मुंबई में 26 जुलाई 2005 की तूफानी बारिश ने मुंबईकरों की नींद जिस मिठी नदी से उड़ाई थी उस पर उपाययोजना के तौर पर राज्य सरकार ने मिठी नदी विकास व संरक्षण प्राधिकरण का गठन किया था। मुख्यमंत्री जैसा तगडा अध्यक्ष होते हुए भी मिठी नदी नमकीन होने के पीछे मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव की अनास्था सामने आई है जिन्होंने गत 32 महीने से एक भी बैठक न लेने का सनसनीखेज कबूलनामा मिठी नदी विकास व संरक्षण प्राधिकरण ने आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली से किया है।
पिछले 10 वर्ष से मीठी नदी का धीमी गती से चलनेवाला विकास काम और अन्य कामों को लेकर एमएमआरडीए और मनपा प्रशासन से फॉलो अप करनेवाले अथक सेवा संघ के अध्यक्ष और आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मिठी नदी विकास व संरक्षण प्राधिकरण से 1 नवंबर से आज तक हुई बैठक की जानकारी मांगी थी। प्राधिकरण के उप नियोजक और जन सूचना अधिकारी सौदीप कुंडू ने अनिल गलगली को बताया कि मिठी नदी विकास व संरक्षण प्राधिकरण का गठन दिनांक 19 अगस्त 2005 को किया गया और मुख्यमंत्री इस प्राधिकरण के अध्यक्ष हैं। गत 32 महीने में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक भी बैठक नही ली है। इसके अलावा मुख्य सचिव अध्यक्षावाली मिठी नदी विकास व संरक्षण प्राधिकरण की शक्ती प्रदत्त समिती की बैठक भी नहीं ली गई हैं। मुख्य सचिव ने भी मुख्यमंत्री के पदचिन्हों पर चलते हुए शायद बैठक न लेने की प्रतिज्ञा लेने की बात दिख रही हैं।
कुल 17.8 किलोमीटर वाली मिठी नदी में मनपा के अंतर्गत विहार तलाव से सीएसटी पूल दौरान 11.8 किलोमीटर और एमएमआरडीए के पास सीएसटी पूल से माहिम कॉजवे ऐसा 6 किलोमीटर तथा वाकोला नाले का हिस्सा आता है।मीठी नदी के प्रकोप के बाद महाराष्ट्र सरकार ने मीठी नदी क्षेत्रीय विकास प्राधिकरण की स्थापना कर उसकी साफसफाई और विकास काम की जिम्मेदारी एमएमआरडीए और मनपा प्रशासन पर सौंपी है। मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के अनास्था से 1400 करोड़ खर्च करने के बाद मिठी नदी का काम संतोषजनक नही होने की टिपण्णी अनिल गलगली ने करते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से बैठक लेकर अबतक हुए काम का जायजा लेने की मांग की हैं। मुख्य सचिव मिठी नदी को सरकारी शक्ती प्रदान क्यों नही करती है? ऐसा सवाल अनिल गलगली ने करते हुए राज्य दरबार में मिठी नदी की होनेवाली उपेक्षा को रोकने की अपील मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से की है।
No comments:
Post a Comment