Tuesday, 31 December 2024

नव वर्ष के माध्यम से समाज हित वास्तव में प्रेरणादायक हो सकता है

नव वर्ष के माध्यम से समाज हित वास्तव में प्रेरणादायक हो सकता है

नव वर्ष की शुभकामनाएं देने के बाद फौरन सोशल मीडिया पर विरोध आरंभ होता है। नव वर्ष की शुभकामनाएं की पोस्ट अक्सर सांस्कृतिक या वैचारिक दृष्टिकोण से प्रेरित होती हैं। लोग अपने-अपने विचार और परंपराओं के आधार पर नए वर्ष को स्वीकार या अस्वीकार करते हैं।

यह तर्क अक्सर भारतीय या अन्य सांस्कृतिक कैलेंडरों (जैसे विक्रम संवत, शके संवत या इस्लामिक हिजरी कैलेंडर) के आधार पर दिया जाता है। कुछ लोग मानते हैं कि भारतीय नव वर्ष (जैसे गुड़ी पड़वा, उगाड़ी, बैसाखी आदि) अधिक प्रामाणिक हैं और इन्हें प्रमुखता दी जानी चाहिए। यह एक सांस्कृतिक गर्व और परंपराओं को जीवित रखने का प्रयास हो सकता है।

ग्रेगोरियन कैलेंडर आज दुनियाभर में आधिकारिक तौर पर उपयोग होता है। इसलिए 1 जनवरी का महत्व व्यावहारिक और वैश्विक है। इसे "अंग्रेजी नव वर्ष" कहने का कारण इसका यूरोपीय मूल है, लेकिन यह अब केवल पश्चिमी परंपरा तक सीमित नहीं है।

यह विचार उन लोगों का हो सकता है जो औपनिवेशिक प्रभाव या पश्चिमी संस्कृति के बढ़ते प्रभाव का विरोध करते हैं। वे अपनी सांस्कृतिक पहचान को प्राथमिकता देना चाहते हैं। अपनी परंपराओं और आधुनिकता के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है। आप भारतीय नव वर्ष और 1 जनवरी दोनों को खुशी और सकारात्मकता के साथ मना सकते हैं।

नव वर्ष का दिन सिर्फ कैलेंडर की तारीख नहीं है, बल्कि इसे अच्छे कामों, समाजसेवा और संकल्पों के लिए उपयोग करना चाहिए। 1 जनवरी को नया वर्ष मनाने में कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए, जब तक यह सामाजिक या नैतिक मूल्यों को ठेस न पहुंचाए।

नया वर्ष एक सकारात्मक शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन शुभकामनाएं देना, संकल्प लेना और समाज के हित में काम करना वास्तव में प्रेरणादायक हो सकता है। लगातार 6 वर्ष से मुंबई के सायन अस्पताल में आयोजित रक्तदान शिविर जैसी गतिविधियां इस दिन को और भी अर्थपूर्ण बनाती हैं।

मेरा यह विचार है कि हर दिन को नए वर्ष की तरह जीना चाहिए। अगर हम हर दिन नए जोश, उत्साह और अच्छे विचारों के साथ जिएं, तो जीवन और बेहतर हो सकता है।

नव वर्ष को मनाना तभी गलत हो सकता है जब इसका उद्देश्य सामाजिक या नैतिक दृष्टि से अनुचित हो। अन्यथा, यह एक ऐसा अवसर है जो लोगों को जोड़ता है, प्रेरित करता है, और एक बेहतर समाज की दिशा में योगदान देता है। नव वर्ष को स्वीकारना या अस्वीकारना व्यक्तिगत चुनाव है। लेकिन यह दिन खुशी, एकता और सकारात्मकता फैलाने का अवसर हो सकता है, चाहे वह किसी भी कैलेंडर का हिस्सा हो।

अनिल वेदव्यास गलगली
वरिष्ठ पत्रकार एवं आरटीआई कार्यकर्ता

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Friday, 27 December 2024

डॉ मनमोहन सिंह की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया

डॉ मनमोहन सिंह की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया

महाराष्ट्र प्रदेश काँग्रेस कमिटी के मुख्य कार्यालय तिलक भवन दादर में कोषाध्यक्ष डॉ अमरजीतसिंह मनहास ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया. इस अवसर पर प्रदेश महासचिव राजेश शर्मा, राजन भोसले, मुनाफ हकिम ने भी अर्थशास्त्री डॉ मनमोहन सिंह को नमन किया. 

इस मौके पर पूर्व विधायक सुभाष चव्हाण, नामदेव चव्हाण, दत्ता नांदे, राघवेंद्र शुक्ला, मिलिंद केसरकर, जमिनदार यादव, श्रीरंग बर्गे, पुनम आर्य और पदाधिकारीयों ने दिवंगत प्रधानमंत्री के प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया.


Thursday, 26 December 2024

भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए प्रेरणादायक उदाहरण थे डॉ. मनमोहन सिंह

भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए प्रेरणादायक उदाहरण थे डॉ. मनमोहन सिंह 

डॉ. मनमोहन सिंह भारतीय राजनीति और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित नाम हैं। वे भारत के 13वें प्रधानमंत्री थे और 2004 से 2014 तक लगातार 10 वर्षों तक इस पद पर रहे। अपनी सादगी, विद्वता, और नीतिगत स्पष्टता के लिए वे व्यापक रूप से सम्मानित हैं।

उनकी मुख्य विशेषताएँ और योगदान के लिए वे हमेशा याद आते रहेंगे। वे अर्थशास्त्र के विद्वान थे। कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड से शिक्षा प्राप्त डॉ. मनमोहन सिंह ने भारतीय अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी। वर्ष 1991 में आर्थिक सुधारों के तहत उन्होंने भारत को वैश्विक आर्थिक मंच पर मजबूत आधार प्रदान किया। आर्थिक मंदी से भारत को उभारकर उन्होंने नई अर्थव्यवस्था की नींव रखी। वर्ष 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी के दौरान उनकी दूरदर्शिता ने भारत को गहरे संकट से बचाया।

डॉ. मनमोहन सिंह कई सारी योजनाओं के जनक थे। आधार योजना से पहचान सुनिश्चित करने का क्रांतिकारी कदम उठाया। मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना) से ग्रामीण भारत में रोजगार का अधिकार उपलब्ध कराया। भारत में व्यापक स्तर पर केंद्रीय कानून के तौर पर सूचना का अधिकार (RTI) कार्यान्वित किया। पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने वाला कानून आज लोकप्रिय है और आम लोगों के लिए राहत वाला कानून बन गया है।

डॉ. मनमोहन सिंह कांग्रेस से जुड़े थे लेकिन वे हमेशा वगैर-पक्षपाती नेतृत्व के लिए जाने गए। कांग्रेस पार्टी से जुड़े होने के बावजूद वे दलगत राजनीति से ऊपर उठकर काम करते रहे। प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद भी उनकी सादगी और निष्ठा बनी रही। उनपर मौनी बाबा होने का आरोप लगा लेकिन कभी भी उन्होंने अपनी मर्यादा नहीं छोड़ी ना विपक्षियों को भला- बुरा कहा।

डॉ. मनमोहन सिंह सादगी और ईमानदारी का प्रतीक थे। सार्वजनिक जीवन में उनका व्यवहार और आचरण हमेशा प्रेरणादायक रहा। उन्होंने अपने जीवनकाल में पद का कभी दुरुपयोग नहीं किया और आम जनता से सहजता से मिलते रहे।

डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन और कार्य भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए प्रेरणादायक उदाहरण है। उनकी नीतियों और व्यक्तित्व का प्रभाव आज भी महसूस किया जाता है।

अनिल गलगली
वरिष्ठ पत्रकार एवं आरटीआई कार्यकर्ता

Sunday, 22 December 2024

Cerebral Palsy Association celebrates Christmas

Cerebral Palsy Association celebrates Christmas

A special Christmas celebration was organized for the multiple disabled students of Cerebral Palsy Association at Kalina, Santa Cruz East in collaboration with India Factoring and Finance Solutions Pvt. Ltd. and Swarajya Youth Forum. In this program various activities like inter competition, music show and community dance on the tune of music were organized for the students.


