महाराष्ट्र में प्राथमिक शिक्षा की ऐसी तैसी हो गई हैं। जरुरी शिक्षक और छात्रों की संख्या में असमानता होने खुलासा आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को दी गई जानकारी से सामने आया हैं। हर वर्ष जिस तुलना में छात्रों की संख्या कम हो रही हैं और उस तुलना में शिक्षकों का समायोजन न होने से गड़बड़ हो रहा हैं। गत 5 वर्ष में 36 जिला में 2.40 लाख इतने बड़े पैमाने पर छात्र कम हो गए हैं वहीं 3 वर्ष में 2912 शिक्षक बढ़ गए हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र प्राथमिक शिक्षा परिषद से राज्य के सभी स्कूल में मौजूद छात्रों और शिक्षकों की संख्या से जुड़ी यु-डायस की रिपोर्ट मांगी थी। यु-डायस की रिपोर्ट बताती हैं कि गत 5 वर्ष में पहली से आठवी तक 2 लाख 40 हजार 31 छात्रों की संख्या कम हुई हैं। शिक्षक और छात्र के आंकड़ों में ज्यादा फर्क नहीं हैं। छात्रों की संख्या घट गई हैं और शिक्षक बढ़ गए हैं। वर्ष 2012-2013 में 1,62,26,543 छात्र थे जिसमें 86,27,243 लड़के और 75,99,300 लड़कियां थी। वर्ष 2013-2014 के दौरान 1,61,58,791 छात्र थे जिसमें 85,94,742 लड़के और 75,64,049 लड़कियां थी। वर्ष 2014-2015 में 1,61,72,420 छात्र थे जिसमें 85,96,022 लड़के और 75,76,398 लड़कियां थी। वर्ष 2015-2016 में 1,60,44,013 छात्र थे जिसमें 85,24,669 लड़के और 75,19,344 लड़कियां थी। वर्ष 2016-2017 में 1,59,85,712 छात्र थे जिसमें 84,95,745 लड़के और 74,89,967 लड़कियां थी। गत 4 वर्ष में छात्रों की तुलना में सरकारी और निजी स्कूल में शिक्षकों की संख्या में कमी तो आई नहीं उल्टे संख्या बढ़ गई हैं। वर्ष 2013-14 में कुल शिक्षक 4,14,752 थे जिसमें 2,68,915 सरकारी और 1,45,837 निजी स्कूल में हैं। वर्ष 2014-15 में कुल शिक्षक 4,05,855 थे जिसमें 2,58,406 सरकारी तो 1,47,449 निजी स्कूल में हैं। वर्ष 2015-16 में कुल शिक्षक 4,06,292 थे जिसमें 2,54,785 सरकारी तो 1,51,507 निजी स्कूल में हैं। वर्ष 2016-17 में कुल शिक्षक 4,08,767 हैं जिसमें से 2,53,513 सरकारी और 1,55,254 निजी स्कूल में कार्यरत हैं।
अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के अलावा शिक्षा मंत्री विनोद तावडे, स्कूली शिक्षा सचिव नंदकुमार और शिक्षा आयुक्त को पत्र भेजकर मांग की हैं कि अतिरिक्त शिक्षकों का समायोजन किया गया तो बिना काम के शिक्षकों को वेतन देना बंद होगा उसके लिए शिक्षा आयुक्त और जिला स्तर पर उसी वर्ष जून में समायोजन प्रक्रिया को अंजाम दिया जाए तथा जो शिक्षक समायोजन के खिलाफ कोर्ट में जाता हैं तो पहले से ही कैवेट दायर किया जाए।
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