मुंबई शहर की जिलाधिकारी अश्विनी जोशी ने सरकारी निवासस्थान तबादला होने के बाद भी उसे रिक्त न करने से उनके अवैध कब्जे को लेकर नोटिस जारी की थी और लाखों का जुर्माना लगाया गया था। महाराष्ट्र सरकार ने रु 3.07/- लाख के राजस्व पर पानी छोड़ते हुए उसे माफ़ करने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को सामान्य प्रशासन विभाग ने दी हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सामान्य प्रशासन विभाग और सार्वजनिक निर्माण विभाग से विभिन्न आवेदन कर जिलाधिकारी अश्विनी जोशी को ठोंका गया जुर्माना और उसकी अदायगी को लेकर जानकारी मांगी थी। सामान्य प्रशासन विभाग के अवर सचिव शि.म. धुले ने अनिल गलगली को स्पेशल अनुमति के तहत जुर्माने के बजाय नियमित तौर पर किराया लेने के लिए जारी किए सरकारी अनुमति की जानकारी दी। अश्विनी जोशी को मुंबई में कार्य के दौरान चर्चगेट स्थित केदार-2 निवासस्थान का वितरण किया गया था। दिनांक 17 दिसंबर 2014 को ठाणे में तबादला होने के बाद निवासस्थान का कब्जा छोड़ा नहीं। नियमानुसार पहले 3 महीने नियमित दाम से किराया लिया जाता हैं और उसके बाद रु 50/- प्रति वर्ग फूट जुर्माना लिया जाता हैं। दिनांक 13 अक्टूबर 2015 तक रु 3,06,838/- इतना जुर्माना अदा करना जरुरी था। निवासस्थान का कब्जा छोड़े बिना जोशी बाई ने 4 मई 2016 को बृहन्मुंबई सरकारी सेवा निवासस्थान के लिए आवेदन किया। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को पेश किए आवेदन में जुर्माने की जानकारी न होने से उन्हें वरियता से कार्रवाई का आदेश दिया। मुख्यमंत्री के आदेश का दुरुप्रयोग करते हुए सामान्य प्रशासन विभाग ने पुराना कब्जा मामला रेकॉर्ड पर लाया। निवासस्थान कब्जा मामले में जोशी बाई ने अनुरोध किया था कि मुंबई में बार बार काम और मंत्रालयीन काम के लिए आने का कारण बताकर दंडनीय दाम के बजाय प्रचलित दाम ले। सामान्य प्रशासन विभाग ने वरियता से कार्रवाई पर मौन धारण करते हुए दंडनीय दाम के बजाय प्रचलित दाम से किराया लेने का गलत प्रस्ताव पेश किया। मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव ने मदद करने के इरादे से उसे मंजूरी देने से मुख्यमंत्री ने भी पूरा प्रस्ताव पढ़े बिना ही मंजूरी दी। इससे सरकार को लाखों रुपए के जुर्माने से मिलनेवाले राजस्व पर पानी छोड़ना पड़ा।
अनिल गलगली ने इसतरह से जुर्माना माफ़ करने की परंपरा को गलत बताते हुए आरोप लगाया कि प्रस्ताव सरकारी निवासस्थान वरियता से देने का होते हुए जुर्माना माफ़ करने का प्रस्ताव मिक्स कर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को द्विभ्रमित किया गया। अश्विनी जोशी को इसतरह स्पेशल अनुमति के तहत जुर्माना माफ़ करने से राज्य के सभी बकायेदार भी जोशी पॅटर्न उनके मामले में लागू करने की मांग करते हुए नियमों की धज्जियां उड़ाएंगे और सरकार को लाखों रुपए के राजस्व पर पानी छोड़ना पड़ेगा, यह डर बताते हुए अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से अनुरोध किया हैं कि जो मंजुरी दी हैं उसे रद्द कर जुर्माना वसूल करे और सरकारी निर्णयों को अमल में लाकर ऐसे प्रस्ताव लानेवाले अधिकारियों पर कार्रवाई करे।
IAS Officers can get almost all rules and regulations waived or relaxed.
ReplyDeleteYou Right. But we should follow-up with government to again and again to recover the penalty and other dues
DeleteThis comment has been removed by the author.
Delete