120 वर्ष की उज्वल परंपरावाली मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय का कामकाज और अन्य काम में अनियमितता और धांधली हैं। महाराष्ट्र सार्वजनिक विश्वस्त व्यवस्था अधिनियम 1950 के विभिन्न धाराओं का उल्लंघन कर मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय को संस्थान बनाने का प्रयास शुरु होने से मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय में हुआ अवैध चुनाव और आर्थिक घपले की जांच करने का आदेश मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दिया हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली और धनंजय शिंदे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर उन्हें इस पूरे मामले को लेकर एक विस्तृत ब्यौरा वाला ज्ञापन सौंपा। इस ज्ञापन में विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला गया जिसमें स्पष्ट किया हैं कि मराठी ग्रंथ संग्रहालय को स्वयं की 'घटना-नियमावली' हैं। संस्था का कुल कामकाज यह 'घटना-नियम' इनमें की तकनीकी खामियां का गलत लाभ लेने से कई समस्याएं उत्पन्न हई हैं। ताज्जुब यह हैं कि कुल तीन 'घटना- नियमावली' पेश जाती हैं जबकि 1984 की घटना मान्यताप्राप्त हैं। 1989 की घटना सहूलियत से बताई जाती हैं और अब वर्तमान में 2013 की 'घटना- नियमावली' बताई जाती हैं। जिसे धर्मादाय आयुक्त के समक्ष चुनौती दी गई थी पर धर्मादाय आयुक्त ने इस मामले में गंभीरता से ध्यान नहीं दिया क्योंकि जिस चेंज रिपोर्ट को चुनौती देने के बाद भी 2016 में अवैध चुनाव लेकर अध्यक्ष की नियुक्ति की गई। चुनाव के लिए आवेदन किए बिना ही किसी संस्था के अध्यक्ष पद नियुक्ति करने की यह पहला मामला था। उपाध्यक्ष पद के लिए भी चुनाव की प्रक्रिया को अमल में नहीं लाया गया और उसके बाद अध्यक्ष की सूचना के अनुसार वर्तमान विश्वस्तों की नियुक्तियां घटना के विपरित की गई। रामदास फुटाणे को छोड़ा जाए तो जिन भी लोगों की नियुक्तियां की गई वे नियुक्तियां होने तक संस्था के सदस्य भी नहीं थे। 22 फरवरी 2017 को उनका सदस्यता का आवेदन लिया गया और आगे के 15 मिनटों में उपाध्यक्ष और विश्वस्त के पदों की खैरात बांटी गई। पदे वाटण्यात आली आहे. यह पूरी प्रक्रिया ही अवैध थी और धर्मादाय आयुक्त के समक्ष विभिन्न शिकायतें आज भी प्रलंबित हैं।
इस ज्ञापन में आगे जिक्र किया गया हैं कि मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय अंतर्गत शाखाओं की बड़े पैमाने पर विक्री की गई हैं और हर साल ऑडिट भी पेश करने में नजरअंदाजी की गई हैं। दादर जैसे विभाग में प्रॉपर्टी की किंमत आसमान को छूने के बाद भी अब भी मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय के किराएदार यह विश्वस्त मंडल की गलत नीतियों के चलते मुनाफ़े में हैं और मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय की हालत घाटे के चलते जर्जर हो रही हैं। इस सभी व्यवहार की जांच होती हैं तो जिम्मेदार विश्वस्त, कार्यवाहक और अन्य मंडली का भांडा फूटेगा। क्योंकि विक्री और अन्य आर्थिक व्यवहार करने के पहले धर्मादाय आयुक्त की पूर्व अनुमति नहीं ली गई और टेंडर निकाले बिना व्यवहार किया गया। इससे मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय की आर्थिक स्थिती दयनीय हो गई हैं। आसपास बने टॉवर के तर्ज पर मुंबई मराठी ग्रंथ संग्रहालय को इमारत गिराकर विकास करने के लिए नए नए राजनीतिक पार्टी के नेता और व्यवसाय से आर्किटेक्ट वाले लोगों को विश्वस्त पद पर लाकर बिठाया गया हैं।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें सौंपे गए ज्ञापन पर जांच के आदेश उच्च व तंत्र विभाग को देते हुए जांच कर कार्रवाई का आदेश दिए हैं। पूरे मामले की जांच की गई तो निश्चित तौर पर अबतक हुई गड़बड़ी और आर्थिक व्यवहार की पोल खुलेगी तथा सच सामने आने का आशावाद अनिल गलगली ने व्यक्त किया हैं।
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