महाराष्ट्र में कला का जतन करने का पवित्र कार्य मुंबई के जिस सर जे जे कला महाविद्यालय में हो रहा हैं वहां पर कला निदेशक की नजरअंदाजी से कला की शिक्षा प्रभावित हो रही हैं। सर जे जे कला महाविद्यालयात में प्राध्यापक और अधिव्याख्याता के कुल 44 में से 33 पद रिक्त होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को महाविद्यालय की प्रबंधक अलका चव्हाण ने दी हैं। विख्यात अभिनेता नाना पाटेकर,अमोल पालेकर, अरुधंती रॉय से लेकर राज ठाकरे ये जिस जेजे के प्रांगण से सीखकर बाहर निकले उसी जेजे महाविद्यालय में प्राध्यापक और अधिव्याख्याता की कमी महसूस होना दुर्भाग्यजनक हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने सर जे जे कला महाविद्यालय से कुल शिक्षकों के पद और रिक्त पदों की जानकारी मांगी थी। सर जे जे कला महाविद्यालय की जन सूचना अधिकारी और प्रबंधक अलका चव्हाण ने जानकारी देते हुए बताया कि प्राध्यापक के कुल 8 में से 7 और अधिव्याख्याता की 36 में से 26 पद रिक्त हैं। हंगामी अधिव्याख्याता के 6 और कॉन्ट्रैक्ट पर रखे हुए अधिव्याख्याता के 9 पद विकल्प के तौर पर कार्यरत हैं। सर जे जे कला महाविद्यालय में हंगामी शिक्षक( अधिव्याख्याता ) यह पद वर्ष 1993 से कार्यरत हैं। लेकिन वर्ष 1993 में न्यायालयीन फैसले के बाद हंगामी अधिव्याख्याता यह पद 1997 से नियमित तौर पर कार्यरत हैं। प्राध्यापक और अधिव्याख्याता के रिक्त पद पर नियुक्ती करने की जिम्मेदारी की जानकारी पूंछने पर यह जिम्मेदारी कला निदेशक, कला संचालनालय की होने का दावा किया हैं।
अनिल गलगली ने कला निदेशक की इसतरह की नजरअंदाजी पर आश्चर्य जताते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को लिखे हुए पत्र में कला निदेशक पर कारवाई करते हुए ताबडतोब रिक्त पद पर नियुक्ती करने की हिदायत दी जाए। कला को प्रोत्साहन देने के लिए महाराष्ट्र सरकार प्रयासरत हैं और कला निदेशक की नकारात्मकता से क्षति होने का दर्द हैं, ऐसा गलगली का कहना हैं।
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