Many Dignitaries including CPA Consultant and RTI Activist Anil Galgali, Rekha Deshpande, Swarajya Youth Forum founder Chetan Korgaonkar, CPA Consultant Vinod Saadvilkar, Dimple Chheda, Gauri Das (HR and Marketing Head), Amol Deshpande (Financial Controller), Ritu Breath were present in the program.


The program was planned with the joint efforts of the Institute's CEO Manjusha Singh, Raju Gollar, Namrata Mehta, Kavya Avinash Singh, Anita, Priya, Vinay, Kavita, Roshni, Aaradhya, Varsha, Sarika, Geeta, Wasim and the staff and parents. Students in attendance enjoyed special Christmas activities.

सेरेब्रल पाल्सी एसोसिएशन ने क्रिसमस मनाया

सेरेब्रल पाल्सी एसोसिएशन ने क्रिसमस मनाया

सांताक्रूज़ पूर्व कलिना में सेरेब्रल पाल्सी एसोसिएशन के बहु-विकलांग छात्रों के लिए इंडिया फैक्टरिंग एंड फाइनेंस सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड एवं स्वराज्य यूथ फोरम के सहयोग से एक विशेष क्रिसमस उत्सव आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में छात्रों के लिए अंतर प्रतियोगिता, संगीत शो और संगीत की धुन पर सामुदायिक नृत्य जैसी विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया।

कार्यक्रम में सीपीए सलाहकार एवं आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली, रेखा देशपांडे, स्वराज्य युथ फोरम के संस्थापक चेतन कोरगांवकर, डिंपल छेडा, सीपीए सलाहकार व रुग्णमित्र विनोद साडविलकर, गौरी दास (एचआर व मार्केटिंग प्रमुख), अमोल देशपांडे (वित्तीय नियंत्रक), रितू ब्रीद सहित कई मान्यवर उपस्थित थे।

कार्यक्रम का नियोजन संस्था के सीईओ मंजुषा सिंह, राजू गोल्लार, नम्रता मेहता, काव्या अविनाश सिंह, अनिता, प्रिया, विनय, कविता, रोशनी, आराध्या, वर्षा, सारीका, गीता, वासीम और कर्मचारी एवं अभिभावक के संयुक्त प्रयास से किया गया। उपस्थित छात्रों ने विशेष क्रिसमस गतिविधियों का आनंद लिया।

सेरेब्रल पाल्सी असोसिएशनतर्फे ख्रिसमस आनंदोत्सव साजरा

सेरेब्रल पाल्सी असोसिएशनतर्फे ख्रिसमस आनंदोत्सव साजरा

सांताक्रूझ पूर्व कालीना येथे सेरेब्रल पाल्सी असोसिएशन संस्थेच्या बहुविकलांग विद्यार्थ्यांसाठी इंडिया फॅक्टरींग ॲन्ड फायनान्स सोलूशन्स प्रा.लि. आणि स्वराज्य युथ फोरम यांच्या संयुक्त विद्यमाने ख्रिसमस विशेष आनंदोत्सव साजरा करण्यात आला. या कार्यक्रमात विद्यार्थ्यांसाठी आंतर स्पर्धा, म्युझिक शो आणि संगीताच्या तालावर सामुदायिक नृत्य यांसारख्या विविध उपक्रमांचे आयोजन करण्यात आले होते.

या कार्यक्रमास सीपीए सल्लागार व माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली, रेखा देशपांडे, स्वराज्य युथ फोरमचे संस्थापक चेतन कोरगांवकर, सीपीए सल्लागार व रुग्णमित्र विनोद साडविलकर, गौरी दास (एचआर व मार्केटिंग प्रमुख), अमोल देशपांडे (वित्तीय नियंत्रक), रितू ब्रीद, डिंपल छेड़ा यांसह अनेक मान्यवर उपस्थित होते.

कार्यक्रमाचे नियोजन संस्थेच्या सीईओ मंजुषा सिंह, राजू गोल्लार, नम्रता मेहता, काव्या अविनाश सिंह, अनिता, प्रिया, विनय, कविता, रोशनी, आराध्या, वर्षा, सारीका, गीता, वासीम आणि कर्मचारी व पालक यांच्या संयुक्त प्रयत्नातून करण्यात आले. उपस्थित विद्यार्थ्यांनी ख्रिसमस विशेष उपक्रमांचा आनंद घेतला.

Tuesday, 17 December 2024

उत्तर प्रदेश विधानसभा में पत्रकारों के लिए बना आधुनिक सुविधायुक्त प्रेस रूम

उत्तर प्रदेश विधानसभा में पत्रकारों के लिए बना आधुनिक सुविधायुक्त प्रेस रूम

लखनऊ,  उत्तर प्रदेश विधानसभा में पत्रकारों के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित नवीन प्रेस रूम का उद्घाटन विधानसभा अध्यक्ष  सतीश महाना ने किया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी ने कहा कि विधानसभा के प्रेस रूम को अब पूरी तरह से आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि पत्रकारों के लिए फ्री वाई-फाई, मोबाइल और लैपटॉप चार्जिंग स्टेशन, सेंट्रलाइज्ड एयर कंडीशनिंग, और टीवी जैसी तकनीकी सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।

प्रेस रूम में बैठने के लिए फोर शीटर और सिंगल शीटर सोफा, दो राउंड टेबल, और 40 रिवॉल्विंग चेयर के साथ यू-शेप टेबल बनाया गया है, जहां हर स्थान पर चार्जिंग की सुविधा है। इसके अलावा, एक अतिरिक्त कक्ष में रेफ्रिजरेटर, आधुनिक शौचालय, और पेंट्री एरिया की भी व्यवस्था की गई है।

हेमंत तिवारी ने कहा कि वर्षों पुराना प्रेस रूम अब पूरी तरह से सुविधाजनक और कार्यशील बन चुका है। उन्होंने इन सुविधाओं के लिए योगी सरकार और विधानसभा अध्यक्ष का आभार व्यक्त किया।

Sunday, 8 December 2024

कुर्ल्यात 141 वा चंपाषष्ठी यात्रोत्सवाचा शुभारंभ

कुर्ल्यात 141 वा चंपाषष्ठी यात्रोत्सवाचा शुभारंभ

कुर्ल्यातील प्राचीन असे श्री सर्वेश्वर महादेव देवालयात श्री सर्वेश्वर महादेवाच्या साक्षीने 141 वा चंपाषष्ठी यात्रोत्सवाचा शुभारंभ करण्यात आला. यावेळी श्री सर्वेश्वर महादेवाची पालखी मिरवणूकीपूर्वी विशेष पूजा आयोजित करण्यात आली. दिनांक 7 डिसेंबर ते 15 डिसेंबर 2024 पर्यंत जत्रोत्सव सोहळयात श्री सर्वेश्वर कुस्ती फड आणि त्यानंतर श्रीरामाची जत्रा साजरी करण्यात येईल. 

