Tuesday 31 October 2017

मुंबई से अहमदाबाद रेलवे में 40 प्रतिशत से अधिक सीटस् रिक्त

मुंबई से अहमदाबाद बुलेट ट्रेन के लिए 1 लाख करोड़ खर्च करने के लिए बेताब मोदी सरकार ने वर्तमान मर मुंबई से अहमदाबाद चलनेवाली गाड़ियों का अध्ययन शायद नहीं किया हैं। मुंबई से अहमदाबाद रेलवे में गत  3 महीने में 40 प्रतिशत वहीं अहमदाबाद से मुंबई 44 प्रतिशत सीट्स रिक्त होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को पश्चिम रेलवे ने दी हैं। इन 3 महीनों में पश्चिम रेलवे को 29.91 करोड़ के राजस्व पर पानी फेरना पड़ा हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने पश्चिम रेलवे से मुंबई से अहमदाबाद और अहमदाबाद से मुंबई ऐसे 3 महीने की विभिन्न जानकारी मांगी थी। पश्चिम रेलवे के मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधक मनजीत सिंह ने अनिल गलगली को 1 जुलाई 2017 से 30 सितंबर 2017 तक की जानकारी दी। इसमें मुंबई से अहमदाबाद ऐसे 30 मेल एक्सप्रेस से 4,41,795 यात्रियों ने यात्रा की जबकि  7,35,630 सीट्स थी। कुल राजस्व रुपए 44,29,08,220 /- आना अपेक्षित था जबकि रुपए 30,16,24,623/- इतना ही राजस्व प्राप्त हुआ। रुपए 14,12,83,597/- इतना आर्थिक घाटा हुआ हैं। अहमदाबाद से मुंबई के दौरान 31 मेल एक्सप्रेस की सुविधा हैं जिससे 3,98,002 यात्रियों ने यात्रा की जबकि असल मे 7,06,446 सीट्स थी। रुपए 15,78,54,489/- इतना आर्थिक घाटा सहन करनेवाली पश्चिम रेलवे को 42,53,11,471 इतना राजस्व आना अपेक्षित था लेकिन सिर्फ रुपए 26,74,56,982/- इतना राजस्व प्राप्त हुआ हैं।

इसमें दुरोतों, शताब्दी, गुजरात मेल,भावनगर, सौराष्ट्र, विवेक, भुज, लोकशक्ती जैसे गाड़ियों का समावेश हैं। अहमदाबाद मंडल प्रबंधक ने अनिल गलगली को बताया कि अहमदाबाद के लिए नई गाड़ी का कोई भी प्रस्ताव उन्हें प्राप्त नहीं हुआ हैं। 12009 शताब्दी जो कार चेअर के लिए प्रसिद्ध हैं उसमें अहमदाबाद के लिए यात्रा के दौरान 72,696 सीट में से सिर्फ 36117 यात्रियों ने यात्रा की और रुपए 7,20,82,948 के बजाय सिर्फ रुपए 4,11,23,086 इतनी ही कमाई हुई वहीं Executive चेअर के लिए 8,216 में से 3,468 सीटस पर यात्री थे।  रुपए 1,63,57,898 की कमाई के बजाय रुपए 64,14,345 इतनी कमाई हुई हैं। अहमदाबाद से मुंबई की ओर आने के लिए 12010 इस शताब्दी में 67,392 में से 22,982 सीट्स पर यात्रियों ने यात्रा की और रुपए 6,39,08,988 के बजाय रुपए 2,51,41,322 इतनी ही  कमाई हुई हैं। वहीं  Executive चेअर के लिए 7505 में से सिर्फ 1469 सीट्स पर ही यात्रियों ने यात्रा की जिससे रेलवे को रुपए 1,45,49,714 के बजाय रुपए 26,41,083 का राजस्व प्राप्त हुआ। सभी गाड़ियों की स्थिती समान हैं और सबसे अधिक मांग स्लीपर क्लास के लिए होते हुए रेलवे मंत्रालय ने इसपर कभी भी गंभीरता से गौर नहीं फ़रमाया हैं।

अनिल गलगली के अनुसार अहमदाबाद के लिए जाने के लिए सबसे अधिक भीड़ यह स्लीपर क्लास के लिए है। महंगी टिकट के चलते इन गाड़ियों की सीट्स शत प्रतिशत कभी भी आरक्षित नहीं होती हैं। केंद्र और राज्य सरकार सहित रेल्वद मंत्रालय ने इसपर अध्ययन करने के बजाय बुलेट ट्रेन का चयनित किया हुआ विकल्प आम लोगों के लिए सुविधाजनक नहीं हैं।

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