रिटायर्ड होने के 3 महीने का समय बीतने के बाद भी पूर्व मुख्य सचिव जेपी डांगे, पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त राकेश मारिया, के एस बिश्नोई और मधुकर गायकवाड ने सरकारी क्वाटर्स पर कब्जा जमाने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को महाराष्ट्र सरकार ने दी हैं। पूर्व मुख्य सचिव रह चुके महाराष्ट्र राजस्व प्राधिकरण के सदस्य जे पी डांगे के खिलाफ निष्कासन की कार्रवाई शुरु कर दी हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महाराष्ट्र सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग से रिटायर्ड होने के बाद सरकारी क्वाटर्स न छोड़नेवाले आईएएस, आईपीएस और सचिव स्तर के अधिकारियों की जानकारी मांगी थी। सामान्य प्रशासन विभाग के अवर सचिव शि. म.धुले ने अनिल गलगली को बताया कि रिटायर्ड होने के बाद सरकारी क्वाटर्स में 3 महिना रहने की इजाजत होती हैं। रिटायर्ड होने के बाद 3 महीना का अंतराल खत्म होते हुए जिन्होंने सरकारी क्वाटर्स छोड़ा नहीं हैं उनमें रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी राकेश मारिया, के एस बिश्नोई और मधुकर गायकवाड का शुमार हैं। पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त मारिया अंबर-27 में रहते हैं जिनका रिटायर्डमेंट के बाद 3 महीने का अंतराल 30 अप्रैल 2017 को खत्म हुआ हैं। साथ ही में अवंती-4 में रहनेवाले के एस बिश्नोई का 28 फरवरी 2017 और मधुकर गायकवाड जो निलांबरी-302 में रहते हैं उनका 3 महीने का अंतराल 31 मई 2017 को खत्म होते हुए वे सरकारी क्वाटर्स छोड़ने को राजी नहीं हैं। सिर्फ बिश्नोई ने और समय बढ़ाने की मांग की हैं जिनका मामला मुख्यमंत्री के पास पेश किया गया हैं।
पूर्व मुख्य सचिव रह चुके जे पी डांगे को महाराष्ट्र राजस्व प्राधिकरण का सदस्य की हैसियत से मिले यशोधन-11 इस क्वाटर्स में वर्तमान में निवास कर रहे हैं जिनके खिलाफ कार्यकारी अभियंता ने निष्कासन की कार्रवाई शुरु की हैं। डांगे को 1470 चौरस फुट का क्वाटर्स दिया गया था और दिनांक 1 सितंबर 2016 से 1 मई 2017 तक उनसे 7 लाख 50 हजार 900 रुपए का जुर्माना शुल्क बकाया हैं। कार्यकारी अभियंता,इलाखा शहर ने डांगे के खिलाफ सक्षम प्राधिकारी बृहन्मुंबई के न्यायालय में निष्कासन का प्रस्ताव पेश किया हैं।राकेश मारिया ने अनिल गलगली को एसएमएस कर बताया कि उन्होंने 15 जून को सरकारी निवसास्थान रिक्त किया है।अनिल गलगली ने ऐसे अधिकारियों को जबरन निकालने की मांग करते हुए जबतक वे सरकारी क्वाटर्स छोड़ते नहीं हैं और जुर्माने का शुल्क अदा नहीं करते हैं तबतक उनका पेंशन रोकने की मांग मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को भेजे हुए पत्र में की है।
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