देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के फार्मेसी विभाग एवं शांतिकुंज हरिद्वार में आयुर्वेदाचार्य भगवान धन्वंतरि की जयंती श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई गई। इस अवसर पर आयुर्वेद के पुनरुत्थान एवं प्राकृतिक जीवनशैली को अपनाने का आह्वान किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ फार्मेसी विभाग परिसर में सामूहिक हवन एवं भगवान धन्वंतरि पूजन से हुआ। विद्यार्थियों एवं शिक्षकों ने वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य भगवान धन्वंतरि से आरोग्य, समृद्धि एवं जीवन में संतुलन की प्रार्थना की।
अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने संदेश दिया कि “भगवान धन्वंतरि देवताओं के वैद्य हैं और उन्हें भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। उन्होंने आयुर्वेद शास्त्र की स्थापना कर मानवता को स्वास्थ्य, संतुलन और दीर्घायु का मार्ग प्रदान किया।”
देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति युवा आइकॉन डॉ. चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि “ईश्वर ने हमें श्रेष्ठ मानव काया दी है। इसे प्राकृतिक जीवनशैली द्वारा स्वस्थ रखकर जीवन के उच्चतम उद्देश्य की ओर अग्रसर होना ही हमारी साधना है।”
शांतिकुंज मुख्य सभागार में आयोजित संगोष्ठी में सभी वक्ताओं और प्रतिनिधियों ने भगवान धन्वंतरि से जुड़ी पौराणिक एवं आयुर्वेदिक परंपराओं का उल्लेख करते हुए प्रकृति के अनुकूल जीवन जीने की प्रेरणा दी।
उपस्थित प्रमुख सदस्य एवं वक्ता के तौर पर योगेन्द्र गिरि, डॉ. वन्दना श्रीवास्तव, डॉ. ज्ञानेश्वर मिश्र, डॉ. अलका मिश्रा, डॉ. ए.के. पाण्डेय, डॉ. भावना शर्मा, डॉ. चंचल त्रिपाठी, डॉ. नेहा भट्ट, डॉ. मोनिका शर्मा, डॉ. अर्चना पाण्डेय, प्रो. रविशंकर तिवारी, डॉ. अजय शर्मा उपस्थित थे।
कार्यक्रम में फार्मेसी विभाग के संकाय सदस्य, विद्यार्थी, शोधार्थी एवं शांतिकुंज परिवार के अनेक प्रतिनिधि उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में सभी ने आयुर्वेद के प्रचार-प्रसार और समग्र आरोग्य अभियान को गति देने का संकल्प लिया।
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