महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल राम नाईक के प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि बालयोगी श्री सदानंद महाराज आश्रम को सरकार वसई के पास तुंगारेश्वर पर्वत पर 69 गुंटा जमीन देने पर सकारात्मक विचार करेगी। इस प्रतिनिधिमंडल में आश्रम के सचिव केदारनाथ म्हात्रे एवं भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष जयप्रकाश ठाकूर उपस्थित थे।
वन संरक्षण अधिनियम, 1980 और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 के तहत संरक्षित भूमि के आवंटन के लिए राज्य सरकार से 'अनापत्ति पत्र' की आवश्यकता होती है। चूंकि यह मामला तीन साल से महाराष्ट्र सरकार के पास लंबित है। मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, वन मंत्री, संबंधित मामलों को संभालने वाले उच्च अधिकारी के अलावा आश्रम के तीन प्रतिनिधियों, स्वयं राम नाईक और सरकार से मामले को लेकर फॉलो अप करने वाले आरटीआई विशेषज्ञ अनिल गलगली के संयुक्त बैठक की मांग की। राम नाईक की मांग के बाद मुख्यमंत्री ने तद्नुसार बैठक बुलाने का वादा किया।
अनिल गलगली ने चार अलग-अलग आवेदन दाखिल किए हैं जिनमें निम्नलिखित मांगें की गई हैं। (1) आश्रम को 69 गुंठा भूमि दी जानी चाहिए। (2) भक्तों के आश्रमों में प्रवेश पर प्रतिबंध हटा दिया जाना चाहिए। (3) सातिवली से तुंगारेश्वर अभयारण्य में बॉक्ससाइट खदान तक मौजूदा 7.80 किमी सड़क की मरम्मत की जाए। (4) परशुराम कुंड और तुंगारेश्वर महादेव मंदिर को 2005 में 'सी' तीर्थ का दर्जा दिया गया था और पिछले 17 वर्षों में सरकार द्वारा कोई विकास कार्य नहीं किया गया है।
राम नाईक ने मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के साथ सकारात्मक चर्चा हुई है और आश्रम और भक्तों की समस्याओं का समाधान संयुक्त बैठक के माध्यम से किया जाएगा। इसके अलावा राम नाईक की दो प्रसिद्ध पुस्तकें 'चारैवेती! चरैवेती !!' और 'कर्म योद्धा राम नाईक' मुख्यमंत्री को भेंट दी।
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