Friday, 9 March 2018

सरकारी अस्पतालों का निजीकरण पर विरोध

महाराष्ट्र की जनता के लिए स्वास्थ्य सेवा सरकारी स्तर पर शुरु हैं लेकिन इस स्वास्थ्य सेवा का व्यापारीकरण होने से सरकार अब निजीकरण की ओर जा रही हैं। इसे आम लोगों ने विरोध करने की जरुरत होने की बात आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कही। वे आजाद मैदान में विश्व महिला दिवस पर आयोजित 'स्वास्थ्य जन आंदोलन' पर एक दिवसीय आंदोलन को संबोधित कर रहे थे। 

लोकजागृती सामाजिक संस्था द्वारा आजाद मैदान में सामाजिक कार्यकर्ता स्वाती पाटील की अगुवाई में एक दिवसीय आंदोलन आयोजित किया गया था। इस आंदोलन में  सरकार के उस परिपत्रक का विरोध किया गया जिसमें 300 कॉट वाले सरकारी अस्पताल का निजीकरण करने का संकेत दिया है। अनिल गलगली के अनुसार शत प्रतिशत रिक्त पदों पर नियुक्ति कर सभी तरह की सुविधा उपलब्ध होती हैं तो स्वास्थ्य समस्याओं का निराकरण हो सकता हैं। सरकार ने निजीकरण करने के बजाय वर्तमान स्थिती का जायजा लेने  पर गलगली ने जोर दिया।

डॉ अभिजीत मोरे ने डॉक्टर और

कर्मचारियों की समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि आज बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य सेवा देनेवाली डॉक्टर हैं लेकिन सरकार उन्हें सुविधा देने में कहीं तो कम पड़ रही हैं। सेवानिवृत्त सिविल सर्जन डॉ. श्रीकृष्ण ढोणे ने कहा कि जो अस्थायी हैं उन्हें स्थायी किया तो समस्या का हल निकल शकता हैं। आयोजक और लोकजागृती सामजिक संस्था की अध्यक्षा स्वाती पाटील ने कहा कि पूरे राज्य में स्वास्थ्य सेवा की दयनीय स्थिती हैं क्योंकि 30-40 पद रिक्त हैं। सरकार इसपर काम करने के बजाय निजीकरण कर गरीबों का अधिकार छीन रही हैं।

इस मौके पर विनोद साडविलकर (सीडीएफ मुंबई), डॉ. मिरजकर (सीडीएफ मुंबई), वीणा दळी, अश्विन जाधव, वरिष्ठ पत्रकार सुधाकर काश्यप, खंडेराव अढांगळे, राजू नगराळे, शिरीष पाटील, रजनी ढोणे, विश्वनाथ सावंत, चंद्रकांत यादव, थोरात काका एवं स्वास्थ्य अभियान से जुड़े कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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