एल्फिन्स्टन स्थित दुर्घटना और मासूमों की मौत के मामले में रेलवे प्रशासन के साथ रेलवे सुरक्षा आयुक्त भी उतने ही जिम्मेदार हैं। परेल से एल्फिन्स्टन को जोड़नेवाले ब्रिज को रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने ताबडतोब मान्यता नहीं दी उलटे दुर्घटना के 14 दिन के बाद अपनी राय देने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मध्य रेलवे उपलब्ध कराए हुए दस्तावेजों से सामने आ रही हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मध्य रेलवे प्रशासन से परेल ब्रिज के विकास को लेकर गत 3 वर्ष से हुई कारवाई की जानकारी मांगी थी। मध्य रेलवे के मंडल अभियंता एस के श्रीवास्तव ने अनिल गलगली को दस्तावेज का निरीक्षण करने के लिए आमंत्रित किया। अनिल गलगली को उपलब्ध कराए हुए दस्तावेज में रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने मध्य रेलवे के मुख्य अभियंता, निर्माण को लिखा हुआ पत्र भी था जिसमें दिनांक 9 जुलाई 2017 को मध्य सर्कल,मुंबई के रेलवे के सुरक्षा आयुक्त ए के जैन को परेल स्टेशन पर फुट ओवर ब्रिज बनाने के लिए सूचना दी थी ताकि उनकी अनुमति मिल सके। रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने 3 महीने तक किसी भी तरह की कारवाई नहीं की। 9 सितंबर 2017 को एल्फिन्स्टन में दुर्घटना होने के बाद रेलवे सुरक्षा आयुक्त भी नींद से जाग उठे और 11 अक्टूबर 2017 को मुख्य अभियंता, निर्माण और मुख्य ब्रिज अभियंता के साथ परेल स्टेशन का निरीक्षण किया। उसके बाद तुरंत दूसरे ही दिन यानी 12 अक्टूबर 2017 को अपनी राय वाली रिपोर्ट भेजी।। इस रिपोर्ट में रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने प्रवेश और बाहर जानेवाला रस्ता संकीर्ण होना और सड़क को ओर आवागमन का व्यवस्थित न होने से परेल स्थित अतिरिक्त सुविधा देने का रेलवे का प्रयोजन फेल होगा, ऐसा मत रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने पटल पर रखा। मध्य और पश्चिम रेलवे यात्री एकसाथ सुविधा का इस्तेमाल करने से एकात्मिक नियोजन अतिआवश्यक हैं, ऐसी सलाह देते हुए रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने मास्टर प्लान पश्चिम रेलवे और राज्य सरकार ने संयुक्तिक विकसित करे औऱ उसके बाद जरुरत पड़ने पर चरणबद्ध तऱीके से नियोजन करे।
अनिल गलगली ने रेलवे सुरक्षा आयुक्त की जिम्मेदारी ध्यान में लेते हुए इसतरह की रिपोर्ट पेश करने के लिए एक अवधि निश्चित करने की मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रेलवे मंत्री पियूष गोयल और नागरी उड़ान मंत्री गजपति राजू को लिखे हुए पत्र में की हैं। समय पर रिपोर्ट और निरीक्षण पेश किया जाता तो शायद दुर्घटना और मासूमों की जान बचाई जा सकती थी। यह संभावना अनिल गलगली ने व्यक्त की। अब रेलवे को रेलवे के बाहरी एजन्सी को जनहित काम को ताबडतोब मंजुरी देने के लिए विशेष कक्ष का गठन कर ऑनलाइन मंजूरी देने की जरुरत होने पर अनिल गलगली ने जोर दिया हैं।
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