मुंबई विद्यापीठ में समय पर परीक्षा का परिणाम घोषित करना और परीक्षा समय पर लेने की जिम्मेदारी जिस परीक्षा नियंत्रक की होती हैं वह पद गत 17 महीने से रिक्त होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई विद्यापीठ ने दी है। विशेष यानि मुंबई विद्यापीठ ने 2 बार विज्ञापन पर अबतक रु 139,816/- खर्च करने के बाद परीक्षा नियंत्रक पद के लिए उपयुक्त व्यक्ती नहीं मिलने पर अचरज जताया जा रहा हैं। परीक्षा नियंत्रक पद रिक्त होने के दिनांक से छह महीने तक पद नहीं भरा गया तो सरकार ने परीक्षा नियंत्रक की जिम्मेदारी का निर्वाह करने के लिए उपयुक्त व्यक्ति को प्रतिनियुक्ती पर नियुक्ती करने की नीतियों को नजरअंदाज किया गया हैं। ताज्जुब की बात यह हैं कि दोनों बार डॉ संजय देशमुख ने वैध उम्मीदवारों को दरकिनार करते हुए यह पद रिक्त रखने में योगदान दिया।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई विद्यापीठ से परीक्षा नियंत्रक की नियुक्ती पर जानकारी मांगी थी। मुंबई विद्यापीठ के सहायक कुलसचिव विकास डवरे ने अनिल गलगली को बताया कि 7 अक्टूबर 2015 और 16 अगस्त 2016 को परीक्षा नियंत्रक के लिए 2 बार विज्ञापन जारी किया। इनपर क्रमशः रु 91,768/- और रु 48,048/- इतना खर्च हुआ। वाईस चांसलर ने नियुक्त किए गए स्क्रूनिटी कमिटी के डॉ अभय पेठे, डॉ सिद्धेश्वर गडदे और डॉ अशोक महाजन ने 24 में से 4 नामों को वैध पाया लेकिन वाईस चांसलर डॉ संजय देशमुख चयन कमिटी ने 9 मई 2016 को एक भी उम्मीदवार उपयुक्त न होने का फैसला सुनाया। उसके बाद जारी दूसरे विज्ञापन पर वाईस चांसलर में नियुक्त की गई स्क्रुनिटी कमिटी के डॉ अभय पेठे, डॉ विजय जोशी, डॉ मुरलीधर कुऱ्हाडे और डॉ उदय साळुंके ने 14 में से 10 लोगों के नामों को वैध पाया लेकिन 5 अक्टूबर 2016 को संपन्न हुई बैठक में वाईस चांसलर डॉ संजय देशमुख चयन कमिटी ने दोबारा एक भी उम्मीदवार उपयुक्त न होने का दावा कर नया विज्ञापन देने का आदेश दिया।
अनिल गलगली के मुताबिक विज्ञापन पर रु 139,816/- खर्च करने के बाद परीक्षा नियंत्रक पद के लिए उपयुक्त व्यक्ती का चयन करने की प्रक्रिया में वाईस चांसलर ने अधिक समय गंवाया और इस पद को लेकर सरकार ने भी नजरअंदाजी की हैं क्योंकि यह पद 17 अगस्त 2015 से रिक्त होने की तारीख से 6 महीने तक पद नहीं भरा गया तो सरकार ने परीक्षा नियंत्रक की जिम्मेदारी को निभाने के लिए उपयुक्त व्यक्ती की प्रतिनियुक्तीपर नियुक्ती करने की नीतियां होते हुए महाराष्ट्र सरकार ने महाराष्ट्र विद्यापीठ अधिनियम, 1994 के नियमों का उल्लंघन करने का आरोप अनिल गलगली ने किया हैं और जिम्मेदार अधिकारियों पर कारवाई करने प्रतिनियुक्ती पर अधिकारी की नियुक्ती करने की मांग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिक्षा मंत्री विनोद तावडे को भेजे हुए पत्र में की हैं।
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