Thursday, 10 December 2015
गांधी परिवार के मुंबई के प्लाट पर 11 मंजिली बिल्डिंग का निर्माण जारी
एक समय कॉंग्रेस का मुखपत्र होनेवाले नॅशनल हेरॉल्ड और कौमी एकता इस अखबार का संचालन करने वाले मे. असोसिएटेड जर्नल्स इस कंपनी को मुंबई में प्राइम लोकेशन पर पेपर चलाने दी गई जमीन पर आज 11 मंजिली बिल्डिंग का निर्माण काम जारी होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मनपा प्रशासन ने दी हैं। लीज की रकम कंपनी ने समय पर न अदा करने से रु. 2.79 करोड़ का ब्याज सरकार ने माफ करने का पराक्रम आदर्श फेम अशोक चव्हाण ने किया था जिससे सरकारी खजाना को चपत लगी। जिस काम से जमीन दी गई थी उसके तहत निर्माण किया जानेवाला अखबार ऑफिस, नेहरू मेमोरियल लायब्ररी एवं संशोधन केंद्र का कोई पता नही हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मनपा के इमारत प्रस्ताव कार्यालय से मेसर्स असोसिएट जनरल कंपनी को दी गई अनुमति की जानकारी मांगी थी। मनपा ने दिनांक 14 जून 2013 को मेसर्स असोसिएट जनरल कंपनी के चेयरमैन मोतीलाल वोरा को आरंभ प्रमाणपत्र ( commencement सर्टिफिकेट) जारी किया। ये जमीन विमानपत्तन प्राधिकरण की सीमा रेषा में आने से 5 फरवरी 2014 को एनओसी जारी की। उक्त बिल्डिंग 11 मंजिली है और 135 गाडियों की पार्किंग अनिवार्य की गई हैं।
उक्त बिल्डिंग 11 मंजिली है और 11 मंजिली बिल्डिंग में इमारतीत ग्राउंड फ्लोर से 11वें फ्लोर तक कुल 14 कार्यालय हैं जिसमें कही भी अखबार का ऑफिस,ग्रंथालय, संशोधन केंद्र का कोई पता नहीं हैं। अनिल गलगली ने इस मामले को लेकर सरकार को पत्र व्यवहार करने के बाद भी किसी भी तरह की कारवाई नही हुई हैं। अनिल गलगली ने उक्त जमीन पर निर्माणधीन काम को ताबडतोब रोकने की मांग की हैं। यह जमीन पर मुल आरक्षण के अंतर्गत अनुसूचित जाती के छात्रों के लिए होस्टल के लिए आरक्षित थी। इसलिए यह जमीन सरकार वापस ले वहां पर पिछड़े छात्रों के लिए होस्टल बनाया जाए, ऐसी मांग अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से की हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय ने दिए हुए जबाब में कौड़ी के दाम में जमीन मिलने की हकीकत बयान हैं। महाराष्ट्र सरकार ने दिनांक 4/8/1983 को मे.असोसिएटेड जर्नल्स इस कंपनी को दैनंदिन नॅशनल हेरॉल्ड और कौमी एकता अखबार चलाने तथा नेहरू मेमोरियल लायब्ररी एवं संशोधन केंद्र के निर्माण के लिए 4186 वर्ग मीटर इतनी बड़ी जमीन दी थी। लेकिन इस जमीन पर कंपनी ने ना अखबार का कार्यालय शुरु किया ना नेहरू स्मृृती ग्रंथालय बनाया। जबकि यह जमीन 1964 से पिछड़ो वर्ग के छात्रों के होस्टल के लिए मंजूर थी। तक्तालीन मुख्यमंत्री अब्दुल रहमान अंतुले ने यह जमीन निदेशक ,समाजकल्याण से निकालकर गांधी परिवार को दी थी। कंपनी ने इस जमीन पर अखबार का कार्यालय, ग्रंथालय, संशोधन केंद्र इसमें से कुछ भी नहीं खड़ा किया। सरकार ने जमीन ३० वर्ष की लीज पर दी थी। लेकिन,कुछ भी इस्तेमाल किए बिना ही लीज बढाकर मिले और ब्याज माफ़ हो, ऐसी मांग कंपनी ने की और सरकार ने आंखे बंद कर यह लीज बढाकर दी।आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने तत्कालीन मिस्टर क्लीन मुख्यमंत्री को लिखे हुए पत्र में मांग की थी कि यह जमीन जिस उद्देश के दी गई थी,उसके लिए न इस्तेमाल होने से जमीन सरकार ने वापस लेनी चाहिए। पत्र में आगे लिखा है कि मुलत: यह जमीन पिछड़े जाती के छात्रों के होस्टल के लिए आरक्षित थी। इसलिए यह जमीन सरकार वापिस लेकर वहां पर पिछड़े जाती के छात्रों के लिए होस्टल बनाया जाए।इस जमीन का वर्तमान बाजारमूल्य 250 करोड़ रुपए होने की बात अनिल गलगली ने पत्र में कहते हुए मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण को दो बार पत्र भेजने के बावजूद सरकार ने कोई भी कारवाई नहीं की ना रु. 2.79 करोड़ का माफ किया हुआ ब्याज वसूल किया जो 2001 वर्ष में तत्कालीन राजस्व मंत्री आदर्श फेम अशोक चव्हाण में उदारवादी बनकर माफ करने का पराक्रम किया था। अनिल गलगली के जद्दोजहद के बाद मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय ने रु.3,29,842 इतना जुर्माना लेकर कंपनी को दिनांक 22/12/2014 तक निर्माण पूर्ण करने का और एक मौका देकर समयसीमा बढ़ा दी है। रातदिन काम शुरु होने से आसपास के नागरिकों को परेशानी का सामना करना पड रहा है लेकिन पुलिस और मुंबई उपनगर जिलाधिकारी कार्यालय कोई भी कारवाई नहीं कर रहा है।
