Sunday 11 June 2017

भारतीय भाषाओं पर गंभीर संकट – राहुल देव

देश के राष्ट्रपति के हाथों इस साल का अतिप्रतिष्ठित गणेशशंकर विद्यार्थी पुरस्कार पाने वाले वरिष्ठ पत्रकार और ‘भारतीय भाषाओँ ऐक्टिविस्ट’ राहुल देव का कहना है कि केवल हिंदी ही नहीं समस्त भारतीय भाषाओं का भविष्य गंभीर ख़तरे में हैं। अगर सरकार और जनता का रुझान इसी तरह अंग्रेज़ी की ओर रहा तो 2050 से भारतीय भाषाएं विलुप्त होने लगेंगी और भाषा के साथ भारतीय संस्कृति भी इतिहास का हिस्सा बन जाएगी।

मुंबई में करीब एक दशक तक पत्रकारिता करने वाले राहुल देव को राष्ट्रपति के हाथों गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार मिलने पर यहां मुंबई के प्रेस क्लब में साहित्यकार पुष्पा भारती, पत्रकारिता के पुरोधा नंदकिशोर नौटियाल और वरिष्ठ पत्रकार सचिंद्र त्रिपाठी के हाथों सम्मान किया गया। श्री देव को अभियान का स्मृति चिन्ह , शॉल श्रीफल व पुष्पगुच्छ देकर अभिनन्दन किया गया। शनिवार को समारोह का आयोजन  मुम्बई प्रेस क्लब और सामाजिक सांस्कृतिक संस्था अभियान  की ओर से किया गया था।

क़रीब एक दशक से भारतीय भाषों के आंदोलन से जुड़े और केंद्रीय गृह मंत्रालय का राजभाषा समिति के सदस्य राहुल देव ने कहा कि किसी भाषा के ज़िंदा रहने के लिए उसकी बोलचाल, लेखन कार्य और पाठन कार्य के लिए इस्तेमाल होना बहुत ज़रूरी है, लेकिन हिंदी ही नहीं तमाम भारतीय भाषाएं धीरे-धीरे अपने शब्द खो रही है। भारतीय भाषाओं के तमाम शब्दों की जगह अंग्रेजी के शब्द ले रहे हैं। राहुल देव ने कई शब्दों का उदाहरण देते हुए कहा कि आज मां को हर भाषा का बच्चा मदर और मॉम कहने लगा है। इसी तरह लोग पिता को डैड और फॉदर कहने लगे हैं।

राहुल देव ने आगे कहा, “इतना ही नहीं आम बोलचाल में रसोई की जगह किचन, कमरे की जगह रूम और मेज-कुर्सी की जगह टेबल-चेयर ने ले लिया है। अगर अंग्रेज़ी बोलचाल, लेखन और पाठन में इसी तरह दख़ल रहा तो इस सदी के अंत तक भारतीय भाषाएं विलुप्त हो जाएंगी। हिंदी या दूसरी भाषा केवल लोग बोलोंगे, लिखेंगे-पढ़ेंगे नहीं।”

राहुल देव ने खेद के साथ इसके लिए हिंदी समाज को ज़िम्मेदार ठहराया और कहा कि आधुनिकता के चक्कर में हिंदी समाज अपनी ही संस्कृति से कटा जा रहा है। राहुल देव ने भारतीय भाषाओं को उनका स्थान दिलाने के लिए एक राष्ट्रीय आंदोलन की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।

समारोह में वरिष्ठ पत्रकार नंदकिशोर नौटियाल ने मुंबई में जनसत्ता के प्रकाशन से जुड़े कई अनछुए पहलुओं का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय भाषाओं को आसन्न संकट से बचाने के लिए युवाओं को आगे आना चाहिए। पुष्पा भारती ने अपने संबोधन में कहा कि गणेश शंकर विद्यार्थी , बाबूराव विष्णु पराड़कर और दुर्गाप्रसाद मिश्र  की परंपरा के पत्रकार हैं राहुल देव।उन्होंने कहा कि हिंदी के कई गूढ़ शब्द ही हिंदी के विकास में बाधा हैं। वरिष्ठ पत्रकार शचिंद्र त्रिपाठी ने राहुल देव की पत्रकारीय यात्रा के स्वर्णिम समय पर प्रकाश डाला । मुम्बई प्रेस क्लब के कोषाध्यक्ष ओम प्रकाश तिवारी ने कार्यक्रम की प्रस्तावना रखी। इस समारोह का संचालन अमरजीत मिश्र ने किया और राहुल देव को सिर्फ एक पत्रकार नहीं,बल्कि लक्ष्य के प्रति संकल्पित एक्टिविस्ट भी बताया। अपने अलग अंदाज में आभार कन्हैयालाल सराफ ने माना।

इस अवसर पर पत्रकार अनुराग त्रिपाठी ,विमल मिश्र ,डॉ राजम नटराजन,रत्ना झा ,समाजसेवी स्वरूपचन्द गोयल, सुरेश अग्रवाल , परिवार के सुरेश शर्मा, अमर त्रिपाठी , संजीव निगम ,महाराष्ट्र हिंदी अकादमी के सदस्य डॉ शीतलाप्रसाद दुबे व हरिगोविंद विश्वकर्मा, प्रमिला शर्मा, प्रीतम सिंह त्यागी , गोपाल शर्मा , आरटीआई एक्टिविस्ट अनिल गलगली, अनिल त्रिवेदी, आदित्य दुबे , आनंद मिश्र , एल बी सिंह, शुभ्रांशु दीक्षित समेत अनेक पत्रकार साहित्यकार उपस्थित थे।

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