नोटबंदी के बाद जाली नोट का शोध लगाना आसान होने का सरकारी दावा आरबीआई के एक आरटीआई जबाब से फुस्स होने की बात स्पष्ट हो रही हैं। रद्द किए गए नोटों से प्राप्त जाली नोट के पक्के आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं होने की जानकारी आरबीआई ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दी हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने आरबीआई से जानना चाहा था कि 8 नवंबर 2016 से लेकर 10 दिसंबर 2016 तक जिन बैंकों से रद्द किए गए नोटों में जाली नोट प्राप्त हुए हैं। उस बैंक का नाम, कुल जाली नोट, नोट का मूल्य और दिनांक की जानकारी दे। आरबीआई के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी पी. विजय कुमार ने अनिल गलगली को मुद्रा प्रबंधन विभाग के जाली नोट सतर्कता विभाग से प्राप्त जानकारी दी। मुद्रा प्रबंधन विभाग के जाली नोट सतर्कता विभाग ने दावा किया कि वांछित सूचना के पक्के आंकड़े भारतीय रिजर्व बैंक के पास उपलब्ध नहीं हैं।
देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी का फैसला लेते हुए कहा था कि इसकी मदद से हमें जाली नोटों को रोकने और आतंकवादियों को होने वाली फंडिंग को खत्म करने में मदद मिलेगी। लेकिन जो जबाब आरटीआई में आरबीआई ने दिया हैं उससे साफ़ हैं कि जाली नोटों पर शिकंजा कसने में या सरकार फेल हुई हैं या जाली नोट का हौव्वा खड़ा किया गया हैं। यह कहते हुए अनिल गलगली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की हैं कि जनहितार्थ जाली नोटों की जानकारी और आंकड़े सार्वजनिक करे।
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