पुजारी मंदार जोशी यांनी विधिवत पूजा संपन्न केली. यावेळी आमदार मंगेश कुडाळकर, अनिल गलगली भाऊ कोरगांवकर, डॉ महेश पेडणेकर, किसन मदने, डॉ अनुराधा पेडणेकर, मनोज नाथानी, चंद्रकांत सावंत, रवींद्र कोचले, विनायक गाढवे, प्रदीप भोसले, बबन शेळके, उमेश गायकवाड, प्रमोद शिरगावकर,  प्रेमचंद मदने, चेतन कोरगांवकर, प्रकाश चौधरी उपस्थित होते.


141 वर्षापूर्वी स्वदेशी मिल मधील हिंदू कामगारांनी जमा केलेल्या वर्गणीतून व टाटांकडून वाडिया मार्फत उपलब्ध करून दिलेल्या जागेत स्वदेशी मिल कामगारांनी श्री सर्वेश्वर महादेव मंदिराची स्थापना व उभारणी करून पहिला चंपाषष्ठी उत्सव बुधवार दि. 5 डिसेंबर 1883 रोजी साजरा करण्यात आला. त्यानंतर अविरत 141 वर्षे मुंबापुरातील ही परंपरा स्वदेशी मिल आणि न्यु मिल मधील कामगार आणि कुर्ला व चुनाभट्टी मधील स्थानिक भाविकांच्या माध्यमातून चंपाषष्ठी व जत्रा उत्सव अतिशय उत्साहात साजरा करण्यात येते.

Saturday, 7 December 2024

बाळशास्त्री जांभेकर सन्मान योजनेच्या अटी व निकष शिथिल करणार

बाळशास्त्री जांभेकर सन्मान योजनेच्या अटी व निकष शिथिल करणार; जीआरची अंमलबजावणी आठवड्यात होणार

मंत्रालय आणि विधिमंडळ वार्ताहर संघाच्या सततच्या पाठपुराव्याला यश

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांची घोषणा

'आचार्य बाळशास्त्री जांभेकर पत्रकार सन्मान योजने'चे निकष शिथिल करण्याचा निर्णय तसेच दरमहा २० हजार रुपये सन्मान निधी देण्याच्या शासन निर्णयावर येत्या आठवड्यात कार्यवाही करण्यात येईल, अशी घोषणा राज्याचे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी केली आहे.


राज्याच्या मुख्यमंत्रीपदाची शपथ घेतल्यानंतर प्रथेप्रमाणे मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हे मंत्रालयातील पत्रकार कक्षात येऊन पत्रकार परिषद संबोधित केली. यावेळी  मंत्रालय आणि विधिमंडळ वार्ताहर संघाच्यावतीने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांचा अध्यक्ष  प्रमोद डोईफोडे यांच्या शुभहस्ते सत्कार करण्यात आला. त्यावेळी त्यांनी ही घोषणा केली. या कार्यक्रमात मनोगत व्यक्त करताना संघाचे अध्यक्ष प्रमोद डोईफोडे यांनी आवर्जून हा मुद्दा उपस्थित केला. माजी मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांनी मंत्रालय व विधिमंडळ वार्ताहर संघाच्या ९ मे  २०२३ रोजी सह्याद्री अतिथीगृहात झालेल्या पुरस्कार वितरण कार्यक्रमात सन्मान निधी वाढविण्याची घोषणा केली होती. लोकसभा निवडणुकीची आचारसंहिता लागू होण्यापूर्वी मार्च २०२४ मध्ये राज्य सरकारने राज्यातील निवृत्त पत्रकारांना देण्यात येणाऱ्या सन्माननिधी योजनेची दरमहा देण्यात येणारी रक्कम रुपये ११ हजारांऐवजी २० हजार रुपये करण्याचा शासन निर्णय (जीआर) जारी केला. मात्र त्याची अजूनही अंमलबजावणी करण्यात आली नसल्याचे अध्यक्ष डोईफोडे यांनी निदर्शनास आणले. महायुती सरकारने लाडक्या बहिणींचा सन्मान केला तसा सन्मान राज्यातील ज्येष्ठ पत्रकारांचा करून त्यांनाही दिलासा द्यावा, अशी मागणी  डोईफोडे यांनी केली.

आचार्य बाळशास्त्री जांभेकर पत्रकार सन्मान निधीचे निकष शिथिल करण्याचा निर्णय तसेच २० हजार रुपये दरमहा सन्माननिधी देण्यासंदर्भात जारी केलेल्या शासन निर्णयावर येत्या आठवड्यात कार्यवाही केली जाईल, अशी घोषणा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यांनी यावेळी केली. मुख्यमंत्री फडणवीस यांनी केलेल्या या घोषणेमुळे राज्यातील अनेक ज्येष्ठ पत्रकारांना याचा फायदा होणार आहे. सन्मान निधीत वाढ करून ते ११ हजाराऐवजी २० हजार रुपये करण्यात यावे तसेच शासन निर्णयांची अंमलबजावणी करण्यात यावी यासाठी मंत्रालय आणि विधिमंडळ वार्ताहर संघाने पाठपुरावा केला होता. संघाच्या सततच्या पाठपुराव्याला अखेर यश आले आहे. यावेळी सरचिटणीस प्रविण पुरो, कोषाध्यक्ष विनोद यादव, कार्यकारिणी सदस्य खंडूराज गायकवाड, भगवान परब, आलोक देशपांडे, मनोज मोघे यांच्यासह मोठ्या संख्येने पत्रकार उपस्थित होते.

Wednesday, 4 December 2024

सामाजिक आणि राजकीय समीकरणांचा समतोल साधणारा चेहरा म्हणजे देवेंद्र फडणवीस

सामाजिक आणि राजकीय समीकरणांचा समतोल साधणारा चेहरा म्हणजे देवेंद्र फडणवीस

महाराष्ट्राच्या राजकारणातील कार्यक्षम नेते म्हणून ओळखले जाणारे देवेंद्र सरिता गंगाधरराव फडणवीस आता तिसऱ्यांदा महाराष्ट्राचे मुख्यमंत्री होत आहेत. त्यांची भारतीय जनता पक्षाच्या (भाजप) विधिमंडळ गटाच्या नेतेपदी एकमताने निवड झाली. राज्यातील सामाजिक आणि राजकीय समीकरणे जुळवून भाजपने योग्य चेहरा निवडला आहे.
 

