पवन तिवारी को त्यागमूर्ति हिडिम्बा के लिए अग्निशिखा मंच द्वारा मिला आचार्य चतुरसेन शास्त्री पुरस्कार – २०२५
मुलुंड (प.) स्थित मुक्तेश्वर महादेव मंदिर के प्रांगण में अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच की ओर से तथा संजय दुबे के संयोजन में आचार्य चतुरसेन शास्त्री पुरस्कार समारोह का गरिमापूर्ण आयोजन किया गया. अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन के उपरान्त कवयित्री पल्लवी रानी ने माँ शारदा की सुंदर वन्दना प्रस्तुत की. उसके बाद अतिथियों का स्वागत परम्परागत शैली में शाल और तुलसी का पौधा भेंट करके किया गया.
अखिल भारतीय अग्निशिखा मंच की ओर से प्रारम्भ किये गये पहले आचार्य चतुरसेन शास्त्री पुरस्कार २०२५ पवन तिवारी को दिए जाने पर वरिष्ठ साहित्यकार हरीश पाठक प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह सर्वथा श्रेष्ठ निर्णय है. इसके लिए मैं चयन समिति का आभार प्रकट करता हूँ. जिस तरह पवन तिवारी पूरे समर्पण और निष्ठा पूर्वक साहित्य साधना में लगे हैं. उसे देखते हुए मैं कह सकता हूँ कि इन्हें भविष्य में ज्ञानपीठ पुरस्कार भी मिल सकता है. जिस स्तर का इनका शोध व चिन्तन है, वह नये लेखकों के लिए प्रेरणा दायक है. पवन तिवारी को अपने हाथों पुरस्कृत करते हुए मुझे बड़ी ख़ुशी हो रही है. संस्था अध्यक्ष अलका पाण्डेय को मैं विगत ४० वर्षों से जानता हूँ. उन्होंने समाज और साहित्य की लम्बे समय से निस्स्वार्थ सेवा की है. साहित्य में नई प्रतिभाओं को उन्होंने सतत प्रोत्साहन दिया है. आज के इस महत्त्वपूर्ण आयोजन के लिए अलका पाण्डेय, अग्निशिखा मंच और पुनः भाई पवन तिवारी को अनेक बधाई देता हूँ. सभी अतिथियों एव वक्ताओं ने पवन तिवारी के लेखन और व्यक्तित्त्व की सराहना करते हुए बधाई दी.
संस्था की अध्यक्ष अलका पाण्डेय ने अपने प्रस्तावना उद्बोधन में कहा कि मैंने पवन तिवारी की अब तक प्रकाशित सभी कृतियाँ खरीद करके पढ़ी हैं. उनमें प्रतिभा का भंडार है, किंतु जब मैंने त्यागमूर्ति हिडिम्बा पढ़ी तो में आश्चर्य से भर गयी. उनके लेखन में शिल्प और भाषा के साथ कथ्य की ऐसी शानदार बुनावट है कि उस बुनाई में पाठक भी उस बुनाई का हिस्सा हो जाता है और फिर हिडिम्बा जैसे उपेक्षित स्त्री पात्र को पवन जी ने न केवल सम्मान दिया बल्कि अपनी लेखनी से प्रतिष्ठित किया. वह अभिनंदन के योग्य है. मैंने तभी निश्चय कर लिया था कि इस कृति और कृतिकार का सम्मान होना चाहिए और आज वह कल्पना फलीभूत होते देखकर मैं प्रसन्न हूँ.
उसके पश्चात यह पुरस्कार चर्चित युवा साहित्यकार को अपने बहुचर्चित कृति त्यागमूर्ति हिडिम्बा के लिए समारोह अध्यक्ष हरीश पाठक के हाथों एवं समाजसेवी डॉ बाबूलाल सिंह, वरिष्ठ कवि डॉ. अशोक तिवारी, वरिष्ठ रचनाकार कमलेश पाठक, वरिष्ठ कवि रामप्यारे सिंह रघुवंशी के सानिध्य में आचार्य चतुरसेन शास्त्री पुरस्कार – २०२५ प्रदान किया गया. समारोह का उत्कृष्ट संचालन कुमार जैन ने किया.