२००० वर्ष में कंपनी के इस जमीन की हद में बदल कर सब डिवीज़न कर एक जमीन का हिस्सा साईप्रसाद हाऊसिंग संस्था को दिया गया। इस सोसायटी की स्थापना कॉंग्रेस का एक नेता राजीव चव्हाण ने की थी और फिलहाल आय से अधिक संपत्ती से फंसे पूर्व गृह राज्यमंत्री कृपाशंकर सिंह भी सोसायटी के सदस्य है। बांद्रा रेलवे स्टेशन से कुछ ही अंतर पर और वेस्टर्न एक्सप्रेस हायवे को सटी हुई जमीन है। इस सोसायटी में सिर्फ कृपाशंकर सिंह ही नहीं तो कई आईएएस और अन्य बड़े अफसर फ्लॅटधारक है। इनमें कई अधिकारियों के पास पहले से ही मुंबई और अन्य स्थानों पर फ्लॅट है। तो कुछ का अधिकारी आदर्श घपले में भी फसे हुए है। यह जमीन सोसायटी को दी गई थी तब कृपाशंकर सिंह यह मुंबई उपनगर के पालकमंत्री थे,यह विशेष है।इनमें वर्तमान मुख्य सचिव स्वाधीन क्षत्रिय, पूर्व मनपा आयुक्त जयराज फाटक, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हिमांशु राय, सूचना आयुक्त अजित जैन,बिपिन कुमार सिंह,मिलिंद शंभरकर,हेमंत कोटिकर,डॉ.अविनाश ढाकणे, किशोर गजभिए, कलेक्टर एस संगीतराव का भाई और लड़की का फ्लॅट है।
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Subject: Torching a Senior Citizen for Grabbing my premises with the help of BMC Mumbai.
ReplyDeleteBMC Mumbai is supporting the entire illegalities of the builder Madanlal Gupta ( Basant Vikas Developer) and Mumbai Police is not filling FIR in this case.
Site on Survey Number 24, CTS No-101,96 & 97 Of Vikas Centre, Wadhavli Village,Chembur,Mumbai-400074.
Dear Sir,
I am Senior Citizen & Widow I would like to seek your intervention in the above matter as I am a Victim of been harassed by the builder Mr.madanlal Gupta ( Basant Vikas Developer) the land lord & no cooperation of BMC Mumbai & the Police department is also not listingto my grievances.
I have been writing several letters to the BMC from the time, the builder mr.madanlal gupta had taken the premises for development but with deaf hears.
I have been on record to the police department & BMC for stopping the illegalities & grabbing the area and stopping my right of way & not allowing my business to flarish which I was working in the premises last 40 years.
My husband & my son were doing Steel Business in the premises selling a Steel products.
We was supplying steel to builders from the premises after Mr Madanlal gupta took the premises for development he started harassing by cutting my water supply and electricity was disconnect several times so that we should shut the business & runaway .
I was shocked to see all this after my husband expiring the builder Madanlal gupta started a abusing and stopping our business activity & I was unable to get the trucks in the premises and mr madanlal gupta has started constructing he demolished several tress with the help of BMC which was more than 100 years old.
There is a no Law which Mr.Madanlal gupta has violated for doing the illegal construction has he used to always boost bravely say no body can touch the builders as the builders hand are very big all the laws and order machinery dance on their finger tips.
I after my husband death started sending several letters to the BMC & various department government of Maharashtra & government of India.
I was shocked as if the entire government machinery really dancing on the builders say everything was following in favour the builders.
I was offered to take alternated by builder in same the premises as per the discussion he also back out on his word he started blackmailing us me & my son by giving falls stories & pressure us to take lum sum money which was pee nuts to the area which we were occupying.
I need your help as the property has a Bombay High Court Receiver sitting on the premises & I was obstructed not to the entire premises for doing carrying on Monson repairs in front of the Court receiver I had to take police protection which also was on the instruction of Bombay High Court.
I wonder has mr madanlal gupta is not fearing to the Bombay high court than who is he is he a Politician / gonads.
I approach the police department for investigation & filling FIR in obstructing our access in to the premises & obstructing the Bombay high court receiver its representative of the Bombay High Court.
Police department of Mumbai is not taken any action by filling a FIR against the builders, BMC Mumbai is not taken any action against the builder as the premises and the court receiver sitting on the same survey number & the building has been constructed by the support of BMC by possing with deaf hear not entreating my grievances and given full support to the builders carrying on all violation and illegalities on the property.