मुंबई विद्यापीठ में स्थित दीक्षांत हॉल का आकर्षण और प्रतिष्ठा अलग होने से कार्यक्रम की शोभा वृद्धिगंत करने के लिए यहीं पर ही कार्यक्रम आयोजित करने का हर एक प्रयास रहता हैं। मुंबई विद्यापीठ के वर्तमान वाईस चांसलर डॉ संजय देशमुख की झक्कीयत से दीक्षांत सभागृह को घाटा हो रहा हैं। किराए पर देने की प्रक्रिया में गड़बड़ी होने से गत 16 महीने में 61 आयोजन में से 23 बार दीक्षांत सभागृह निःशुल्क वितरित करने से आर्थिक घाटा मुंबई विद्यापीठ को होने की सनसनीखेज जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई विद्यापीठ ने उपलब्ध कराए दस्तावेजों से हो रही हैं। हलदी कुंकू कार्यक्रम, वार्षिक बैठक और श्री सत्यनारायण की पूजा भी दीक्षांत सभागृह में किराया लिए बिना ही करने की अनुमति डॉ संजय देशमुख ने दी हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई विद्यापीठ द्वारा दीक्षांत सभागृह कार्यक्रम के लिए हेतु किया वितरण और सभागृह के रखरखाव पर होनेवाले खर्च की जानकारी मांगी थी। डॉ संजय देशमुख ने वाईस चांसलर बनने के बाद पद 16 महीने में 61 कार्यक्रम दीक्षांत सभागृह में संपन्न हुए उनमें से 23 कार्यक्रम को देशमुख ने अपने अधिकार का इस्तेमाल करते हुए दीक्षांत सभागृह सीधे निःशुल्क वितरित किया। दीक्षांत सभागृह किसे दे और कितना किराया लिया जाए, इसका कोई भी नियम और दर निश्चिती नहीं होने से आयोजक की साख देखकर 38 में अधिकांश कार्यक्रम से जो किराया लिया गया हैं, वह किराया दीक्षांत सभागृह की उज्वल परंपरा और ऐतिहासिक महत्व के मद्देनजर न के बराबर हैं। 21 अगस्त 2015 से 20 डिसेंबर 2016 इन 16 महीने के दौरान मुंबई विद्यापीठ ने 61 में से सिर्फ 38 कार्यक्रम से किराया लिया हैं और हर कार्यक्रम को मनचाहा किराया निश्चित किया हैं। इन 38 कार्यक्रम के लिए आयोजक ने 10 लाख 82 हजार 150 रुपए का शुल्क अदा किया हैं वहीं 23 कार्यक्रम निःशुल्क संपन्न हुए हैं। मुंबई विद्यापीठ के कुछ ही विभाग को छोड़ा जाए तो अन्य विभाग इस निःशुल्क सेवा का ही हिस्सा हैं।
जिन 23 संस्था को दीक्षांत सभागृह निःशुल्क देने का काम किया गया हैं उनमें ऑब्जरवर रिसर्च फाउंडेशन, झी 24 तास, सिडेनहैम इंस्टिट्यूट, स्नेहालय, जलसंधारण मंत्री डॉ गिरीष महाजन, सतीश नाईक, जमनलाल बजाज इंस्टिट्यूट, ऑल इंडिया कौंसिल फॉर टेक्निकल इंस्टिट्यूट, समाज कल्याण विभाग के साथ मुंबई विद्यापीठ के कुछ ही विभाग के नाम का शुमार हैं।। जिन 38 संस्था को दीक्षांत सभागृह किराए पर दिया गया हैं उनके शुल्क में समानता नहीं हैं। इससे हर एक महीने को 70 हजार रुपए का खर्च का वहन करनेवाला दीक्षांत सभागृह को 16 महीने में 10 लाख 82 हजार 150 हजार का किराया प्राप्त हुआ और हुए 11 लाख 20 हजार के खर्च की तुलना करने पर 37,850 रुपए का न्यूनतम आर्थिक नुकसान हुआ हैं।
संजय देशमुख की झक्कीयत को दोष देते हुई मुंबई विद्यापीठ के चांसलर और राज्यपाल को लिखित पत्र भेजकर मांग की हैं कि सर्वप्रथम दीक्षांत सभागृह किसी कार्यक्रम को देने के लिए नियम बनाने के साथ आसपास के फोर्ट क्षेत्र में सभागृह के लिए लिया जानेवाला किराया का अध्ययन कर किराया निश्चित हो और सामाजिक कार्यक्रम तथा समाज प्रबोधन के लिए सीधे सिरे से सभागृह निःशुल्क देने के बजाय कमसे कम बिजली और अन्य सुविधा का शुल्क लिया जाए ताकि मुंबई विद्यापीठ को आर्थिक घाटे का सामना नहीं करना पड़े, ऐसी मांग आखिर में गलगली ने की हैं।
No comments:
Post a Comment