मुख्यमंत्री की अध्यक्षतावाली एमएमआरडीए प्रशासन का कामकाज पारदर्शक नहीं हैं। 2 हजार करोड़ से अधिक बकाया वसूल करने में एमएमआरडीए नाकाम रही हैं वहीं दूसरीओर कोर्ट कचहरी पर आज तक एमएमआरडीए के 1.50 लाख रुपए ख़र्च होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को एमएमआरडीए प्रशासन ने दी हैं। एमएमआरडीए के खिलाफ कोर्ट में दस्तक देनेवालों में मुकेश अंबानी की रिलायंस, नमन हॉटेल, रघुलीला बिल्डर्स और इंडिया न्यूजपेपर्स का शुमार हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एमएमआरडीए प्रशासन से एमएमआरडीए स्थित जी ब्लॉक अंतर्गत मेसर्स रिलायंस, इंडियन न्यूजपेपर्स सोसायटी, नमन हॉटेल और अन्य लीजधारक ने कोर्ट में दायर किए सुनवाई पर हुए खर्च की जानकारी मांगी थी। एमएमआरडीए प्रशासन के लीगल डिपार्टमेंट ने अनिल गलगली को बताया कि की मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्टीज, मेसर्स नमन हॉटेल, रघुलीला बिल्डर्स लिमिटेड और इंडिया न्यूजपेपर्स सोसायटी ने एमएमआरडीए प्रशासन के खिलाफ मुंबई हायकोर्ट में दावा दायर किया हैं। एडवोकेट जनरल आशुतोष कुंभकोनी यह एमएमआरडीए की ओर से कोर्ट में हाजिर होते हैं। इसके लिए व्यावसायिक फी रु 1.50 लाख अबतक अदा किया हैं। सबसे पहले रघुलीला बिल्डर्स लिमिटेड ने दिनांक 26 सितंबर 2017 को एमएमआरडीए प्रशासन को कोर्ट में घसीटा हैं। श्री नमन हॉटेल्स ने दिनांक 12 अक्टूबर 2017, रघुलीला बिल्डर्स ने दिनांक 26 सितंबर 2017, इंडिया न्युजपेपर्स सोसायटी ने दिनांक 29 नवंबर 2017 वहीं मेसर्स रिलायंस इंडस्टीज ने दिनांक 30 नवंबर 2017 को याचिका दायर की हैं।
निश्चित समय पर निर्माण पूर्ण न करने पर अतिरिक्त प्रीमियम अदा करना पड़ता हैं और अतिरिक्त एफएसआय का शुल्क अदा करना अनिवार्य होता हैं। एमएमआरडीए प्रशासन को पैसे अदा करने के बजाय लीजधारकों ने कोर्ट में दस्तक दी। अनिल गलगली के अनुसार समय पर काम बंद किया जाता तो कोर्ट कचहरी पर एमएमआरडीए को लाखों रुपए का नुकसान होने से बच जाता था लेकिन एमएमआरडीए के कुछ अफ़सरों की लापरवाही से मामला उलझ गया।
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