2005 की तूफानी बारिश ने मुंबईकरों की नींद जिस मिठी नदी से उड़ाई थी उस पर उपाययोजना के तौर पर राज्य सरकार ने मिठी नदी विकास व संरक्षण प्राधिकरण का गठन किया था। मुख्यमंत्री जैसा तगडा अध्यक्ष होते हुए भी मिठी नदी नमकीली होने के पीछे मुख्यमंत्री अनास्था सामने आई है जिन्होंने गत 5 वर्ष से एक भी बैठक न लेने का सनसनीखेज कबूलनामा मिठी नदी विकास व संरक्षण प्राधिकरण ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली से किया है। पिछले 10 वर्ष से मीठी नदी का धीमी गती से चलनेवाला विकास काम और अन्य कामों को लेकर एमएमआरडीए और मनपा प्रशासन से फॉलो अप करनेवाले अथक सेवा संघ के अध्यक्ष और आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मिठी नदी विकास व संरक्षण प्राधिकरण से वर्ष 2005 से आज तक हुई बैठक की जानकारी मांगी थी। प्राधिकरण के उप नियोजक और जन सूचना अधिकारी शिवराज पवार ने अनिल गलगली को बताया कि मिठी नदी विकास व संरक्षण प्राधिकरण का गठन दिनांक 19 अगस्त 2005 को किया गया और मुख्यमंत्री ये प्राधिकरण के अध्यक्ष हैं। गत 10 वर्षों में प्राधिकरण की कुल 6 बैठक हुई है। वर्ष 2005 में 2 वहीँ वर्ष 2006 में 1, वर्ष 2007 में 1, वर्ष 2008 में 1 और वर्ष 2010 में 1 बैठक हुई हैं। गत 5 वर्ष में मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण, पृथ्वीराज चव्हाण और वर्तमान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक भी बैठक नही ली है। इसके अलावा मुख्य सचिव अध्यक्षावाली मिठी नदी विकास व संरक्षण प्राधिकरण की शक्ती प्रदत्त समिती की 11 बैठक होने से उसका आलेख तकरीबन डबल है। इसमें वर्ष 2005 में 1 और वर्ष 2012 में 1 बैठक हुई है। वर्ष 2006 में 2 और वर्ष 2008 में 2 वहीँ सर्वाधिक 5 बैठक वर्ष 2013 में हुई है। मुख्य सचिव सहारिया और स्वाधीन क्षत्रिय ने भी मुख्यमंत्री के पदचिन्हों पर चलते हुए शायद बैठक न लेने की प्रतिज्ञा लेने की बात दिख रही हैं। मुख्य सचिव ने वर्ष से कितनी बैठक लेना अनिवार्य है, ये पूछने पर गलगली को बताया कि ऐसा कोई भी जिक्र सरकारी निर्णय में नहीँ है। कुल 17.8 किलोमीटर वाली मिठी नदी में मनपा के अंतर्गत विहार तलाव से सीएसटी पूल दौरान 11.8 किलोमीटर और एमएमआरडीए के पास सीएसटी पूल से माहिम कॉजवे ऐसा 6 किलोमीटर तथा वाकोला नाले का हिस्सा आता है।मीठी नदी के प्रकोप के बाद महाराष्ट्र सरकार ने मीठी नदी क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण की स्थापना कर उसकी साफसफाई और विकास काम की जिम्मेदारी एमएमआरडीए और मनपा प्रशासन पर सौंपी है। मुख्यमंत्री के अनास्था से 1200 करोड़ खर्च करने के बाद मिठी नदी का काम संतोषजनक नही होने की टिपण्णी अनिल गलगली ने करते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से बैठक लेकर अबतक हुए काम का जायजा लेने की मांग की हैं। मुख्य सचिव मिठी नदी को सरकारी शक्ती प्रदान क्यों नही करती है? ऐसा सवाल अनिल गलगली ने करते हुए राज्य दरबार में मिठी नदी की  होनेवाली उपेक्षा को रोकने की अपील मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से की है।

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