Monday, 31 August 2015

2 वर्षों में 298 में से सिर्फ एक ही नए महाविद्यालय को सरकारी मंजूरी

शिक्षा की पंढरी समझने जाने वाले  महाराष्ट्र में नए महाविद्यालय को अनुमति देने पर रोक होने से गत 2 वर्षों में 298 में से सिर्फ एक नए महाविद्यालय को सरकारी मंजूरी देने की जानकारी उच्च व तंत्र शिक्षा विभाग ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दी हैं। सरकार ने सिर्फ 15.50 प्रतिशत महाविद्यालय को एलओआय ( उद्देश्य पत्र) जारी करने के बावजूद असल में एक भी नए महाविद्यालय को शुरु नही किया गया हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने उच्च व तंत्र शिक्षा विभाग से नए महाविद्यालय और अतिरिक्त डिवीज़न की जानकारी मांगी थी। उच्च व तंत्र शिक्षा विभाग के कार्यासन अधिकारी और जन सूचना अधिकारी रणजीत अहिरे ने अनिल गलगली को बताया कि नए महाविद्यालय का शैक्षणिक वर्ष 2014-15 के लिए कुल 130 प्रस्ताव प्राप्त हुए थे। 130 प्रस्ताव में से सिर्फ एक ही प्रस्ताव को मान्यता दी गई है। जलगाव विद्यापीठ मान्यता प्राप्त हैं। उसके बाद शेष 130 प्रस्ताव में से 46 प्रस्तावों को एलओआय ( उद्देश्य पत्र) दिया गया हैं। श्री अहिरे ने आगे और जानकारी देते हुए बताया कि शैक्षणिक वर्ष 2015-16 के लिए कुल168 नए महाविद्यालय के प्रस्ताव सरकार को प्राप्त हुए थे। लेकिन सरकार ने शैक्षणिक वर्ष 2015-16 के लिए एक भी नए महाविद्यालय को मंजूर न करने का फैसला लिया है। इसी के चलते सभी प्रस्ताव विद्यापीठ के पास बेरंग लौटाएं गए हैं। नए महाविद्यालय के लिए सर्वाधिक आवेदन औरंगाबाद से प्राप्त हुए है।कुल 16 आवेदन औरंगाबाद से है और उसके बाद 11 बुलढाणा,  9 पुणे, 9 यवतमाल , 8 नाशिक, 7 चंद्रपुर, 7 अकोला, 6 मुंबई, 5 हिंगोली, 5 सोलापूर, 5 अमरावती, 4 परभणी, 4 गडचिरोली, 3 नागपूर, 3 लातूर, 3 जळगाव, 3 नंदुरबार, 3 उस्मानाबाद, 2 सातारा, 2 अहमदनगर, 2 नांदेड, 2 धुळे, 2 कोल्हापूर, 2 ठाणे, 2 बीड,  1 रायगड, 1 वसई,1 रत्नागिरी, 1 बारामती और 1 सांगली ऐसा क्रम हैं। अनिल गलगली के अनुसार इसतरह एक भी नए महाविद्यालय को मंजूरी न देने का सरकार का फैसला योग्य नही हैं। आज महाराष्ट्र में शिक्षा क्षेत्र में कुछ लोगों का वर्चस्व है और इसतरह का सरकार का  मुगलाई फैसला उनके लिए बढ़ावा देने जैसा ही हैं। नए महाविद्यालय को मंजूरी देने पर निश्चित तौर पर महाविद्यालयीन प्रवेश का नया नया मौक़ा बड़े पैमाने पर उपलब्ध होगा, ऐसा अनिल गलगली का कहना हैं।

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