कोरोना समय में विवादित ऑक्सिजन प्लांट के टेंडर में हुई अनियमितता और अधिक मूल्य देने का आरोप लगाया गया था। बड़ा दावा कर मुंबई में बिठाया गया 267 करोड़ के मूल्य के 19 में से 17 ऑक्सिजन प्लांट का काम समय अवधि तक पूर्ण करने में ठेकेदार और उनके सरंक्षक अधिकारी फेल होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को उपलब्ध हुए जवाब से सामने आई हैं वही दूसरीओर कुछ कार्रवाई करने के नाम पर ठेकेदारों को सिर्फ 4.07 करोड़ का नाममात्र जुर्माना लगाकर अभय देने का काम हुआ हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई मनपा से मुंबई में बिठाए गए ऑक्सिजन प्लांट की जानकारी मांगी थी। मनपा के यांत्रिकी व विद्युत विभाग के कार्यकारी अभियंता शाम भारती ने अनिल गलगली को 19 प्लांट की जानकारी दी हैं इसमें से 17 ऑक्सिजन प्लांट का निर्माण काम समय पर पूर्ण नहीं किया गया। इस 19 में से 12 काम मेसर्स हायवे कन्स्ट्रक्शन कंपनी को वहीं 7 काम यह मेसर्स जीएसएन असोसिएट को दिया गया हैं।
मुंबई महानगरपालिका ने पहिले चरण में मेसर्स हायवे कन्स्ट्रक्शन कंपनी को 9 स्थानों पर 22,790 एलपीएम प्लांट का निर्माण करने के लिए 25 जून 2021 को कार्यादेश जारी किया गया जिसकी किंमत 77.15 करोड़ इतनी हैं। सभी काम की अवधि 30 दिन की थी। वीएन देसाई, बीडीबीए, कस्तुरबा, नायर, कूपर और केईएम में प्लांट 19 अगस्त 2021 को पूर्ण किया गया और 20 अगस्त 2021 को कुर्ला भाभा, 25 अगस्त 2021 को सायन वहीं 26 अगस्त 2021 को जीटीबी में काम पूर्ण किया गया। इसमें 3.06 करोड़ का जुर्माना लगाया गया। इस कारवाई को ठेकेदार ने चुनौती दी हैं।
पहिले चरण में पूरी तरह फेल होने के बाद असफल साबित हुए मेसर्स हायवे कन्स्ट्रक्शन कंपनी को ब्लैक लिस्ट करने के बजाय मनपा ने मेहरबान होकर दूसरे चरण में और 59.36 करोड़ का नया काम का कार्यादेश 27 सप्टेंबर 2021 को जारी किया गया। इसमें 19,760 एलपीएम प्लांट निर्माण का काम था। दहिसर और ऑक्टय नाके का काम समय पर पूरा किया गया लेकिन केजे सोमय्या स्थित काम 12 दिन की देरी से पूरा किया गया।
तीसरा चरण इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि प्रोजेक्ट की किंमत यह 130.86 करोड़ इतनी हैं जिसमें 43,500 एलपीएम प्लांट का निर्माण करने का काम यह मेसर्स जीएसएन असोसिएटस को दिया गया। कार्यादेश 27 सितंबर 2021 को जारी किया गया लेकिन एक भी काम निश्चित अवधि में पूरा नहीं किया गया। 12 से 86 दिन की देरी से हुई लेकिन इसमें ठेकेदार को मनपा अधिकारियों ने बचाने का काम करते हुए सिर्फ 1.04 करोड़ का जुर्माना लगाया गया। इसमें बीकेसी फेज 1, बीकेसी फेज 2, नेस्को, दहिसर चेकनाका, भायखला और मुलुंड का रिचर्डसन अँड कृडस वहीं कांजूरमार्ग को लेकर 7 स्थान हैं।
पहिले चरण में 30 दिन यह काम को पूरा करने की समय अवधि थी जिसे दुसरे और तीसरे चरण में बढ़ाकर 45 दिन किया गया। इस खेल में ठेकेदार को मदद करने के बावजूद 8 काम यह अवधि बढ़ाकर देने के बाद भी समय पर पूरे नहीं हो पाए। काम जो समय में पूरे नहीं हो पाए उसके लिए जो खुलासा किया गया वह समझ से परे हैं। इसमें बड़ी बारिश और बिजली आपूर्ति को आगे किया गया है। एक स्थान पर प्लांट निर्माण के लिए मौजूदा घरों का निष्कासन न होने का कारण दिया गया हैं।
अनिल गलगली का कहना हैं कि ऑक्सिजन प्लांट टेंडर तैयार करते वक्त बाजारमूल्य से अधिक किंमत उल्लेखित करने से मनपा को 100 करोड़ से अधिक का घाटा हुआ हैं। अनुभव न होते हुए भी जिन ठेकेदारों को काम दिया गया उनपर मामूली जुर्माना लगाकर मनपा अधिकारी अपनी गलतियों को छिपाने का काम कर रहे हैं। इसलिए बाद में ठेकेदार को मदद करने के लिए पहले जो समय अवधि 30 दिन की थी उसे बढ़ाकर 45 दिन किया गया इसके बाद भी काम समय पर पूरा नहीं हो पाया। इस काम में जूनियर से लेकर सीनियर अधिकारियों ने किस उद्देश्य से नजरअंदाजी की इसकी जांच होनी चाहिए। जुर्माना सिर्फ ठेकेदार को लगाया गया हैं जबकी सभी अधिकारियों की जिम्मेदारी निश्चित कर कारवाई करने की मांग अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और मनपा आयुक्त को भेजे हुए पत्र में की हैं।
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