Wednesday 2 May 2018

आरटीआई का इस्तेमाल कर पारदर्शिता बढ़ाने पर होगा जोर

देश में पहली बार गठित आरटीआई एक्टिविस्ट फोरम की राज्यव्यापी परिषद संपन्न महाराष्ट्र दिवस एवं विश्व मजदूर दिन के मद्देनजर मुंबई के प्रभादेवी स्थित भूपेश गुप्ता भवन में संपन्न हुई. इस परिषद में विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई. इसके अलावा आरटीआई एक्ट के सुधार के लिए कटिबद्ध होकर पूरे राज्य में मुहिम छेड़ने का एेलान किया गया. इस मौके पर वरिष्ठ विचारक शिवाजी राऊत द्वारा बनाई गई एक श्वेत पत्रिका का विमोचन किया गया. आरटीआई का इस्तेमाल कर पारदर्शिता बढ़ाने पर काम करने  का एजेंडा तय किया गया।

प्रभादेवी स्थित भूपेश गुप्ता भवन में आयोजित एक दिवसीय राज्यव्यापी परिषद की अध्यक्षता रिटायर्ड न्यायमूर्ति वी. पी. पाटिल ने की. इस परिषद का उद्घाटन केंद्रीय पूर्व सूचना आयुक्त शैलेष गांधी ने किया. अपने उद्घाटन भाषण में शैलेष गांधी ने कहा कि लोकतंत्र में अगर नागरिक राजा और रानी है, तो आपको आगे आना चाहिए और जानकारी उसी लहजे से मांगनी चाहिए. आज आरटीआई एक्ट महत्वपूर्ण कानून बन गया है. आरटीआई एक्टिविस्ट को आम लोगों के प्रश्नों पर काम करना चाहिए. हर एक महीने में एक आरटीआई आवेदन करने की आवश्यकता है. 

वरिष्ठ विचारक शिवाजी राऊत ने कहा कि आजादी के बाद आरटीआई एक्ट एक एेसा कानून है, जो नागरिकों को अपने अधिकारों की गारंटी दिलवाता है. आज इस कानून को मजबूत बनाने की आवश्यकता है, जो आने वाले दिनों में नई क्रांति लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. बैंकिंग विशेषज्ञ विश्वास उटगी ने कहा कि सरकार इस कानून को अपने नजरिये से देखती है. इस कानून को खत्म करने के लिए प्रयास जारी है. हमें विषयों को लेकर एेसे कार्यकर्ताओं को तैयार करना है, जो गलत चीजों को रोकने में कामयाब हो सकें. 

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने आरटीआय को कैसे सत्ताधारियों से खतरा हैं इसपर बोलते हुए कहा कि सरकारी स्तर पर एवं अफसरशाही स्तर पर आरटीआई को बदनाम करने की साजिश चल रही है. अगर सरकार हर एक जानकारी स्वयंस्फूर्त होकर अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित करती है, तो किसी भी व्यक्ति को आरटीआई आवेदन करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी. जीवन में हर एक व्यक्ति को आरटीआई आवेदन करना चाहिए ताकि उसे भी इसकी जानकारी और यथार्थ स्थिती का आकलन होगा। सूचना आयोग में सूचना आयुक्त के पद रिक्त रखकर सरकार उनकी तरह सोच रखनेवाले लोगों को लाभान्वित कर रहे हैं, ताकि आरटीआई का असर कम हो. 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करनेवाले पूर्व न्यायमूर्ति वी. पी. पाटिल ने कहा कि आज सूचना आयोग तो है, लेकिन आम लोगों को इसके खिलाफ अपील करने के लिए ट्रिब्यूनल की आवश्यकता है. हर एक व्यक्ति को एक आरटीआई आवेदन करने की आवश्यकता है, ताकि उन्हें भी पता चले कि आखिरकार आरटीआई क्या होता है?

आरटीआई एक्टिविस्ट फोरम के अध्यक्ष सुधाकर कश्यप ने कहा कि लोग एक साथ काम करें और बड़े पैमाने पर सरकार द्वारा किए गए वादे सचमुच में कार्यान्वित होते हैं कि नहीं इस पर ध्यान रखने के लिए इस फोरम का गठन किया गया है. यह फोरम गैर राजनीतिक है और यहां पर आनेवाले हर एक व्यक्ति की समस्या को समझकर उसका निराकरण करने के लिए फोरम काम करेगा. कार्यक्रम का सूत्र संचालन अर्चना ताजने ने किया तथा आभार प्रदर्शन प्रिं रमेश खानविलकर ने माना. इस मौके पर आरटीआई कार्यकर्ता प्रवीण वाटेगावकर, अनिल गलगली, रमेश खानविलकर, रवि चिपळूणकर, योगेश दळवी का सम्मान किया गया।

इस परिषद में मुंबई ही नहीं ठाणे, कल्याण, नवी मुंबई, मीरा भायंदर, नाशिक इन इलाकों से भी लोग आए थे. पहले ही राज्यव्यापी परिषद में आम लोगों ने आरटीआई एक्टिविस्ट फोरम की सदस्यता ग्रहण की. आरटीआई एक्टिविस्ट की राज्यव्यापी परिषद को सफल बनाने के लिए संतोष सावर्डेकर, राजन पवार, स्वाति पाटिल, राजी सरोदे, राहुल जाधव, गिरीश रावराणे, विनोद परब, अबु बकर खान, अरुण गायकवाड़, आनंद इंगले, बाबा सावंत, प्रवीण येरूनकर, अरुण पनीकर का योगदान रहा.

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