Monday 14 May 2018

विज्ञापनबाजी पर मोदी सरकार ने खर्च किए 4343 करोड़

प्रधानमंत्री बनते ही नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली मोदी सरकार ने गत 46 महीने में सभी प्रकार के विज्ञापनबाजी पर रु 4343.26 करोड़ खर्च किए जाने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को केंद्र सरकार के ब्युरो ऑफ आऊटरिच एंड कम्युनिकेशन विभाग ने दी हैं। विज्ञापनबाजी पर होनेवाले पैसों की बर्बादी पर चारों ओर से आलोचना होने के बाद इस वर्ष 25 प्रतिशत की कटौती कर मोदी सरकार ने 308 करोड़ गत वर्ष की तुलना में कम खर्च किया हैं। 

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने प्रधानमंत्री कार्यालय से केंद्र सरकार का गठन होने से लेकर आज तक विभिन्न विज्ञापनों पर हुए खर्च की जानकारी मांगी थी। केंद्र सरकार के ब्युरो ऑफ आऊटरिच एंड कम्युनिकेशन विभाग के वित्तीय सलाहकार तपन सुत्रधर ने अनिल गलगली को 1 जून 2014 से दिए गए विज्ञापन की जानकारी मुहैया कराई। इसमें 1 जून 2014 से 31 मार्च 2015 इस दौरान रु 424.85 करोड़ प्रिंट मीडिया, रु 448.97 करोड़ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और रु 79.72 करोड़ बाह्य प्रचार पर खर्च किया हैं। वर्ष 2015-2016 इस आर्थिक वर्ष में रु 510.69 करोड़ प्रिंट मीडिया, रु 541.99 करोड़ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और रु 118.43 करोड़ बाह्य प्रचार पर खर्च किया हैं। वर्ष 2016-2017 इस आर्थिक वर्ष में रु 463.38 करोड़ प्रिंट मीडिया, रु 613.78 करोड़ इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और रु 185.99 करोड़ बाह्य प्रचार पर खर्च किया हैं। 1 अप्रैल 2017 से 7 दिसंबर 2018 इस दौरान रु 333.23 करोड़ प्रिंट मीडिया पर खर्च किया हैं। 1 अप्रैल 2017 से  31 मार्च 2018 इस दौरान इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर रु 475.13 करोड़ खर्च किया हैं और बाह्य प्रचार में रु 147.10 करोड़ यह 1 अप्रैल 2017 से 31 जनवरी 2018 तक खर्च किया गया हैं।  

विपक्ष औऱ सोशल मीडिया पर जनता का पैसा विज्ञापनबाजी पर कैसे बर्बाद होता हैं इसपर बड़े पैमाने पर आलोचना होने के बाद शायद मोदी सरकार ने वर्ष 2017-18 इस आर्थिक वर्ष में खर्च में कटौती करने की बात सामने आई हैं। वर्ष 2016-17 आर्थिक वर्ष में कुल रु 1263.15 करोड़ खर्च करनेवाली सरकार ने वर्ष 2017-2018 इस आर्थिक वर्ष में रु 955.46 करोड़ खर्च किया हैं। रु 308 करोड़ कम खर्च करते हुए करीब 25 प्रतिशत की कटौती की गई हैं। अनिल गलगली के अनुसार जरुरी विज्ञापन करनाअपेक्षित हैं लेकिन कभी-कभी अनावश्यक विज्ञापनबाजी कर जनता के पैसे की बर्बादी की जाती हैं। इसलिए सभी प्रकार के ख़र्च की जानकारी वेबसाइट पर ऑनलाइन करनी चाहिए।

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