भारतीय जनता पक्ष (भाजप) सर्वात मोठा पक्ष म्हणून उदयास आला, तर शिवसेना आणि राष्ट्रवादी काँग्रेस पक्ष (NCP) यांनीही प्रभावी कामगिरी केली. भाजपने 132, शिवसेनेच्या शिंदे गटाला 57 आणि राष्ट्रवादी काँग्रेसच्या अजित पवार गटाला 41 जागा जिंकून ऐतिहासिक निकाल आणण्यात यश आले. तर शिवसेनेच्या उद्धव ठाकरे गटाला 20, काँग्रेसला 16 आणि राष्ट्रवादी काँग्रेसला 10 जागा मिळाल्या आहेत. समाजवादी पक्षाने 2 तर इतरांनी 10 जागा जिंकल्या. राष्ट्रवादीचे नेते अजित पवार यांनी मुख्यमंत्रीपदाबाबत आधीच भूमिका स्पष्ट केली होती. राष्ट्रवादीच्या नेतृत्वाने पंतप्रधान नरेंद्र मोदी आणि गृहमंत्री अमित शहा यांची भेट घेऊन आपली भूमिका मांडली. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे यांना मुख्यमंत्रीपद सोडावे लागले. या बदलामुळे भाजपचाच मुख्यमंत्री होणार हे निश्चित होते.

◆ ३१वे मुख्यमंत्री

महाराष्ट्राचे ३१ वे मुख्यमंत्री म्हणून त्यांचा कार्यकाळ पुन्हा सुरू होत असून, त्यामुळे संपूर्ण राज्यात आनंदाचे आणि उत्साहाचे वातावरण आहे.

◆ तिसऱ्यांदा मुख्यमंत्री 

देवेंद्र सरिता गंगाधरराव फडणवीस यांची मुख्यमंत्री म्हणून ही तिसरी वेळ आहे, जो त्यांच्या नेतृत्वाचा आणि लोकप्रियतेचा पुरावा आहे.

◆ समतोल साधण्याची क्षमता

देवेंद्र सरिता गंगाधरराव फडणवीस हे संघटना आणि सरकार यांच्यात समतोल राखण्याच्या त्यांच्या अद्वितीय क्षमतेसाठी ओळखले जातात, ज्यामुळे त्यांना पक्ष आणि जनतेचा विश्वास जिंकण्यात मदत झाली आहे.

◆  स्थैर्याचे नेतृत्व

देवेंद्र फडणवीस यांचे नेतृत्व हे नेहमीच महाराष्ट्राच्या विकासाचे आणि स्थैर्याचे प्रतीक राहिले आहे. मुख्यमंत्री म्हणून त्यांचा शेवटचा पाच वर्षांचा कार्यकाळ समाधानकारक मानला गेला, जिथे त्यांनी पायाभूत सुविधा, शहरी विकास आणि शेतकरी कल्याणासाठी अनेक योजना राबवल्या.


◆ मुख्यमंत्री म्हणून यश

त्यांच्या ५ वर्षांच्या कार्यकाळात मेट्रो प्रकल्प, रस्तेबांधणी, जलव्यवस्थापन, औद्योगिक गुंतवणुकीला नवी दिशा मिळाली. त्यांनी महाराष्ट्र हे गुंतवणूकदारांसाठी आकर्षक राज्य बनवले.

◆ उपमुख्यमंत्री म्हणून योगदान

उपमुख्यमंत्री असतानाही त्यांनी अर्थ आणि गृह खाते प्रभावीपणे सांभाळून राज्याच्या विकासाचा आलेख उंचावला. त्यांचे निर्णय घेण्याचे कौशल्य आणि संकट व्यवस्थापनातील कार्यक्षमता वाखाणण्याजोगी होती.

◆ विकासकामांना प्राधान्य

देवेंद्र वफडणवीस तिसऱ्यांदा मुख्यमंत्री झाल्यामुळे ते अपूर्ण विकासकामे वेगाने पूर्ण करून राज्यातील प्रत्येक क्षेत्राला प्रगतीपथावर नेतील, अशी अपेक्षा आहे.


त्यांच्या सक्षम नेतृत्वाने राज्याला पुन्हा एकदा नव्या उंचीवर नेण्याची अपेक्षा महाराष्ट्रातील जनतेला आहे. त्यांच्या यशामुळे राज्याच्या विकास आणि प्रशासनात नवीन उंची गाठण्याची आशा निर्माण झाली आहे.


अनिल गलगली
माहिती अधिकार कार्यकर्ते

Tuesday, 3 December 2024

सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों को संतुलित करने का चेहरा देवेंद्र फडणवीस

सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों को संतुलित करने का चेहरा देवेंद्र फडणवीस

देवेंद्र सरिता गंगाधरराव फडणवीस, जिन्हें महाराष्ट्र की राजनीति में एक कुशल नेता के रूप में जाना जाता है, अब तीसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन रहे हैं। उन्हें भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधिमंडल गुट ने सर्वसम्मति से नेता चुना। भाजपा ने राज्य के सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों को संतुलित करते हुए सही चेहरे का चयन किया है। 

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जबकि शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने भी प्रभावशाली प्रदर्शन किया। भाजपा 132, शिवसेना शिंदे गुट 57 और एनसीपी अजित पवार गुट ने 41 सीटे जीतकर ऐतिहासिक परिणाम लाने में सफल हुए । वहीं शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट 20, कांग्रेस 16 और एनसीपी शरद पवार 10 सीटें पाने में सफल हुए थे। समाजवादी पार्टी ने 2 और अन्य ने 10 सीटें जीती थी। 

एनसीपी नेता अजित पवार ने पहले ही मुख्यमंत्री पद को लेकर अपना रुख स्पष्ट कर दिया था। एनसीपी नेतृत्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर अपना पक्ष रखा। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा। इस बदलाव से भाजपा का मुख्यमंत्री बनना तय था ही।

31वें मुख्यमंत्री: 

महाराष्ट्र के 31वें मुख्यमंत्री के रूप में उनका कार्यकाल फिर शुरू होने जा रहा है, जिससे पूरे राज्य में खुशी और उत्साह का माहौल है।


तीसरी बार मुख्यमंत्री: 

देवेंद्र सरिता गंगाधरराव फडणवीस बतौर मुख्यमंत्री यह उनकी तीसरी पारी है, जो उनके नेतृत्व और लोकप्रियता का प्रमाण है।


संतुलन बनाने की क्षमता: 

देवेंद्र सरिता गंगाधरराव फडणवीस को संगठन और सरकार के बीच संतुलन बनाए रखने की अद्वितीय क्षमता के लिए जाना जाता है, जिसने उन्हें पार्टी और जनता दोनों का विश्वास जीतने में मदद की है।


देवेंद्र फडणवीस का नेतृत्व हमेशा से महाराष्ट्र के विकास और स्थिरता का प्रतीक रहा है। मुख्यमंत्री के रूप में उनके पिछले पांच वर्षों के कार्यकाल को संतोषजनक माना गया, जहां उन्होंने बुनियादी ढांचे, शहरी विकास और किसानों की भलाई के लिए कई योजनाएं लागू कीं।

मुख्यमंत्री के तौर पर सफलता: 

उनके 5 वर्षों के कार्यकाल में मेट्रो परियोजनाओं, सड़क निर्माण, जल प्रबंधन, और औद्योगिक निवेश को नई दिशा मिली। उन्होंने महाराष्ट्र को निवेशकों के लिए एक आकर्षक राज्य बनाया।


