Saturday, 19 December 2015
कब होगी आफ़ताब का कर्णावर्त तंत्रिका प्रत्यारोपण ?
अली यावरजंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुंबई द्वारा कर्णावर्त तंत्रिका प्रत्यारोपण ( Cochlear Implants Surgery ) को लेकर 4 वर्षीय आफ़ताब आलम खान का परिवार इस प्रतिक्षा में है कि उसका बच्चा प्रत्यारोपण के बाद सुन सकेगा लेकिन लालफीताशाही के चलते गत 1 वर्ष से तारीख पर तारीख मिल रही हैं। इस पुरे मामले की शिकायत आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत से कर ऐसे संवेदनशील मामले में होनेवाली देरी के संबंध में जांच कर पीड़ितों को न्याय और गैरजिम्मेदारान अफसरों एवं डॉक्टरों पर कारवाई करने की मांग की हैं।
मुंबई के साकीनाका निवासी अब्दुल रहीम खान का 4 वर्षीय बेटा आफ़ताब आलम खान गत 20 नवंबर 2014 से आज तक कर्णावर्त तंत्रिका प्रत्यारोपण (Cochlear Implants Surgery) के लिए भागदौड़ कर रहा हैं। अली यावरजंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुंबई को दिनांक 17 दिसंबर 2014 को उनके बेटे की सर्जरी को मंजूरी दी और दिनांक 12 फरवरी 2015 को पत्र भेजकर नायर अस्पताल स्थित डॉ बछि हाथीराम से संपर्क करने को कहा। वहां पर करीब 6 बार डॉ बछि और डॉ विकी ने देखा जिसके लिए 45 बार जाना पड़ा। यहाँ से उन्होंने एक रिपोर्ट बनाकर अली यावरजंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुंबई को भेज दी। फिर यहाँ पर नए सिरे से टेस्ट की गई। जबकि भाजपा के सांसद डॉ किरीट सोमैया ने 20 मई 2015 को पत्र भेजकर 26 मई 2015 को मलबार हिल स्थित राजभवन में आमंत्रित भी किया जहां पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उपस्थित थे। बच्चे के दोनों कान में मशीन लगी है जिसकी किंमत 13,500 रुपए की है। जिसके लिए फिल्म अभिनेता सलमान खान और अरबाज खान ने 10,000 रुपए दिए थे। मशीन से लाभ न होने पर कर्णावर्त तंत्रिका प्रत्यारोपण( Cochlear Implants Surgery) की जरुरत बताई गई। इसतरह एक छोटीसी सर्जरी के लिए गत 1 वर्ष से केंद्र सरकार का संस्थान अली यावरजंग राष्ट्रीय श्रवण विकलांग संस्थान, मुंबई दौड़ा रहा हैं । इसके अलावा कल्याण निवासी शाकिर बेग का बेटा हसनेन और बेटी हमजा को भी 8 महीने से दौड़ाया जा रहा हैं। अनिल गलगली के अनुसार अगर केंद्र सरकार की मदद करने की क्षमता नही है तो सीधे कहना चाहिए नाकि 4 वर्षीय बच्चे के जीवन से खिलवाड़ करना चाहिए। न जाने ऐसे कितने मामले होगे जो केंद्र सरकार की लचर व्यवस्था और लालफीताशाही की बलि न चढ़ जाए। यह तो विकलांगों से अन्याय समान हैं। ऐसे मामलों में समय अवधि तय होनी चाहिए ताकि विकलांग व्यक्ती अन्य विकल्प की तलाश कर सके, ऐसी मांग अनिल गलगली ने की हैं।
पीड़ित अब्दुल रहीम खान के अनुसार वे सरकार पर निर्भर हैं। जिसके चलते वे अन्य जगह भी न जाने पर विवश हैं। बच्चे की सर्जरी होती हैं तो उसकी पढाई भी शुरु होगी और उसे दिक्कत नही होगी। अनिल गलगली ने ट्विटर पर केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत को ट्विट करने पर उन्होंने पीड़ित का आवेदन मांगा जो उनके ईमेल पर शुक्रवार, 18 दिसंबर को भेजा गया हैं।
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