मुंबई महानगरपालिका में चतुर्थ श्रेणी में 1388 पदों के लिए
मेसर्स महाऑनलाईन कंपनी ने ली हुई परीक्षा का परिणाम 44 प्रतिशत जाहिर कर 1,06,193 परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए हैं। ऐसी जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई महानगरपालिका ने दी हैं। कुल रु 15.13 करोड इतना शुल्क जमा हुआ हैं। बायोमेट्रिक तरीके से पहली बार परीक्षा की पहल मुंबई महानगरपालिका ने की हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई महानगरपालिका से चतुर्थ श्रेणी में 1388 पद पर नियुक्ति के लिए ली गई परीक्षा को जानकारी मांगी थी। मनपा के कामगार विभाग ने अनिल गलगली को बताया कि कामगार, कक्ष परिचर, श्रमिक, हमाल, बहुउद्देशीय कामगार, आया, श्मसान कामगार के 1388 पद के लिए 2,87,088 आवेदक थे। दिनांक 15 फरवरी से 25 फरवरी 2018 ऐसे लगातार 10 दिन आयोजित परीक्षा में 2,40,495 आवेदक असल में परीक्षा में बैठे थे। विशेष यानी हर एक उम्मीदवार को उसकी प्रश्नपत्रिका ( उत्तर सहित) एवं उसने चुने हुए विकल्पों सहित उस उम्मीदवार के व्यक्तिगत ईमेल पर दिनांक 28 फरवरी 2018 को भेजी गई। ऑनलाईन परीक्षा का पाठ्यक्रम उप आयुक्त ( सामान्य प्रशासन) और अतिरिक्त आयुक्त ( शहर) की मंजूरी से मेसर्स महाऑनलाईन इस संस्था को दिया गया। इसमें पाठ्यक्रम के अनुसार प्रश्नपत्रिका तैयार करने का काम मेसर्स महाऑनलाईन ने किया हैं।
महाराष्ट्र सरकार की पार्टनर ऐसी मेसर्स महाऑनलाईन लिमिटेड कंपनी को प्रति उम्मीदवार रु 521.56 ऐसा शुल्क निश्चित किया था। अबतक रु 14,97, 80,864/- इतना शुल्क अदा किया गया हैं और रु 15,87,136/- इतनी रकम देना शेष हैं। यह परीक्षा बायोमेट्रिक तरीके से ली गई हैं। चयन लिस्ट तैयार होने के बाद चयनित उम्मीदवारों का चयन भी बायोमेट्रिक तरीके से किया जाएगा। परीक्षा का आवेदन स्वीकारने से लेकर चयन होने तक की सारी प्रक्रिया और जिम्मेदारी मेसर्स महाऑनलाईन कंपनी की हैं। साथ ही भविष्य में पत्र, शिकायत, सूचना का अधिकार, न्यायालयीन मामला आदि में मनपा को मेसर्स महाऑनलाईन कंपनी सहयोग करेगी।
अनिल गलगली के अनुसार लाखों आवेदकों की परीक्षा लेने के दौरान मेसर्स महाऑनलाईन कंपनी ने ली हुई सर्तकता काबिलेतारीफ हैं। मनपा ने किसी भी तरह की धांधली और पेपर लीक न होने पर ध्यान देकर जो काम किया हैं वह प्रशंसनीय हैं। समय पर परिणाम जाहीर कर आवेदकों को केईमेल पर उत्तर पत्रिका भेजी गई हैं। अब मुंबई विद्यापीठ को भी निजी कंपनी पर अतिविश्वास नहीं रखते हुए सरकारी कंपनी का चयन करना चाहिए, ऐसा मत अनिल गलगली ने व्यक्त किया हैं।
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