Saturday, 31 December 2016

बैंकों को दी गई रकम की जानकारी सार्वजनिक करने से आरबीआई का इंकार - आरटीआई 

8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के बाद किन बैंकों को कितनी रकम दी गई? इस पर जानकारी देने के बजाय आरबीआई ने साधा मौन संदेहास्पद हैं। आरबीआई का अजब दावा यह हैं कि बैंकों को दी गई रकम की जानकारी सार्वजनिक करने पर व्यक्ती के जीवन को खतरा होगा था विधि प्रवर्तन या सुरक्षा प्रयोजन को विश्वास में दी गई सूचना के स्त्रोत की पहचान होगी। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने आरबीआई द्वारा जानकारी न देने पर सूचना का अधिकार के तहत चुनौती हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने आरबीआई से जानकारी मांगी थी कि किन बैंकों को कितनी रकम दी गई। आरबीआई के केंद्रीय जन सूचना अधिकारी पी विजय कुमार ने बैंकों को जारी की गई रकम पर मौन साधते हुए अनिल गलगली को बताया कि आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 8(1) (जी) के तहत यह सूचना सार्वजनिक करने से इन्कार किया। आरबीआई का तर्क ये था की इस सूचना के प्रकट करने से किसी व्यक्ती के जीवन या शारीरिक सुरक्षा को खतरे में डालेगा तथा जो विधि प्रर्वतन या सुरक्षा प्रयोजन को विश्वास में दी गई सूचना या सहायता के स्त्रोत की पहचान करेगा।

अनिल गलगली ने आरबीआई के इस तर्क को बेहूदा बताते हुए आरबीआई की मुद्रा प्रबंध विभाग की कार्यपाल निदेशक डॉ दीपाली पंत जोशी के पास चुनौती दी हैं। बैंकों को दी गई धनराशि की जानकारी सार्वजनिक करने से किसी भी व्यक्ती को जीवित या शारीरिक सुरक्षा का खतरा नहीं होगा ना इससे सुरक्षा खतरे में आएगी। अनिल गलगली का मानना हैं कि नोटबंदी के दौरान सरकारी बैंकों की तुलना में निजी बैंकों को अधिक रकम देने से नोट की अदला बदली आरबीआई ने तय की सीमा से अधिक हुई और चंद लोगों के पास बड़े पैमाने पर नई करंसी बरामद हुई। जिससे यह जानकारी सार्वजनिक करना बेहद जनहित में होगा। जिसके चलते आम लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा, ऐसा गलगली का कहना हैं। 

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