उपमुख्यमंत्री के रूप में योगदान: 

उपमुख्यमंत्री के रूप में भी उन्होंने वित्त और गृह विभाग को प्रभावी तरीके से संभालते हुए राज्य के विकास ग्राफ को बढ़ाया। उनका निर्णय लेने का कौशल और संकट प्रबंधन में दक्षता सराहनीय रही।

विकास कार्यों को प्राथमिकता: 

फडणवीस के तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के साथ ही यह उम्मीद की जा रही है कि वे अधूरे विकास कार्यों को तेजी से पूरा करेंगे और राज्य के हर क्षेत्र को प्रगति के रास्ते पर ले जाएंगे।


महाराष्ट्र के लोग उनके कुशल नेतृत्व से एक बार फिर राज्य को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने की उम्मीद कर रहे हैं। उनकी यह सफलता राज्य के विकास और प्रशासन में नई ऊंचाइयों को छूने की उम्मीद जगाती है।

अनिल गलगली

Sunday, 1 December 2024

अण्णा परब यांच्या आठवणींना दिला उजाळा

अण्णा परब यांच्या आठवणींना दिला उजाळा

मुंबई आणि कोकण परिसरात भरीव शैक्षणिक कार्य करणारे वसंत शंकर परब (  अण्णा परब ) यांच्या 74 व्या जयंती निमित्ताने चांदिवली येथील गुरुकुल कोचिंग क्लासेस येथे आयोजित कार्यक्रमात त्यांच्या आठवणींना उजाळा देण्यात आला.

कै अण्णा परब प्रतिष्ठान तर्फे आयोजित कार्यक्रमात सामाजिक, शैक्षणिक आणि राजकीय क्षेत्रात त्यांनी केलेल्या कामाची आठवण काढण्यात आली. यावेळी आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली, एनसीपी जिल्हाध्यक्ष अरशद अमीर, उत्तर मध्य जिल्हा काँग्रेस उपाध्यक्ष वजीर मुल्ला, शिवसेना उप विभागप्रमुख राजू परब, संजय कालसेकर, प्रतिष्ठानाचे अध्यक्ष रविंद्र हिंगमिरे, बाबू बत्तेली, एड कैलास आगवणे, राजू अप्पा परब, सुभाष गायकवाड, रत्नाकर शेट्टी, रियाझ मुल्ला, मनाली गायकवाड, रेणू रमेश सिंह, मंदा खरटमोल, कृष्णा व्हटकर, स्वप्नील चव्हाण, अजीज खान, अनिल लोंढे, शिवाजी लोंढे, लतीफ खान, इफ्तेखार खान, पवन जैन, मोहसीन शेख, असफाक खान, श्याम थापा, पंकज शर्मा, इश्वरचंद, प्रतिक प्रजापती उपस्थित होते. कार्यक्रमाचे सूत्रसंचालन एड कैलास आगवणे यांनी केले तर आभार बाबू बत्तेली यांनी मानले.

Friday, 29 November 2024

ईवीएम की विश्वनीयता पर उठ रहे सभी तर्कों पर लगा पूर्णविराम!

ईवीएम की विश्वनीयता पर उठ रहे सभी तर्कों पर लगा पूर्णविराम!

इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम एक बार फिर सवालों के घेरे में है। हाल में हुए महाराष्ट्र के चुनावों में भाजपा प्रणीत गठबंधन की एकतरफा जीत से राजनीतिक दलों ने फिर से इसकी विश्वसनीयता पर प्रश्न उठाना शुरू कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस पीबी वराले की बेंच ने बैलेट पेपर वोटिंग सिस्टम को दोबारा शुरू करने की मांग करने वाली याचिका खारिज कर ईवीएम की विश्वनीयता पर उठ रहे सभी तर्कों पर पूर्णविराम लगा दिया है। 


सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि ईवीएम से पार्टियों को दिक्कत नहीं है, आपको क्यों है। ऐसे आइडिया कहां से लाते हो। इस पर याचिकाकर्ता केए पॉल ने कहा कि चंद्रबाबू नायडू और वाईएस जगन मोहन रेड्डी जैसे नेताओं ने भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से छेड़छाड़ पर सवाल उठाए हैं। बेंच ने कहा, चंद्रबाबू नायडू या जगन मोहन रेड्डी जब चुनाव हारते हैं तो कहते हैं कि ईवीएम से छेड़छाड़ होती है और जब वे जीतते हैं तो वे कुछ नहीं कहते हैं। हम इसे कैसे देख सकते हैं। हम इसे खारिज कर रहे हैं। ये वो जगह नहीं है जहां आप इस सब पर बहस करें। 


दूसरी ओर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने तो ईवीएम के खिलाफ आंदोलन छेड़ने और बैलट पेपर से वोटिंग की मांग कर दी है। शिवसेना पक्ष प्रमुख उद्धव ठाकरे ने फैसला किया है कि जिन मतदान केंद्र पर ईवीएम छेड़छाड़ का शक है, वहां पर 5 फीसदी वीवीपैट के रीकाउंटिंग की याचिका दायर की जाएगी। यह कोई पहली बार नहीं हो रहा है। इसके पहले सपा नेता अखिलेश यादव और बसपा प्रमुख मायावती ने केंद्र सरकार को बैलट से चुनाव कराने की चुनौती दी थी। हालांकि चुनाव आयोग ने एक बार फिर इन बातों को गंभीरता से नहीं लिया। तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त ओमप्रकाश रावत ने तो यहां तक कहा कि ईवीएम को बलि का बकरा बनाया जा रहा है क्योंकि वह बोल नहीं सकती। जब राजनीतिक दल हार को हजम नहीं कर पाते तो ईवीएम पर ठीकरा फोड़ देते हैं। आयोग और राजनीतिक दलों की इस रस्साकशी से जनता भ्रम में पड़ गई है। महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव के पहले ही चुनाव आयोग ने कहा कि ईवीएम में कोई गड़बड़ी नहीं होती। ईवीएम पूरी तरह सुरक्षित है। ईवीएम की बैटरी पर भी पोलिंग एजेंट के साइन होंगे। ईवीएम 3 लेयर की सिक्योरिटी में रहेगी। चुनाव आयोग ने कहा कि ईवीएम में सिंगल यूज बैटरी लगती है। ईवीएम में मोबाइल जैसी बैटरी नहीं होती है। 

ईवीएम कैसे आई भारत में?

