पहचान संस्था ने शनिवार की शाम को 8 बजे से रविवार की सुबह 5 बजे तक सें फोर्ट स्थित क्रास मैदान में वर्ल्ड के बिग स्लीप आउट मनाया. 7 दिसंबर 2019 को दुनिया भर के 50 से अधिक शहरों के साथ भारत में 26 शहरों में एक साथ हुआ, बिग स्लीप आउट को लंदन में ट्राफलगर स्क्वायर, विल स्मिथ में टाइम्स स्क्वॉयर, न्यूयॉर्क में डेम हेलेन मिरेन और शिकागो में इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल होमलेसनेस (IGH) द्वारा समर्थित है.
पहचान संस्था व महाराष्ट्र राज्य निवारा समिति के सदस्य ब्रिजेश आर्य ने कहा कि बेघर लोगों आज भी आपने पहचान से वंचित है. पहचान- पत्र न होने के बजह से वह बुनियादी सेवाओं और अधिकारों से वंचित है यह बहुत चिंताजनक है। बेघर लोग खुद को नागरिकों के रूप में पहचान पाने के लिए संघर्ष करते है क्योंकि उनमें से अधिकांश कानूनी पहचान प्रमाणों की कमी है उन्होंने बतया की सुप्रीम कोर्ट के आदेश के वजह इस परिस्थिति में बदलाव आ रहा है. कई सामाजिक संस्थाए बेघर लोगों को उनका अधिकार दिलाने के लिए काम कर रही है.
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा की
बेघर लोगों के मुद्दे से निपटने के लिए सरकार की ओर से बहुत ध्यान देने की आवश्यकता है. बेघर महिलाओं की स्थिति अधिक भयावह है क्योंकि उन्हें खुले में और आश्रयों में सोते समय भी मानसिक, शारीरिक और उत्पीड़न के विभिन्न स्तरों से गुजरना पड़ता है. गलगली ने आगे कहा की अभी हाल ही में मुंबई महानगर पालिका के कमिशनर प्रवीणसिंह परदेशी से मुलाकात करके बेघर लोगों की समस्या को बताया था. मुंबई महानगर पालिका कमिश्नर ने आश्वासन दिया था कि जल्दी बेघर लोगों के शेल्टर होम बनेगा. टीस के महेश कांबले ने कैसे बेघरों को न्याय मिले, इसपर अपनी बात रखी.
लीना पाटिल ने कहा की सुप्रीम कोर्ट के आदेश बाद भी मुंबई सिर्फ 7 शेल्टर होम जबकि मुंबई में 125 शेल्टर की जरूरत है अभी मुंबई वयस्क पुरुषो/ महिलाओ/ ट्रांसजेंडर के लिए एक भी शेल्टर होम नहीं है. इस मौके पर ट्रान्सजेंडर विकी पाटिल ने अपनी बात रखते हुए कहा कि ट्रान्सजेंडर को न्याय देने की जरूरत है.
मुंबई में होने स्लीप आउट को समाज के हर वर्ग का समर्थन रहा है. इस अवसर पर नंदिका कुमारी ,अभिनव , संदीप सिंह , सुभाष रोकडे, असीम दास, फिरोज ,अंजलि खारवा, नसीम शेख , सिद्धार्थ बेनजरी, संताबाई कन्त्प्पा सहित 100 से ज्यादा लोग थे. स्लीप आउट 8 दिसंबर, 2019 की सुबह 6 बजे तक चला.
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