महाराष्ट्र राज्य का धर्मादाय आयुक्त यह पद गत 187 दिनों से रिक्त होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को धर्मादाय आयुक्त कार्यालय ने दी हैं। अनिल गलगली ने जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और विधी व न्याय राज्यमंत्री डॉ रणजित पाटील से शिकायत की। इस शिकायत के बाद सरकार ने ताबडतोब कारवाई शुरू की और संजय मेहरे, मुख्य जिला व सत्र न्यायाधीश की नियुक्ती आननफानन में कर भी दी। राज्य के पब्लिक ट्रस्ट तथा अन्य संस्था का कामकाज पर ध्यान रखकर कल्याणकारी योजना को अमलीजामा पहनाने की जिम्मेदारी धर्मादाय आयुक्त इनपर होती हैं।
विधि व न्याय विभाग के कक्ष अधिकारी महेंद्र पुजारी ने अनिल गलगली को सूचित किया कि 5 जुलाई 2019 के सरकारी निर्णयानुसार धर्मादाय आयुक्त, महाराष्ट्र राज्य,मुंबई इस पद पर संजय मेहरे, मुख्य जिला व सत्र न्यायाधीश की नियुक्ती की गई हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने धर्मादाय आयुक्त कार्यालय से जानकारी मांगी थी कि धर्मादाय आयुक्त यह पद कब से रिक्त हैं और इस पद पर नियुक्ति करने की जिम्मेदारी किसकी हैं? धर्मादाय आयुक्त कार्यालय ने अनिल गलगली को 4 जून 2019 को बताया कि धर्मादाय आयुक्त यह पद दिनांक 5 दिसंबर 2018 से रिक्त हैं। साथ ही में धर्मादाय आयुक्त इस पद पर नियुक्ति करने का अधिकार राज्य सरकार को हैं। पूर्व धर्मादाय आयुक्त शिवकुमार डिगे की नियुक्ती सरकार ने दिनांक 18 अगस्त 2017 को थी।
अनिल गलगली ने इस मामले को लेकर लिखित शिकायत मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ विधि व न्याय राज्यमंत्री डॉ रणजित पाटील से की थी। उसके बाद ताबडतोब माहौल बदला और सरकार ने संजय मेहरे, मुख्य जिला व सत्र न्यायाधीश की नियुक्ती भी कर दी। धर्मादाय आयुक्त जैसा महत्वपूर्ण पद को एक आरटीआई से न्याय मिला, ऐसी प्रतिक्रिया अनिल गलगली ने देते हुए सरकार का आभार माना।
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