ईवीएम का निर्माण भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बेंगलुरु और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद ने किया है। इसका पहली बार इस्तेमाल मई, 1982 में केरल के परूर विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के 50 मतदान केंद्रों पर हुआ, लेकिन 1983 के बाद इन मशीनों का इस्तेमाल इसलिए नहीं किया गया कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में वोटिंग मशीनों के इस्तेमाल को वैधानिक रूप दिए जाने का आदेश दिया। दिसंबर, 1988 में संसद ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 में नई धारा-61 ए, जो चुनाव आयोग को वोटिंग मशीनों के इस्तेमाल का अधिकार देती है। इसका संशोधित प्रावधान 15 मार्च 1989 से प्रभावी हुआ। फिर केंद्र सरकार ने फरवरी, 1990 में अनेक मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय दलों के प्रतिनिधियों वाली चुनाव सुधार समिति बनाई और इस समिति को ईवीएम के प्रयोग पर विचार करने को कहा। इसके साथ ही सरकार ने एक विशेषज्ञ समिति का भी गठन किया, जिसने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इन मशीनों से छेड़छाड़ संभव नहीं है।

24 मार्च 1992 को केंद्रीय विधि तथा न्याय मंत्रालय द्वारा चुनाव कराने संबंधी कानून, 1961 में आवश्यक संशोधन की अधिसूचना जारी की गई। नवंबर 1998 के बाद से आम चुनाव-उप-चुनावों में प्रत्येक संसदीय तथा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में ईवीएम का इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत 2004 के आम चुनाव में देश के सभी मतदान केंद्रों पर 10.75 लाख ईवीएम के इस्तेमाल के साथ ही ई-लोकतंत्र में परिवर्तित हो गया। तब से सभी चुनावों में ईवीएम का इस्तेमाल जारी है। इन मशीनों से झटपट परिणाम आने के कारण चुनाव आयोग, राजनीतिक दलों और मतदाताओं ने इसे हाथोंहाथ लिया। पंचायतों तक के चुनाव में इनका प्रयोग शुरू हो गया। इनका चलन इतना बढ़ गया है कि बैलट पेपर बहुत पिछड़ी प्रणाली नजर आने लगी है। ईवीएम से वोट डालने में ज्यादा समय नहीं लगता और गिनती बड़ी आसानी से हो जाती है। इसके इस्तेमाल से फ़र्जी मतदान तथा बूथ कब्जे की घटनाओं में कमी का दावा किया गया है।

निरक्षर लोग ईवीएम को मतपत्र प्रणाली से अधिक आसान पाते हैं। मत-पेटिकाओं की तुलना में ईवीएम को पहुंचाने तथा वापस लाने में आसानी होती है। सबसे बड़ी बात है कि इनका इस्तेमाल बिना बिजली के किया जा सकता है क्योंकि मशीन बैटरी से चलती है। यदि उम्मीदवारों की संख्या 64 से अधिक न हो तो ईवीएम के इस्तेमाल से चुनाव कराए जा सकते हैं। एक ईवीएम मशीन अधिकतम 3840 वोट दर्ज कर सकती है। ऐसा नहीं है कि ईवीएम के खराब होने को लेकर आयोग सचेत नहीं रहा है। इसको ध्यान में रखते हुए ही एक अधिकारी को मतदान के दिन लगभग 10 मतदान केंद्रों को कवर करने के लिए ड्यूटी पर लगाया जाता है। वे अपने पास अतिरिक्त ईवीएम रखे रहते हैं ताकि खराब ईवीएम को नई ईवीएम से बदला जा सके। ईवीएम के खराब होने के समय तक दर्ज मत कंट्रोल यूनिट की मेमोरी में सुरक्षित रहता है।

ईवीएम के सुरक्षा प्रबंधों में रह गई खामियों के मद्देनजर उसमें समय-समय पर तब्दीलियां भी की गई हैं, लेकिन इस्तेमाल के थोड़े ही दिनों बाद ईवीएम की विश्वसनीयता पर विवाद शुरू हो गया। सबसे पहले दिल्ली हाईकोर्ट में इसकी विश्वसनीयता को चुनौती दी गई। तत्कालीन भाजपा नेता डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने कांग्रेस की लोकसभा में हुई जीत के बाद ईवीएम पर संदेह जताया था। भाजपा प्रवक्ता जीवीएल नरसिंहराव ने ‘डेमोक्रेसी ऐट रिस्क’ किताब में ईवीएम कैसे लोकतंत्र की हत्या करती है, इसका ब्यौरा पेश कर सनसनी फैलाई थी। भाजपा  के वरिष्ठ नेता और पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने भी ईवीएम का विरोध किया था, लेकिन जब चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक दलों को ईवीएम हैक करने की चुनौती दी तब कोई भी दल आगे नहीं आया। आज कांग्रेस भी भाजपा की तर्ज पर ईवीएम का विरोध करती नजर आ रही है।

मुंबई सहित महाराष्ट्र में ईवीएम को लेकर जिन उम्मीदवारों ने सवाल उठाए है उसपर चुनाव आयोग के जबाब से ईवीएम की विश्वसनीयता बढ़ गई है। मुंबई स्थित दहिसर विधानसभा क्षेत्र में ईवीएम में गड़बड़ी के एमएनएस उम्मीदवार राजेश येरुनकर के आरोपों को खारिज कर दिया। येरुनकर ने दावा किया था कि उन्हें मतदान केंद्र पर केवल दो वोट मिले, जबकि उनके परिवार के चार सदस्यों ने वहां मतदान किया था। उन्होंने वोटों की गिनती पर भी सवाल उठाए। मनपा द्वारा स्पष्ट किया कि येरुनकर को वास्तव में संबंधित मतदान केंद्र पर 53 वोट मिले थे, जिससे मतदान डेटा और ईवीएम संख्याओं के बीच विसंगतियों के उम्मीदवार के दावों का खंडन हो गया। चुनाव में मतदान प्रतिशत जल्दबाजी में दिखाने के चकल्लस में राजनीतिक दल हो या मीडिया ने उन पोस्टल वोट को नहीं जोड़ा। जिससे बाद में अतिरिक्त वोटों की वृद्धि पर सवाल उठाए गए।

मतदान होने के पश्चात क्या ईवीएम में छेड़छाड़ संभव है? इसपर कई कहानियां सामने आ रही है। मतदान के बाद स्ट्रांग रूम में ईवीएम को सुरक्षित रखा जाता है। पहले तो इस स्ट्रांग रूम के बाहर राजनीतिक दल के कार्यकर्ता 24 घंटे पहरा देते थे। अब यह परंपरा बंद हो गई है। लेकिन मुंबई, ठाणे जैसे क्षेत्र में उम्मीदवारों ने स्ट्रांग रूम के बाहर चौकस व्यवस्था रखी थी। अब यह सबसे बड़ा सवाल है कि क्या, मतदान के बाद सील की गई ईवीएम से छेड़छाड़ संभव है? इसपर कोई अधिकृत शिकायत चुनाव आयोग के पास दर्ज नहीं होने से चुनाव आयोग ने इसपर कोई राय नहीं रखी हैं।


महाराष्ट्र हो या झारखंड के विधानसभा चुनाव की दृष्टि से हर चुनावी कार्यालय में मतदान मशीनें तैयार करने की प्रक्रिया का जिला चुनाव अधिकारी निरीक्षण कर एक मशीन पर स्वयं मॉकपोल करते है। उसवक्त सभी राजनीतिक दल के प्रमुख कार्यकर्ता भी उपस्थित रहते है। मतदान के दिन भी इसीतरह की प्रक्रिया का अनुपालन होता है। वैसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर चुनाव आयोग ने मानक संचालन प्रक्रिया जारी की हैं। जो प्रत्याशी ईवीएम में वोटों के सत्यापन की मांग कर रहे हैं, उन्हें प्रत्येक ईवीएम सेट के निश्चित शुल्क अदा करना होता है। यह सबसे कारगर उपाय है। ईवीएम को कोसने के बजाय आज सभी दलों को मिल-बैठकर इस पर विचार करना चाहिए कि यह फूलप्रूफ कैसे ईवीएम बने। बेहतर होगा कि वे आयोग के साथ सहयोग करें।


अनिल गलगली
सूचना अधिकार कार्यकर्ता

ईव्हीएमच्या विश्वासार्हतेवरून सुरू असलेल्या सर्व वादांना पूर्णविराम!

