चिकित्सा पाठ्यक्रम के प्रथम वर्ष की मुख्य परीक्षा और सप्लिमेंटरी के बाद फेल होने के बाद या छोड़ने के बाद जो सीट रिक्त होती हैं उस सीट पर बीमारी के आधार के दूसरे वर्ष में मेरिट के आधार पर महाराष्ट्र के अन्य हिस्सों में ट्रासंफर की नीतियां थी। लेकिन अचानक इस साल, कोई नोटिस दिए बिना ही उसमे 40 प्रतिशत विकलांगता की शर्त रखी गई हैं। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने चिकित्सा शिक्षा मंत्री अमित विलासराव देशमुख से मुलाकात कर पुरानी नीतियों पर ट्रांसफर करने का अनुरोध किया हैं।
जबकि इस वर्ष चुनाव आचार संहिता इस वर्ष चिकित्सा पाठ्यक्रम हस्तांतरण नीति के हस्तांतरण के लिए पहले ही विलंबित हो चुकी है, बिना किसी पूर्व सूचना के, 40 प्रतिशत या अधिक विकलांगता के साथ प्रचलित नीति में अचानक परिवर्तन हुआ है।उपरोक्त परिवर्तन को लेकर अनिल गलगली की शिकायत हैं कि यह प्राकृतिक न्याय के खिलाफ हैं क्योंकि यह छात्रों और अभिभावकों को पूर्व सूचना के बिना अचानक बनाया गया था। पहले से ही प्रक्रिया में देरी के कारण, छात्रों को निराशा हुई है और इतने कम समय में उनके लिए अचानक परिवर्तन के रूप में प्रमाणपत्र प्राप्त करना असंभव है। इसलिए पिछली नीति के अनुसार इस साल कार्रवाई करने का अनुरोध अनिल गलगली ने किया हैं।
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