Thursday 7 February 2019

फर्जी जाति से पदमुक्त हुए भी नगरसेवक पर एफआईआर नहीं हुई दर्ज, महापौर महाडेश्वर भी शामिल

मुंबई महानगरपालिका में फर्जी जाति से नगरसेवक बने और बाद में फर्जीवाड़ा से पदमुक्त हुए किसी भी नगरसेवक पर मुंबई महानगरपालिका प्रशासन ने आज तक एफआईआर दर्ज नहीं किया हैं। यह जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई महानगरपालिका प्रशासन ने दी हैं। एफआईआर दर्ज करने को लेकर जिम्मेदारी को लेकर लीगल, सेक्रेटरी और इलेक्शन डिपार्टमेंट अपने हाथ झटक रहा हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई मनपा के सेक्रटरी डिपार्टमेंट से जानकारी मांगी थी कि गत 3 चुनावों में जिन नगरसेवकों का पद विभिन्न कारणों से रदद् हुआ हैं उनपर दर्ज एफआईआर का ब्यौरा दे। मुंबई मनपा के सेक्रेटरी विभाग ने गलगली का आवेदन लीगल, इलेक्शन डिपार्टमेंट को ट्रांसफर किया। लीगल डिपार्टमेंट में 2 स्थानों पर आवेदन जबाब देने के लिए ट्रांसफर किया गया। लीगल डिपार्टमेंट के डिप्टी लीगल ऑफिसर अनंत काजरोलकर ने दावा किया कि  किसी भी नगरसेवक तथा नगरसेविका पर एफआईआर दर्ज नहीं की गई हैं। उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि स्मॉल कॉज कोर्ट में जरुरत के हिसाब से दावा दायर करना और याचिकाकर्ता ने दर्ज किए मुकदमें में मनपा का पक्ष रखने का कार्य देखा जाता हैं। एफआईआर दर्ज नहीं करने से जानकारी नहीं दी जा सकती हैं। गलगली का आवेदन इलेक्शन डिपार्टमेंट को भेजा गया। इलेक्शन डिपार्टमेंट ने गत 3 चुनाव में जिनका नगरसेवक पद जाति का फर्ज़ीवाड़ा से रदद् किया गया हैं उसके आदेश की कॉपी दी। कुल 21 नगरसेवकों का पद रदद् किया गया हैं उनमें वर्तमान महापौर प्रिंसिपल विश्वनाथ महाडेश्वर का नाम भी हैं। इलेक्शन डिपार्टमेंट का तर्क हैं कि इलेक्शन करवाना उनका काम हैं। मुंबई मनपा के सेक्रेटरी डिपार्टमेंट ने खुद से पल्ला झाड़ते हुए एफआईआर दर्ज करने की जिम्मेदारी से खुद को अलग किया हैं। वहीं डिप्टी लीगल ऑफिसर एस डी फुलसुंगे ने कहा कि स्मॉल कॉज कोर्ट में इलेक्शन पिटीशन दर्ज होने से आवेदन को वहाँ पर ट्रांसफर किया गया। 

अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और मनपा आयुक्त को लिखे पत्र में कहा हैं कि सभी डिपार्टमेंट एफआईआर दर्ज करने से खुद को अलग कर रहे हैं। जब भी नगरसेवक का पद रदद् किया जाता हैं तब उनका अपराध साबित होने से उनपर एफआईआर दर्ज करने की आवश्यकता हैं। इनका पद लिखित तौर पर मनपा आयुक्त रदद् करता हैं लेकिन एफआईआर दर्ज नही होती हैं। गलगली ने सुझाव दिया हैं कि किसी एक डिपार्टमेंट को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए तथा फर्ज़ीवाड़ा करनेवाले नगरसेवकों को भविष्य में चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित करना चाहिए ताकि कोई भी इसतरह की गलती नहीं करेगा।

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