Tuesday, 18 August 2015

सरकारी पदों पर नियुक्ती के लिए नागपूर पर मेहरबान मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री हमेशा अपने जिला को अधिकाधिक मजबूत करने के लिए प्रयास कर उसका विकास काम करने के लिए सोचता है। 'अंधा बांटे रेवडी अपने को ही दे' ये कहावत नए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर इसलिए फिट बैठ रही है क्योंकि वे नागपूर पर मेहरबान है जबकि नागपूर की तुलना में अमरावती, कोकण, पुणे और नासिक में रिक्त पदों का प्रतिशत अधिक होते हुए भी सरल सेवा और प्रमोशन से नियुक्ती के लिए नागपूर/अमरावती/ औरंगाबाद/नासिक ऐसा अग्रक्रम निश्चित करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को महाराष्ट्र सरकार ने दी है। इस नए चक्राकार रिवाज से कोकण और पुणे को हमेशा के लिए नई सरकार ने उपेक्षा किया है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र सरकार से सरल सेवा और प्रमोशन से नियुक्ती के लिए जारी की अधिसूचना और चक्राकार रिवाज की जानकारी मांगी थी। सामान्य प्रशासन विभाग के अवर सचिव और जन सूचना अधिकारी ए.का.गागरे ने अनिल गलगली को बताया कि सरकार ने 28 अप्रैल 2015 को महाराष्ट्र शासकीय गट अ एवमं गट ब(राजपत्रित व अराजपत्रित) पदों पर सरल सेवा एवमं प्रमोशन से राजस्व विभाग वितरण नियम,2015 को अमल में लाने के लिये परिपत्रक जारी किया था।ये सरकारी फैसला लेने के पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के दिनांक 3 मार्च 2015 के आदेश के बाद विभागीय संरचना व विभागीय संवर्ग वितरण की नियमावली-2010 में बदलाव करने का प्रस्ताव पेश किया तब वर्ष 2014 की आखिर में राज्य के कुल रिक्त पदों का प्रतिशत 13.79 था जिसमें सर्वाधिक रिक्त पद अमरावती विभाग से थी और उसका प्रतिशत 16.61 था। उसके बाद कोकण 15.30, पुणे 14.18, नासिक 13.18, नागपूर 12.26 और औरंगाबाद 11.14 ऐसा प्रतिशत था। ये सच्चाई होते हुए मुख्यमंत्री नागपूर पर मेहरबान हुए। सरकारी अधिसूचना के अंतर्गत गट अ व गट ब पदों पर सरल सेवा और प्रमोशन से नियुक्ती के लिए नागपूर, अमरावती, औरंगाबाद और नासिक इस क्रम के अनुसार चक्राकार रिवाज से राजस्व विभाग वितरित किया जाएगा। विशेष यानी इस अधिसूचना में विधवा और परित्यक्त्या को छोड़कर अन्य महिलाओं को स्थान न देकर अन्याय किया गया हैं। इस नए अधिसूचना को बढ़ते विरोध के बाद मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय ने 21 मई 2015 को राज्य के 11 विभिन्न संगठन के पदाधिकारियों की बैठक लेकर उन्हें पटाने की कोशिश भी की थी। सरल सेवा और प्रमोशन से नियुक्ती के लिए दिनांक 8 जून 2010 की नियमावली रद्द कर नए नियमावली को मंत्रिमंडल ने 9 अप्रैल 2015 को मान्यता दी लेकिन नई नियमावली लॉ के नजरिए से जायज होने का अभिप्राय बाद में लिया गया। उसके बाद दिनांक 16 जून 2015 को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में कुछ बदलाव कर जिसमें पती-पत्नी एकत्रीकरण और सेवानिवृत्ती को 3 वर्ष शेष होनेवालों को अधिसूचना के बाहर रखा गया। अधिसूचना को अमल लाने से पुलिस विभाग और विक्रीकर विभाग के अधिकारियों के लिए 1 वर्ष तक स्थगन दिया गया। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली का कहना है कि आज संपूर्ण राज्य में बड़े पैमाने पर रिक्त पदों की संख्या होते हुए इसतरह कुछ विभाग पर मुख्यमंत्री द्वारा मेहरबानी रखना गलत है। जहां पर अधिक रिक्त पद वहां पर नियुक्ती ये सिंपल और सरल गणित होते हुए नागपूर से अधिक पद रिक्त वाले कोकण और पुणे पर ये एकतरह से अन्याय ही है, ऐसा अनिल गलगली में कहते हुए राज्य के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय को पत्र लिखकर समान न्याय की मांग की है। # 1,30,251 पद है रिक्त महाराष्ट्र के नागपूर, अमरावती, औरंगाबाद, कोकण, नासिक और पुणे ऐसे 6 विभाग में कुल 1,30,251 पद रिक्त हैं। मंजूर पद 9,44,713 है और सिर्फ 8,14,462 पदों पर अधिकारी और कर्मचारी कार्यरत हैं। सर्वाधिक किल्लत कोकण विभाग में है जहां पर 32,703 पद रिक्त है। उसके बाद 27,040 पुणे, 18,400 अमरावती, 18,300 नासिक, 18,256 औरंगाबाद और आखिर में 15,552 नागपूर ये आंकडे होते हुए मुख्यमंत्री नागपूर पर ही क्यों मेहरबान है ? इसपर अनिल गलगली अचरज जता रहे हैं।

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