Wednesday, 22 January 2025

इमरजेंसी का संघर्ष और इंदिरा गांधी

इमरजेंसी का संघर्ष और इंदिरा गांधी

कंगना रनौत का प्रदर्शन लाजबाब रहा है। कंगना ने इंदिरा गांधी का किरदार निभाया है। उनके हावभाव, वेशभूषा, और संवाद अदायगी में इंदिरा गांधी की छवि झलकती है। उन्होंने इंदिरा गांधी के व्यक्तित्व के कठोर और भावनात्मक दोनों पहलुओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया है।

कंगना रनौत द्वारा निर्देशित और अभिनीत फ़िल्म "इमरजेंसी" इंदिरा गांधी के जीवन और उनके कार्यकाल के एक महत्वपूर्ण दौर पर आधारित है। इंदिरा गांधी भारतीय राजनीति की एक ऐसी नेता थीं, जिनकी नेतृत्व क्षमता, साहसिक निर्णय, और राजनीतिक दूरदर्शिता ने भारत के इतिहास में गहरी छाप छोड़ी। फ़िल्म इंदिरा गांधी के व्यक्तित्व, उनके राजनीतिक संघर्ष, और उस दौर के ऐतिहासिक घटनाक्रम पर आधारित है। इसमें देश में आपातकाल के दौरान की गई राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों को दिखाया गया है।

यह फ़िल्म न केवल भारतीय राजनीति के एक विवादास्पद दौर को समझने में मदद करती है, बल्कि यह दर्शाती है कि एक नेता को किस तरह कठिन परिस्थितियों में निर्णय लेने पड़ते हैं। यह एक ऐतिहासिक संदर्भ में राष्ट्रप्रेम, संघर्ष, और सत्ताधारी नीतियों का मूल्यांकन करने का अवसर देती है।

"इमरजेंसी" भारतीय सिनेमा के इतिहास में एक महत्वपूर्ण योगदान है। कंगना रनौत का निर्देशन और अभिनय दोनों ही इस फ़िल्म को एक अलग ऊंचाई पर ले जाते हैं। यह फ़िल्म इतिहास के प्रति रुचि रखने वालों और राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले दर्शकों के लिए खास है।

इमरजेंसी फ़िल्म कंगना रनौत द्वारा निर्देशित और अभिनीत एक ऐतिहासिक-राजनीतिक ड्रामा है। यह फिल्म भारत के 1975-1977 के आपातकाल (Emergency) पर आधारित है, जो देश के इतिहास का एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद अध्याय है। इस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल लागू किया था।

इंदिरा गांधी की खासियतें और कार्यशैली को बखूबी फिल्म में रेखांकित किया गया है। निर्णय लेने की गजब की क्षमता को बखूबी दिखाया है। वे कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी तुरंत और प्रभावी निर्णय लेने के लिए जानी जाती थीं। चाहे हार हो या जीत, उन्होंने कभी भी अपने फैसलों पर पछतावा नहीं किया। उनका यह जज्बा उन्हें अन्य नेताओं से अलग करता है। हाथी पर सवार होकर प्रभावित गांवों तक जाना उनकी जमीनी जुड़ाव और नेतृत्व शैली का हिस्सा था। "आधी रोटी खाएंगे, इंदिरा गांधी को जिताएंगे" जैसे नारों से यह स्पष्ट है कि जनता के दिलों में उनके लिए गहरा सम्मान था।

इंदिरा गांधी हमेशा विदेशी नीतियों पर दो-टूक और निर्भीक जवाब दिए, जिससे भारत की स्थिति अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत हुई। बांग्लादेश निर्माण में सेना को प्रोत्साहन देना उनकी दृढ़ता का उदाहरण है। युद्ध के समय वे सैनिकों के बीच जाकर उनका उत्साह बढ़ाती थीं, जिससे उनका मनोबल ऊंचा होता था।

