Monday, 8 May 2017

लोक आयुक्त के पास रोजाना दर्ज होती 15 शिकायते

महाराष्ट्र राज्य में लोक आयुक्त और उप लोकायुक्त ने 28 महीने से पहले से प्रलंबित और नए सिरे से दर्ज कुल 12,237 शिकायतों का निपटारा किया हैं।   12,828 में सबसे अधिक शिकायतों में राजस्व विभाग 3030 शिकायतों के चलते टॉप में होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को लोक आयुक्त और उप लोकायुक्त कार्यालय ने दी हैं।  114 मामलों की सिफारिश राज्य सरकार को की गई हैं। रोजाना 15 शिकायतें दर्ज होती हैं। 

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने लोक आयुक्त और उप लोकायुक्त कार्यालय से 1 नवंबर 2014 से 28 फरवरी 2017 के दौरान प्राप्त शिकायते, निपटान की गई शिकायते और प्रलंबित शिकायतों की संख्या मांगी थी। लोक आयुक्त और उप लोकायुक्त कार्यालय ने अनिल गलगली को बताया कि 12,828 शिकायतें गत 850 दिनों में  प्राप्त हुई हैं 4,622 शिकायतें प्रलंबित हैं। 12,237 शिकायतों का निपटान किया गया जिसमें 1 नवंबर 2014 के पहले दर्ज की गई1 शिकायतों का शुमार हैं।12,828शिकायतों में सबसे अधिक शिकायत राजस्व विभाग की हैं। 3030 शिकायत वाला राजस्व विभाग टॉप पर हैं। उसके बाद नगरविकास 1936, ग्रामीण विकास और जल संवर्धन 1828, गृह विभाग 886, सार्वजनिके स्वास्थ्य विभाग 421, शालेय शिक्षा और क्रीड़ा 409, सार्वजनिक निर्माण विभाग 332, सहकार, विपणन और वस्त्रोद्योग विभाग 326, जलसंपदा विभाग 325, कृषी खाते 324, उच्च व तंत्र शिक्षा विभाग 312 शिकायतें दर्ज हैं।

महाराष्ट्र लोक आयुक्त और उप लोकायुक्त अधिनियम,1971 की धारा 12(1) व 12(3) में प्रावधान के अनुसार कुल 114 मामलों की सिफारिश सरकार को की गई हैं। उसमें से 12(1) के तहत की गई सिफारिशों की संख्या 109 हैं। अधिनियम की धारा 12(3) के तहत आरोप के मामले में की गई सिफारिशों के मामले को उजागर करने से संबंधित व्यक्ती के जान या शारीरिक सुरक्षितता को खतरा निर्माण हो सकता हैं। इस तर्क के तहत 5 मामलों की जानकारी देने से इंकार किया। जनप्रतिनिधि की जानकारी स्वतंत्र तौर संकलित नहीं करने से उसके आंकड़े नहीं दिए। देश में महाराष्ट्र यह प्रथम राज्य हैं जहाँ पर अक्टूबर 1972 को लोक आयुक्त कानून अस्तित्व में आया।  मंत्री और सचिव के खिलाफ कारवाई के लिए लोक आयुक्त सरकार से सिफ़ारिश करते हैं और अन्य सरकारी नोकर के लिए स्वयं सिफारिश करते हुए आदेश जारी करते हैं। आदेश जारी होने से एक महीने के भीतर कार्रवाई की रिपोर्ट पेश करने का आदेश देकर लोक आयुक्त शिकायतकर्ता को राहत दिलाते हैं।

अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लिखे पत्र में मांग की हैं कि सिफारिशों को ताबड़तोब मंजूरी दे।  109 मामले में कार्यालयीन लेटलतीफी की बात साबित होने से इन मामलों में जो अधिकारी जिम्मेदार और दोषी हैं उनकी विभागीय जांच कर कारवाई करे। 

1 comment:

  1. Subject: In the matter of Shree Ganesh Co-operative Housing Society, Plot No. 01,Sector 28, Nerul (W) , Navi Mumbai –400706.


    Respected sir,
    The matter forwarded to your office, (11th/April/2017)
    Reg., Number : PMOPG/D/2017/0112229.

    Its’ deliberate and malicious act of self appointed managing committee to axe & hostages basic membership of 316 home buyers the majority since 1995/6 and abusing all quasi judicial orders including the minutes of the Bombay HC/474/1996 acknowledging only132 genuine ‘APMC’ members out of investigation of 2315.

    We may request your thorough investigation as the behavior itself indicates as ‘KABZEDAR’ of the said society plot with the creation of ‘third party rights’ in the name of ‘DADAR BHAJIPALA VYAPARI MITRA MANDAL’ what enforces us to buy membership of the society. (Financial exploitation)

    Latest detailed investigation report file is available with JTR/Shri J.D.Patil dated; 04/04/1996 U/S 89A/1960/75 pages.

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