Friday, 10 July 2015

एक ही दिन बीड के 52 लोगों को मुख्यमंत्री ने बनाया स्वातंत्र्यसेनानी का हकदार

'दूध से मुंह जलनेवाले छास भी संभालकर पीते है ' इस कहावत को शायद भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री ने नजरअंदाज किया है। इसी लिए पिछली सरकार के राज में जिस अटैचमेंट वारंट को पालकर आयोग ने अवैध मानकर पुरे 298 मामलों को रद्द किया था अब उस जैसे ही अटैचमेंट वारंट को सबूत मानकर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 88 नए लोगों को स्वातंत्र्यसेनानी का हकदार बनाकर एक ही दिन में बीड के 52 लोगों को स्वातंत्र्यसेनानी की सुविधा बहाल की है, ऐसी जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सरकार ने दी है। जिससे करीब 6.50 करोड़ का बोझा सरकारी तिजोरी पर हुआ है। जिला गौरव समिती और जिलाधिकारी की सिफारस न लेनेवाले 88 लोगों पर मुख्यमंत्री और सरकारी बाबू मेहरबान हुए है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र सरकार से स्वातंत्र्यसेनानी सम्मान निवृत्ती वेतन मंजूर मामलों की जानकारी मांगी थी। सामान्य प्रशासन विभाग के स्वातंत्र्यसेनानी कक्ष ने अनिल गलगली को बताया कि 1 जनवरी 2015 से 5 जून 2015 की आखिरी तक कुल 88 स्वातंत्र्यसेनानी पेंशन मामले मंजूर किए है जिसमें 79 बीड,1 नांदेड, 4 उस्मानाबाद व 4 अहमदनगर ऐसे मामले हैं।ताज्जुब की बात ये है कि इनमें से अधिकांश मामले सरकार के 4 जुलाई 1995 के निर्णयानुसार शर्तों से मेल नही खाते है और प्रभु लक्ष्मण सानप नामक मामले में तो पाटोदा और आष्टी इन अलग अलग कार्यालय के वारंट की कॉपी पेश की गई थी और वारंट का ओरिजिनल रेकॉर्ड उपलब्ध नही होने से 25 नवंबर 2002 को सरकार ने उस स्वातंत्र्यसेनानी के दावे को खारिज किया था। इस हकीकत के बावजूद सचिव स्तर पर मामला मुख्यमंत्री के पास पेश किया गया और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक ही दिन में सिर्फ बीड जिला के 52 लोगों को स्वातंत्र्यसेनानी की हैसियत दर्जा बहाल की। सुप्रीम कोर्ट ने सिर्फ बीड जिला के 355 फर्जी स्वातंत्र्यसेनानी मामलों की जांच हाई कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीस ए बी पालकर इस आयोग का गठन किया था। आयोग ने 355 में से 298 मामले फर्जी होने पर मुहर लगाई और उसके अनुरुप सरकार ने सिर्फ बीड जिला के 298 स्वातंत्र्यसेनानी का पेंशन बंद किया। अब फिर एक बार बीड जिला के ही स्वातंत्र्यसेनानी का मंजूर मामलों में आष्टी के अटैचमेंट वारंट के अनुसार जिला गौरव समिती की सिफारस लिए बिना ही सचिव ने मुख्यमंत्री को रजामंद कर उनकी मंजूरी हासिल की। इसके विपरित गृह राज्यमंत्री रणजीत पाटील ने उनके पास पेश हुए 40 से 45 मामले उल्टे पैर लौटाने से डरे हुए सचिव ने मुख्यमंत्री सचिवालय के जरिए मुख्यमंत्री से संपर्क करते हुए उनसे सटे और अटैचमेंट वारंट को सबूत के तौर पर पेश कर पहीले चरण में 88 लोगों को भला किया। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने उस मामले में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, गृह राज्यमंत्री रणजीत पाटील, मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय एयर सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव सुमित मलिक को पत्र भेजकर 88 मामलों को मंजूर करने के दौरान सामान्य प्रशासन विभाग से लेकर मुख्यमंत्री सचिवालय तक हुई अनियमितता और भ्रष्ट्राचार गंभीर होने का आरोप कर सभी मामलों को रद्द करने और फर्जी स्वातंत्र्यसेनानी बनानेवाले सभी लोगों कारवाई करते हुए अपराधिक मामला दर्ज करने की मांग की है। एक ही दिन में मुख्यमंत्री ने इतने संवेदनशील मामलों को मंजूर करते वक्त एहतियात क्यों नही बरती गई? इसपर अनिल गलगली ने संदेह जताते हुए सवाल खड़ा किया है।

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