ईव्हीएमच्या विश्वासार्हतेवरून सुरू असलेल्या सर्व वादांना पूर्णविराम!

इलेक्ट्रॉनिक व्होटिंग मशीन म्हणजेच ईव्हीएमवर पुन्हा एकदा प्रश्नचिन्ह निर्माण झाले आहे. नुकत्याच झालेल्या महाराष्ट्र निवडणुकीत भाजपच्या नेतृत्वाखालील आघाडीचा एकतर्फी विजय झाल्याने राजकीय पक्षांनी पुन्हा एकदा त्याच्या विश्वासार्हतेवर प्रश्न उपस्थित करण्यास सुरुवात केली आहे. न्यायमूर्ती विक्रम नाथ आणि न्यायमूर्ती पीबी वराळे यांच्या सुप्रीम कोर्टाच्या खंडपीठाने बॅलेट पेपर मतदान प्रणाली पुन्हा सुरू करण्याची मागणी करणारी याचिका फेटाळून लावत ईव्हीएमच्या विश्वासार्हतेवर उपस्थित होत असलेल्या सर्व युक्तिवादांना पूर्णविराम दिला आहे.

सर्वोच्च न्यायालयाने याचिकाकर्त्याला विचारले की, पक्षांना ईव्हीएममध्ये कोणतीही अडचण नाही, तुम्हाला ती का आहे? तुम्हाला अशा कल्पना कुठून येतात? यावर याचिकाकर्ते केए पॉल म्हणाले की चंद्राबाबू नायडू आणि वायएस जगन मोहन रेड्डी यांसारख्या नेत्यांनीही इलेक्ट्रॉनिक मतदान यंत्रांशी छेडछाड करण्यावर प्रश्न उपस्थित केले आहेत. खंडपीठाने म्हटले की, चंद्राबाबू नायडू किंवा जगन मोहन रेड्डी निवडणुकीत हरतात तेव्हा ते म्हणतात की ईव्हीएममध्ये छेडछाड झाली आहे आणि जिंकल्यावर ते काहीही बोलत नाहीत. आपण ते कसे पाहू शकतो. आम्ही ते नाकारत आहोत. हे सर्व वादविवाद करण्याचे ठिकाण नाही.

दुसरीकडे, काँग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खर्गे यांनी ईव्हीएम आणि बॅलेट पेपरद्वारे मतदानाच्या विरोधात आंदोलन सुरू करण्याची घोषणा केली आहे. ज्या मतदान केंद्रांवर ईव्हीएममध्ये छेडछाड झाल्याचा संशय आहे, त्या मतदान केंद्रांवर ५ टक्के व्हीव्हीपॅटची पुनर्गणना करण्यासाठी याचिका दाखल करण्याचा निर्णय शिवसेना पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे यांनी घेतला आहे. हे काही पहिल्यांदाच घडत नाही आहे. यापूर्वी सपा नेते अखिलेश यादव आणि बसपा प्रमुख मायावती यांनी केंद्र सरकारला मतपत्रिकेद्वारे निवडणुका घेण्याचे आव्हान दिले होते. मात्र, निवडणूक आयोगाने पुन्हा एकदा या गोष्टी गांभीर्याने घेतल्या नाहीत. तत्कालीन मुख्य निवडणूक आयुक्त ओमप्रकाश रावत यांनी तर ईव्हीएमला बोलता येत नसल्याने त्यांना बळीचा बकरा बनवले जात असल्याचे म्हटले होते. राजकीय पक्षांना पराभव पचवता येत नसताना ते ईव्हीएमला दोष देतात. आयोग आणि राजकीय पक्षांमधील या रस्सीखेचीमुळे जनता संभ्रमात पडली आहे. महाराष्ट्र आणि झारखंड निवडणुकीपूर्वीच निवडणूक आयोगाने ईव्हीएममध्ये कोणताही दोष नसल्याचे सांगितले. ईव्हीएम पूर्णपणे सुरक्षित आहे. ईव्हीएमच्या बॅटरीवर पोलिंग एजंटची सही असते. ईव्हीएम थ्री लेयर सिक्युरिटी अंतर्गत असतील. निवडणूक आयोगाने सांगितले की, ईव्हीएममध्ये एकल वापराच्या बॅटरी असतात. ईव्हीएममध्ये मोबाईलप्रमाणे बॅटरी नसतात.

EVM भारतात कसे आले?

ईव्हीएमची निर्मिती भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड, बेंगळुरू आणि इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, हैदराबाद यांनी केली आहे. मे 1982 मध्ये केरळच्या परूर विधानसभा मतदारसंघातील 50 मतदान केंद्रांवर याचा वापर करण्यात आला होता, परंतु 1983 नंतर या यंत्रांचा वापर करण्यात आला नाही कारण सर्वोच्च न्यायालयाने निवडणुकीत मतदान यंत्राचा वापर कायदेशीर करण्याचे आदेश दिले होते. डिसेंबर 1988 मध्ये, संसदेने लोकप्रतिनिधी कायदा 1951 मध्ये एक नवीन कलम 61A लागू केले, जे निवडणूक आयोगाला मतदान यंत्र वापरण्याचा अधिकार देते. त्याची सुधारित तरतूद 15 मार्च 1989 पासून लागू झाली. त्यानंतर फेब्रुवारी 1990 मध्ये केंद्र सरकारने अनेक मान्यताप्राप्त राष्ट्रीय आणि प्रादेशिक पक्षांच्या प्रतिनिधींचा समावेश असलेली निवडणूक सुधारणा समिती स्थापन केली आणि या समितीला ईव्हीएमच्या वापरावर विचार करण्यास सांगितले. यासोबतच सरकारने तज्ज्ञांची समितीही स्थापन केली, ज्याने या मशिन्समध्ये छेडछाड करणे शक्य नसल्याचे आपल्या अहवालात म्हटले आहे.

24 मार्च 1992 रोजी केंद्रीय कायदा आणि न्याय मंत्रालयाने निवडणूक कायदा, 1961 मध्ये आवश्यक सुधारणा करणारी अधिसूचना जारी केली. नोव्हेंबर 1998 पासून सार्वत्रिक निवडणुका-पोटनिवडणुकांमध्ये प्रत्येक लोकसभा आणि विधानसभा मतदारसंघात ईव्हीएमचा वापर केला जात आहे. 2004 च्या सार्वत्रिक निवडणुकीत देशातील सर्व मतदान केंद्रांवर 10.75 लाख ईव्हीएम वापरून भारताने ई-लोकशाहीकडे संक्रमण केले. त्यानंतर सर्वच निवडणुकांमध्ये ईव्हीएमचा वापर सुरू आहे. या मशिन्समधून झटपट निकाल लागल्यामुळे निवडणूक आयोग, राजकीय पक्ष आणि मतदारांनी त्याचा चांगलाच समाचार घेतला. पंचायत निवडणुकीतही त्यांचा वापर सुरू झाला. त्यांचा कल एवढा वाढला आहे की, बॅलेट पेपर ही अत्यंत मागासलेली यंत्रणा म्हणून दिसू लागली आहे. ईव्हीएमद्वारे मतदानाला जास्त वेळ लागत नाही आणि मतमोजणी अगदी सहज होते. त्याच्या वापरामुळे बनावट मतदान आणि बूथ कॅप्चरिंगच्या घटना कमी झाल्याचा दावा करण्यात आला आहे.

