पत्रकारिता को बचाए रखना और स्वतंत्र रखना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी
आचार्य बालशास्त्री जांबेकर की जयंती पर उन्हें शत-शत नमन। उन्होंने मराठी भाषा और भारतीय पत्रकारिता को नई दिशा प्रदान की और सत्य के लिए आवाज़ उठाने की परंपरा शुरू की। पत्रकार दिन की सभी पत्रकार साथियों को हार्दिक शुभकामनाएं।
सामाजिक और राजनीतिक दबाव से आज के दौर में पत्रकारों को सच्चाई सामने लाने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। राजनीतिक दबाव और कॉर्पोरेट हस्तक्षेप ने पत्रकारिता की स्वतंत्रता को सीमित कर दिया है।
हमले और मौत का सिलसिला जारी है। पत्रकारिता करते हुए कई पत्रकारों को जानलेवा हमलों का शिकार होना पड़ा है। कई मामलों में यह हमले उन विषयों पर रिपोर्टिंग के दौरान हुए हैं जो शक्तिशाली लोगों के खिलाफ जाते हैं।
सरकारी लापरवाही सबसे बड़ा कारण है। पत्रकारों पर हो रहे हमलों के बावजूद प्रशासनिक उदासीनता और सुरक्षा की कमी ने पत्रकारिता के पेशे को जोखिम भरा बना दिया है।
कानूनी संरक्षण है। हालांकि पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कानून बने हैं, लेकिन उनका सही तरीके से क्रियान्वयन न होने के कारण हिंसा के मामले थम नहीं रहे हैं।
कठोर कानूनों का क्रियान्वयन आवश्यक है। पत्रकारों पर हमले करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। स्वतंत्र पत्रकारिता का समर्थन करने की जरूरत है। सरकार और समाज को स्वतंत्र पत्रकारिता के महत्व को समझते हुए उसका संरक्षण करना चाहिए। पत्रकारों की सुरक्षा के लएवमीडिया संस्थानों को अपने पत्रकारों के लिए सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने चाहिए। पत्रकारों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के प्रति आम जनता और प्रशासन को जागरूक करना चाहिए। पत्रकारिता समाज का चौथा स्तंभ है। इसे बचाए रखना और स्वतंत्र रखना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
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