इस समारोह की अध्यक्षता हरीश पाठक ने की. मुख्य अतिथि रही कमलेश पाठक, मुख्य वक्ता रहे रामप्यारे सिंह रघुवंशी, विशेष अतिथि रहे डॉ. अशोक तिवारी, दिव्या जैन एवं बाबूलाल सिंह. ज्ञात हो कि पवन तिवारी को अपने पहले उपन्यास अठन्नी वाले बाबूजी के लिए महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के जैनेन्द्र पुरस्कार सहित अनेक राष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान प्राप्त हो चुके हैं.
वरिष्ठ समाजसेवक डॉ. बाबूलाल सिंह ने कहा कि मैं पवन जी को तब से देख रहा हूँ जब वे नाईट स्कूल में नौवीं कक्षा के छात्र थे. उनका यह तक का सफर प्रेरणादायक है. मैं उन्हें बधाई देता हूँ. संजय दुबे ने अपने जोश पूर्ण व्यक्तव्य से सब को आकर्षित किया. उन्होंने कहा मैं मंच से 30 वर्षों से जुड़ा हूं. मेरी शादी के पहले से कई आंदोलनों का हिस्सेदार हूं. मैं यह पुस्तक अवश्य पढूंगा और जब कभी मेरी सेवाओं की आवश्यकता होगी में मंच के साथ खड़ा रहूंगा.
पवन तिवारी पुरस्कृत होने के बाद अपने उद्बोधन के समय थोड़े भावुक भी हो गये. उन्होंने कहा कि इसी मुलुंड में कभी स्ट्रीट लाईट के नीचे पढ़ते हुए नाईट स्कूल में नौंवी की परीक्षा दी थी. आज उसी मुलुंड में पुरस्कृत होते हुए अच्छा लग रहा है.
जन भाषा प्रचार समिति के अध्यक्ष एव वरिष्ठ कवि नंदलाल क्षितिज, कलमकार संस्था के अध्यक्ष वरिष्ठ रचनाकार रामस्वरूप साहू, नवांकुर संस्था की अध्यक्ष लक्ष्मी यादव, राष्ट्रीय काव्य परिषद के अध्यक्ष रमाकांत ओझा लहरी, कार्यक्रम के संयोजक एवं मुलुंड नागरिक सभा के अध्यक्ष संजय दुबे, वरिष्ठ कवि हैरान जौनपुर, सदाशिव चतुर्वेदी, हेरम्ब तिवारी, ओमप्रकाश सिंह, ओम प्रकाश तिवारी, कल्पेश यादव, प्रज्ज्वल वागदरी, सत्यवती मौर्य, मृदुला मिश्रा, प्रभा शर्मा, शिल्पा सोनटक्के, नीरजा ठाकुर, क्राइम प्वाइंट की सम्पादक कमलेश गुप्ता, वेस्टर्न आब्जर्वर के सम्पादक प्रमेन्द्र सिंह सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति इस समारोह के साक्षी रहे. कवयित्री प्रभा शर्मा एव वरिष्ठ रचनाकार शिल्पा सोनटक्के ने पवन तिवारी का व्यक्तिगत रूप से भी सम्मान किया. आभार व्यक्त मंच की सदस्य नीरजा ठाकुर ने किया.
पवन तिवारी का जीवन बड़ा संघर्षमय रहा. वे विषम पारिवारिक परिस्थितियों १५ साल की उम्र में उत्तर प्रदेश के अम्बेडकरनगर के जहाँगीर गंज के अलाउद्दीनपुर से मुंबई आ गये और मजदूरी करके नाईट स्कूल में पढ़ाई करते हुए लेखन जारी रखा और आज इस स्तर तक पहुंचना निश्चित ही समाज के लिए उनका व्यक्तित्त्व प्रेरणादायक है.
No comments:
Post a Comment