Thursday, 22 June 2017

मुंबई विद्यापीठ की लायब्ररी निर्माण को 17 महीने की देरी और 2.47 करोड़ का अतिरिक्त खर्च

मुंबई विद्यापीठ की लायब्ररी नवंबर 2015 को बनकर तैयार करने के लिए  रु 24.86 करोड़ का ठेका देने के बावजूद आज 26 महीने से लायब्ररी का निर्माण पूर्ण तो नहीं हुआ उल्टे रु 2.47 करोड़ का अतिरिक्त बोजा मुंबई विद्यापीठ पर आने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को मुंबई विद्यापीठ के विद्यापीठ अभियंता शाखा ने दी हैं।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने मुंबई विद्यापीठ से कालीना परिसर में निर्माणधीन लायब्ररी के काम की जानकारी  दिनांक 24 मार्च 2017 को मांगी थी। 7 अप्रैल 2017 रोजी सहायक ग्रंथपाल ने अनिल गलगली को बताया कि वर्तमान में लायब्ररी कालीना में है और मुंबई विद्यापीठ के पास  7,70,364 इतनी किताबें हैं।लायब्ररी से जुड़ी अन्य काम की जानकारी के लिए गलगली का आवेदन विद्यापीठ अभियंता शाखा के पास हस्तांतरित किया गया। विद्यापीठ अभियंता शाखा के प्रमुख विनोद पाटील ने 2 महीने के बाद गलगली को जानकारी भेजी गई। विद्यापीठ अभियंता शाखा ने बताया कि 18 फरवरीव2015 को लायब्ररी निर्माण का काम शुरु हुआ और 9 महीने में काम को पूर्ण करने की मियांद थी। तलमंजिल और 2 मजले की इमारत में वाचन विभाग, अध्ययन कमरा, ग्रंथ रखने का स्थान, ई-वाचन, उद्यान और बैठक क्षेत्र हैं।कुल क्षेत्रफल 15,036.86 चौरस मीटरहैं और क्षमता 450 व्यक्तियों की हैं। काम शुरु हुआ तब लागत झाले की रकम 24 करोड़ 86 लाख 30 हजार 125 रुपए और 30 पैसे इतनी थी। 3 जुलाई 2017 तक नई मियांद दी गई हैं और अतिरिक्त खर्च 2 करोड़ 46 लाख 60 हजार 274 रुपए 47 पैसे इतना हैं।  अब कुल खर्च 27 करोड़ 32 लाख 90 हजार 400 रुपये 27 पैसे इतका हो चुका हैं। 

11 महीने में काम पूर्ण न होने से जर्जर अवस्था वाली मुंबई विद्यापीठ की लायब्ररी में हजारों छात्र और छात्राएं जान हथेली पर रखकर आते जाते हैं। जिससे जिस उद्देश्य से मुंबई विद्यापीठ ने लायब्ररी निर्माण काम शुरु किया हैं उसका लाभ नहीं हो रहा हैं। खर्च की रकम में हुई वृद्धि की जांच करने की मांग अनिल गलगली ने राज्यपाल के पास भेजे हुए पत्र में की हैं।। मुंबई विद्यापीठ के निर्माण स्थापत्य समिती के सर्वेसर्वा स्वयं वाईस चांसलर होते हुए 17 महीने की हुई देरी की जांच कर 2.47 करोड़ का अतिरिक्त खर्च का आर्थिक बोजा समिती के सभी सदस्यों से वसूल करने की मांग गलगली ने की हैं। 

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