Friday, 25 December 2015
नेशनल हेराल्ड को दिए जमीन पर बैंक बनाने के लिए स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज से हुआ था एग्रीमेंट
नेहरु- गांधी परिवार से जुडी मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनी ने नेशनल हेराल्ड के लिए स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज से एग्रीमेंट करने की सनसनीखेज जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को प्राप्त हुई हैं। स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज ने 10 लाख रुपए अदा किया था और बांद्रा में महाराष्ट्र की सबसे बड़ी को-ऑपरेटिव बैंक बनाने का टारगेट था।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय से मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनी के दस्तावेजों की जानकारी मांगी थी। अनिल गलगली को दी गई जानकारी से नेशनल हेराल्ड के लिए स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज से मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनी ने एग्रीमेंट करने का खुलासा हुआ हैं। स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज ने दिनांक 3 दिसंबर 2003 को मुंबई उपनगर के जिलाधिकारी को पत्र भेजकर दावा किया था कि सॉफ्टवेयर और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट क्षेत्र में कार्यरत स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज ने मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनी के साथ रिसर्च के लिए शैक्षणिक लायब्ररी और महाराष्ट्र की सबसे बड़ी को-ऑपरेटिव बैंक बनाने के लिए एग्रीमेंट किया हैं। उन्हें सुझाव दिया गया हैं कि जमीन की शेष रकम अदा करे इसलिए 10 लाख रुपए का चेक भेज रहे है और आउटस्टैंडिंग रकम की जानकारी दे ताकि उसे इंस्टालमेंट में अदा करना आसान होगा। स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज ने दिनांक 12 फरवरी 2003 को वायदा बाजार आयोग ने भेजे हुए उस पत्र की कॉपी भी जोड़ी थी जिसमें वायदा बाजार आयोग ने स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष और कार्यकारी निदेशक जी एस श्रीवास्तव को एसजीआय कमोडिटी एक्सचेंज मुंबई में खोलने की मंजूरी दी थी। यह मंजूरी वायदा बाजार आयोग ने स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज के दिनांक 14 जनवरी 2013 के अनुरोध पर जारी की थी।
स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज का चेक कुछ कारणों के लिए स्वीकार नही किया गया। उसके बाद कंपनी ने पुन: 24 मई 2004 को नए से 10 लाख रुपए का चेक भेजकर पुराना चेक मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय से वापस लिया। स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज ने दिनांक 31 दिसंबर 2004 को मेसर्स पिरानी एंड कंपनी ने पत्र भेजकर प्रॉपर्टी को खरीदने का दावा विचारधीन होने का तर्क दिया और दस्तावेजों को निरीक्षण करने से इंकार किया। उसके बाद 15 फरवरी 2005 को मुंबई उपनगर जिलाधिकारी को पत्र भेजकर अनुरोध किया कि टाइटल सर्टिफिकेट जारी करने के दौरान जमीन मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनी या स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज इनमें से किसको वितरित की हैं, इसकी जानकारी सूचित करे।
मुंबई उपनगर जिलाधिकारी ने दिनांक 5 फरवरी 2005 को मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनी के अध्यक्ष को पत्र भेजकर 99 लाख 71 हजार 894 रुपए अदा करे या उतने ही रकम की बिना शर्त बैंक गारंटी दे, ऐसा सूचित किया था।
इसतरह लगातार 30 वर्ष जमीन पर किसी भी तरह का निर्माण न करनेवाली मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनी ने एक निजी बिल्डर के साथ किया हुआ एग्रीमेंट स्पष्ट करता हैं कि पहले से ही मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनी की मानसिकता व्यावसायिक लाभ लेने की हैं, यह बताते हुए अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेजे हुए पत्र में मेसर्स असोसिएट जर्नल्स कंपनी ने स्वरुप ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्रीज से हुए एग्रीमेंट की नए सिरे से जांच कर कड़ी कार्यवाही करने की मांग की हैं।
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