Wednesday, 10 October 2018

बेघरों को अपनी लड़ाई खुद लड़नी पड़ेगी

मुंबई में बेघरों को अपनी आवाज खुद बुलंद करनी पड़ेगी और अपनी लड़ाई भी खुद ही लड़नी पड़ेगी। बुधवार को विश्व बेघर दिवस पर जेजे अस्पताल स्थित बेघरों के साथ मिलकर आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली और बृजेश आर्य ने उनकी समस्याओं और सरकार द्वारा मुहैय्या की गई सुविधाओं का जायजा लिया।

आज "विश्व बेघर दिवस" ​​है। मुंबई  में वर्ष 2011 जनगणना के आधार पर 57,416 लोग बेघर है जबकि अलग अलग संस्था/संगठनो  का मानना हैं कि मुंबई में 2 लाख से ज्यादा लोग बेघर हैं। जो आज भी रोटी कपडा मकान की सुविधा से वंचित हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि आज बेघरों को भी सरकार द्वारा अलग- अलग योजनाओं के माध्यम से जो सुविधाओं मुहैय्या कराई गई हैं उसका लाभ लेना चाहिए। राशनकार्ड, वोटर आईडी और स्कूलों में मुफ्त शिक्षा मिलनी चाहिए। पहचान के अध्यक्ष बृजेश आर्य ने कहा कि हाल ही में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात की और उन्होंने सकारात्मक पहल करने का आश्वासन दिया हैं। पहचान की लीना पाटील, सुभाष रोकड़े, नसीम शेख, शीला पवार, शहजादी और मीरा यादव उपस्थित थे।

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