जयप्रकाश नारायण का किरदार दिलचस्प है। विपक्षी नेताओं और आम जनता पर हुए अत्याचारों, सेंसरशिप, और गिरफ्तारी जैसे मुद्दों को उजागर किया गया है। जब इंदिरा गांधी को इमरजेंसी हटाने के बाद राजनीतिक संकट का सामना करना पड़ा और जनता पार्टी सत्ता में आई, तो इंदिरा गांधी को जेल जाना पड़ा। जेल से छूटने के बाद, इंदिरा गांधी ने जयप्रकाश नारायण से जाकर माफी मांगी। यह कदम उनकी ओर से व्यक्तिगत और राजनीतिक दोनों पहलू दिखाता है। संभवतः यह उनके पश्चाताप और भविष्य में नए सिरे से शुरुआत करने का संकेत था। इस घटना को कई लोग इंदिरा गांधी के राजनीतिक दृष्टिकोण में बदलाव और आत्ममंथन के रूप में देखते हैं। हालांकि, उनके इस कदम को लेकर विभिन्न राय हैं, लेकिन यह उनके व्यक्तित्व का एक महत्वपूर्ण पक्ष उजागर करता है।


संजय गांधी का इमरजेंसी के दौर में राजनीतिक हस्तक्षेप और उनकी भूमिका हमेशा चर्चा का विषय रही है। इंदिरा गांधी के बड़े बेटे संजय गांधी ने इमरजेंसी के दौरान सरकार की कई नीतियों और योजनाओं को लागू करने में सक्रिय भूमिका निभाई। संजय गांधी ने इमरजेंसी के दौरान नसबंदी अभियान, झुग्गियों का पुनर्वास और शहरी विकास जैसे विषयों में अपनी मजबूत पकड़ बनाई। संजय गांधी सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों के निर्णयों में दखल देते थे। कई बार यह उनकी राजनीतिक शक्ति और महत्वाकांक्षा को भी दर्शाता था।


फ़िल्म "इमरजेंसी" में इंदिरा गांधी के जीवन के विभिन्न भावनात्मक और ऐतिहासिक पलों को दिखाने की कोशिश की गई है। इनमें उनकी अस्थियों को हिमालय की पर्वतों के बीच छिड़कने का दृश्य न केवल उनके व्यक्तित्व की महानता को दर्शाता है, बल्कि भारतीय संस्कृति और राष्ट्रप्रेम की गहराई को भी उकेरता है। हिमालय इंदिरा गांधी के लिए केवल एक पर्वत शृंखला नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक प्रतीक था। उनके जीवन और विचारधारा में प्रकृति और भारत की पवित्रता का गहरा जुड़ाव था। अस्थियों को हिमालय में छिड़कना उनके प्रति भारतीय जनता की श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है। यह दृश्य एक ओर उनके निधन के बाद के शोक को व्यक्त करता है, तो दूसरी ओर उनके विचारों और कृत्यों की गूंज को अमर बना देता है।


जब अंतरिक्ष स्टेशन से राकेश शर्मा ने इंदिरा गांधी को फोन किया तो भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूछा कि वहां से हमारा हिंदुस्तान कैसा नजर आता है, इसके जवाब में शर्मा ने कहा, 'सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा' यह देशभक्ति और भावना से ओत-प्रोत है। यह जवाब न केवल भारत के प्रति प्रेम को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि भारत की विविधता और सुंदरता कितनी अद्वितीय है। इंदिरा गांधी के इस संवाद से उनके राष्ट्रप्रेम और संवेदनशील दृष्टिकोण की झलक मिलती है। इस तरह के दृश्य न केवल दर्शकों को इंदिरा गांधी के जीवन और उनकी सोच के करीब लाते हैं, बल्कि भारतीयता और देशभक्ति का गहरा संदेश भी देते हैं। यह फ़िल्म का एक ऐसा हिस्सा है जो हर भारतीय के दिल को छू सकता है।

यह फ़िल्म सिर्फ एक ऐतिहासिक घटना को नहीं दिखाती, बल्कि इंदिरा गांधी के उस मजबूत व्यक्तित्व को भी सामने लाती है जिसने देश के कई संकटों का सामना किया। कंगना रनौत ने इस फ़िल्म में उनके व्यक्तित्व को समझने और प्रस्तुत करने की कोशिश की है। यह फ़िल्म न केवल भारतीय राजनीति के छात्रों के लिए बल्कि उन सभी के लिए प्रेरणा है, जो नेतृत्व और साहस के महत्व को समझते हैं।


अनिल गलगली
वरिष्ठ पत्रकार एवं आरटीआई कार्यकर्ता

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