मुंबई विद्यापीठ में विभिन्न विभाग चलाने के लिए सक्षम प्रमुख होते हुए मुंबई विद्यापीठ के अलावा राज्य के विभिन्न विभागों के 12 रिटायर्ड अफसरों का पुनर्वास पर हर माह को रु 2.80/- लाख का खर्च हो रहा हैं। इसमें विशेष कार्य अधिकारी, समन्वय का समावेश होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई विद्यापीठ ने दी हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई विद्यापीठ से वर्ष 2016 में नियुक्त किए गए रिटायर्ड अफसरों और कर्मियों की जानकारी मांगी थी। मुंबई विद्यापीठ के सहायक कुलसचिव विकास डवरे ने अनिल गलगली को बताया कि 12 में से 9 लोग मुंबई विद्यापीठ के रिटायर्ड अफसर हैं और 4 लोग राज्य सरकार से रिटायर्ड अफसर हैं। 5 विशेष कार्यकारी अधिकारियों में एम व्ही पद्मनाभन ( 25,000/-) कुलगुरु के कार्यालय से हैं। वहीं वी आर शिंत्रे वित्त व लेखा विभाग (20,000/-), द.रा.शेवाले अधिदान व लेखा अधिकारी का कार्यालय ( 20,000/-), कृष्णकांत परब ट्रांसपोर्ट कमिश्नर कार्यालय ( 20,000/-) और मोहन साटम दुग्ध व्यवसाय विकास विभाग से ( 20,000/-) रिटायर्ड अफसर हैं। 4 समन्वय में से आर. जी. कांबले पदव्युत्तर विभाग ( 25,000/-) एस.जी.मस्के अध्यापक नियुक्ती विभाग ( 15,000/-) , ब्लांच डिसोझा कुलसचिव का कार्यालय ( 25,000/-) और अनिलकुमार गावडे (40,000/-) उच्च शिक्षा विभाग, पुणे के कार्यालय से हैं। मुंबई विद्यापीठ के क्षेत्र विभाग कार्यालय के पुष्करण चंद्रण को उपअभियंता विद्युत् (40,000/-) और प्रकाश चव्हाण की वीजतंत्री ( 15,000/-) पद पर नियुक्ती की गई हैं। अधीक्षक के पद पर के.बी.मगोदिया जो मुद्रणालय के रिटायर्ड अफसर हैं जिन्हें रु 15,000/- वेतन दिया जाता हैं।
अनिल गलगली के अनुसार मुंबई विद्यापीठ की आर्थिक स्थिती इतनी मजबूत नहीं हैं। 12 रिटायर्ड अफसरों पर महीने को रुपए 2.80/- लाख की बर्बादी समर्थनीय नहीं हैं। अनिल गलगली ने राज्यपाल को लिखित पत्र भेजकर इन नियुक्तियों को रद्द करते हुए इसके लिए जिम्मेदार कुलगुरु की जांच करने और उनपर कारवाई करने की मांग की हैं।
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