Tuesday, 19 February 2019

एमएमआरडीए की कार्पोरेटवाली नई मुद्रा पर 3.54 लाख का खर्च

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता वाली एमएमआरडीए प्रशासन ने अपनी नई पहचान निर्माण करने के लिए एमएमआरडीए प्रशासन की मुद्रा यानी लोबो बदल दी हैं और मुद्रा की डिजाईन पर 3.54 लाख का खर्च करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को एमएमआरडीए प्रशासन ने दी हैं। गत 44 वर्ष से इस्तेमाल होनेवाली मुद्रा बदलने से अब सभी स्थानों पर कार्पोरेट लूक वाली नई मुद्रा पर 30 लाख का खर्च अपेक्षित हैं।


आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से नई मुद्रा और उसपर हुए खर्च की जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन ने अनिल गलगली को बताया कि 2 चरणों मे नई मुद्रा बनाने के लिए मेसर्स डिजाईन ओरबी इस कंपनी को 3 लाख 54 हजार रुपए दिए गए हैं। एमएमआरडीए प्रशासन ने उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों के आधार पर एमएमआरडीए प्रशासन ने नई मुद्रा बनाने के लिए एमएमआरडीए प्राधिकरण की मंजुरी ली थी। मुंबई महानगर प्रदेश विकास प्राधिकरण अधिनियम, 1974 की धारा 3(2) में महानगर प्राधिकरण यह एक कानून द्वारा संस्थापित संस्था होगी, उसकी अखंड अधिकार परंपरा होगी और उसकी  एक सामान्य मुद्रा होगी। उसके अनुसार प्राधिकरण ने दिनांक 11 मई 1975 को मुद्रा को मान्यता दी। महानगर आयुक्त का दावा ऐसा था कि वर्तमान में प्राधिकरण द्वारा जो विभिन्न  ढांचागत सुविधा योजना हाथों में लिया गया जिसकी परिकल्पना स्थापना के दौरान नहीं की गई थी। प्राधिकरण में होनेवाला संस्थात्मक बदलाव और मेट्रो, सड़क और उड्डानपूल इसकी संकल्पना स्पष्ट के तौर पर परिभाषित करने वाली नई मुद्रा हैं।यह प्रस्ताव 10 जुलाई 2015 से विचारधीन था। इसतरह पैसों की फिजूलखर्ची ठीक नहीं हैं।


इस मुद्रा के सिर्फ डिजाईन पर अब 3.54 लाख खर्च भले ही हुए हैं लेकिन भविष्य में सभी स्थानों पर एमएमआरडीए प्रशासन की पुरानी मुद्रा बदलने के लिए एमएमआरडीए प्रशासन को और 30 लाख खर्च आने से उसका प्रावधान किया गया हैं। अनिल गलगली के अनुसार मुद्रा बदलने से काम में भी बदलाव होना आवश्यक हैं जबकि पुरानी मुद्रा स्वयंस्पष्ट थी। एमएमआरडीए प्राधिकरण के अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होने से कार्पोरेट के बजाय सेवा और गुणवत्तापूर्ण देनेवाली एमएमआरडीए ऐसी पहचान निर्माण होने की जरुरत होने की बात गलगली ने कही।

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