वर्ष 2012 में केंद्र सरकार ने क्लिनिकल एस्टॅब्लिशमेन्ट एक्ट यानी वैद्यकीय आस्थापना पंजीकरण और नियमन विधेयक लागू किया और इस कानून में केंद्र ने सुधार करने की पहल की हैं। लेकिन राज्य सरकार ने कई साल गुजरने के बाद भी इस कानून को लागू नहीं किया। मरीजों के लिए महत्वपूर्ण कानून होते हुए भी राज्य सरकार मरीजों के लिए महत्वपूर्ण ऐसे कानून को लेकर उदासीन होने का आरोप आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने लगाया हैं।
अनिल गलगली यह रुग्ण सेवा कल्याण इस सेवाभावी संस्था द्वारा दादर पूर्व स्थित भारत सेवक संघ में विश्व किडनी दिन के मौके पर रुग्ण मित्र संकल्पना और किडनी विकार एवं आहार इस विषय पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित थे। अनिल गलगली ने आगे कहा कि कानून लागू होने पर वैद्यकीय क्षेत्र में पारदर्शकता आएगी। इससे मरीजों को न्यूनतम और योग्य स्वास्थ्य सेवा मिलेगी। लेकिन राज्य सरकार की इच्छाशक्ती नहीं होने से इस क़ानून को नजरअंदाज किया जा रहा हैं। इसके पहले की सरकार ने भी ध्यान नहीं दिया और यह सरकार भी उदासीन हैं। धीरुभाई अंबानी अस्पताल के पूर्व वैद्यकीय अधिकारी डॉ संजय ठाकूर ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा की दुरावस्था में अपने देश की अवस्था दयनीय हैं। उन्होंने विदेश की स्वास्थ्य सेवा पर जोर दिया। आहार विशेषज्ञ डॉ सीमा साले ने किडनी मरीजों को कौन कौन से आहार से लाभ होगा इसकी जानकारी दी। रुग्ण मित्र विनोद साडविलकर ने केंद्र, राज्य और महापालिका स्तर पर मौजूदा विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। कार्यक्रम का संयोजक जितेंद्र तांडेल ने इस संस्था के कार्य की जानकारी देते हुए जल्द वेबसाईट और टोल फ्री नंबर शुरु करने की घोषणा की। प्रास्तविक भारती तांडेल ने तो संचालन जय साठेलकर ने किया।
इस मौके पर एस एन ठाकूर, ऍड विल्सन गायकवाड, एकनाथ सांगले, सीएम कुलकर्णी, जितेंद्र लोके, अजित वाहडने, जीटी जाधव, डी पवार, आनंद सरतापे, संदीप तवसालकर, वैभव जुवेकर, स्मृती गमरे, प्रकाश वाघ, कमला राव, श्रेया निमोणकर, वैभव तारी, राजेंद्र ढगे, सतेज दलवी, साईप्रसाद परब, अक्षय दलवी उपस्थित थे।
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