निरक्षर लोकांना बॅलेट पेपर प्रणालीपेक्षा ईव्हीएम सोपे वाटते. मतपेट्यांच्या तुलनेत, ईव्हीएम वाहतूक करणे आणि परत आणणे सोपे आहे. सर्वात मोठी गोष्ट म्हणजे ते विजेशिवाय वापरले जाऊ शकते कारण मशीन बॅटरीवर चालते. उमेदवारांची संख्या 64 पेक्षा जास्त नसेल तर ईव्हीएम वापरून निवडणुका घेता येतील. एक EVM मशीन जास्तीत जास्त 3840 मते नोंदवू शकते. ईव्हीएममधील बिघाडाबद्दल आयोग सतर्क झाला नाही असे नाही. ही बाब लक्षात घेऊन मतदानाच्या दिवशी सुमारे 10 मतदान केंद्रे कव्हर करण्यासाठी एक अधिकारी ड्युटीवर असतो. ते त्यांच्याकडे अतिरिक्त ईव्हीएम ठेवतात जेणेकरून दोषपूर्ण ईव्हीएम नवीन ईव्हीएमसह बदलता येतील. ईव्हीएममध्ये बिघाड होईपर्यंत रेकॉर्ड केलेली मते कंट्रोल युनिटच्या स्मरणात सुरक्षित राहतात.

ईव्हीएमच्या सुरक्षा व्यवस्थेतील त्रुटी लक्षात घेऊन वेळोवेळी बदल करण्यात आले, मात्र काही दिवसांच्या वापरानंतर ईव्हीएमच्या विश्वासार्हतेवरून वाद सुरू झाला. प्रथम त्याच्या विश्वासार्हतेला दिल्ली उच्च न्यायालयात आव्हान देण्यात आले. लोकसभेत काँग्रेसच्या विजयानंतर भाजपचे तत्कालीन नेते डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी यांनी ईव्हीएमवर शंका उपस्थित केली होती. भाजपचे तत्कालीन प्रवक्ते जीव्हीएल नरसिंह राव यांनी 'डेमोक्रेसी ॲट रिस्क' या पुस्तकात ईव्हीएममुळे लोकशाहीची हत्या कशी होते, याचा तपशील सादर करून खळबळ उडवून दिली होती. भाजपचे ज्येष्ठ नेते आणि माजी उपपंतप्रधान लालकृष्ण अडवाणी यांनीही ईव्हीएमला विरोध केला होता, मात्र निवडणूक आयोगाने सर्व राजकीय पक्षांना ईव्हीएम हॅक करण्याचे आव्हान दिले असताना कोणताही पक्ष पुढे आला नाही. आज भाजपच्या धर्तीवर काँग्रेसही ईव्हीएमला विरोध करताना दिसत आहे.

मुंबईसह महाराष्ट्रात ईव्हीएमबाबत प्रश्न उपस्थित करणाऱ्या उमेदवारांना निवडणूक आयोगाने दिलेल्या प्रतिसादामुळे ईव्हीएमची विश्वासार्हता वाढली आहे. मुंबई येथील दहिसर विधानसभा मतदारसंघातील मनसेचे उमेदवार राजेश येरुणकर यांनी ईव्हीएममध्ये छेडछाड केल्याचा आरोप फेटाळला. येरुणकर यांनी मतदान केंद्रावर केवळ दोन मते मिळाल्याचा दावा केला होता, तर त्यांच्या कुटुंबातील चार सदस्यांनी तेथे मतदान केले होते. मतमोजणीवरही त्यांनी प्रश्न उपस्थित केला. महानगरपालिकेने स्पष्ट केले की येरुणकर यांना संबंधित मतदान केंद्रावर प्रत्यक्षात 53 मते मिळाली होती, त्यामुळे मतदान डेटा आणि ईव्हीएम क्रमांकांमधील तफावत असल्याच्या उमेदवाराच्या दाव्याचे खंडन केले. राजकीय पक्ष असोत वा प्रसारमाध्यमे, निवडणुकीतील मतदानाची टक्केवारी घाईघाईने दाखवण्याच्या प्रयत्नात त्यांनी ती पोस्टल मते मोजली नाहीत. त्यामुळे नंतर अतिरिक्त मतांच्या वाढीवर प्रश्न उपस्थित करण्यात आले.

मतदानानंतर ईव्हीएममध्ये छेडछाड शक्य आहे का? यावर अनेक किस्से समोर येत आहेत. मतदानानंतर ईव्हीएम स्ट्राँग रूममध्ये सुरक्षित ठेवले जातात. पूर्वी या स्ट्राँग रूमबाहेर राजकीय पक्षाचे कार्यकर्ते २४ तास पहारा देत असत. आता ही परंपरा थांबली आहे. मात्र मुंबई, ठाणे आदी भागात उमेदवारांनी स्ट्राँग रूमबाहेर चोख बंदोबस्त ठेवला होता. आता सर्वात मोठा प्रश्न असा आहे की मतदानानंतर सीलबंद ईव्हीएममध्ये छेडछाड करणे शक्य आहे का? याबाबत निवडणूक आयोगाकडे कोणतीही अधिकृत तक्रार दाखल करण्यात आलेली नसल्याने निवडणूक आयोगाने याबाबत कोणतेही मत व्यक्त केलेले नाही.

महाराष्ट्र असो किंवा झारखंड, जिल्हा निवडणूक अधिकारी प्रत्येक निवडणूक कार्यालयात मतदान यंत्रे तयार करण्याच्या प्रक्रियेची तपासणी करतात आणि मशीनवर स्वत: मॉक पोल घेतात. त्यावेळी सर्व राजकीय पक्षांचे प्रमुख कार्यकर्ते उपस्थित होते. मतदानाच्या दिवशीही अशीच पद्धत अवलंबली जाते. मात्र, सर्वोच्च न्यायालयाच्या आदेशानुसार निवडणूक आयोगाने स्टँडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर जारी केली आहे. ईव्हीएममध्ये मतांची पडताळणी करू इच्छिणाऱ्या उमेदवारांना प्रत्येक ईव्हीएम सेटसाठी निश्चित शुल्क भरावे लागेल. हा सर्वात प्रभावी उपाय आहे. ईव्हीएमला शिव्याशाप देण्याऐवजी आज सर्व पक्षांनी एकत्र बसून या ईव्हीएम कसे फुलप्रूफ करता येतील याचा विचार करायला हवा. त्यांनी आयोगाला सहकार्य केले तर बरे होईल.


अनिल गलगली
माहिती अधिकार कार्यकर्ते

Thursday, 10 October 2024

Mumbai must be made homeless free - Anil Galgali

Mumbai must be made homeless free - Anil Galgali

 World Homeless Day in Mumbai


Though the government has announced various policies for the rights of the homeless the actual condition is quite different. RTI activist Anil Galgali asserted that there is an urgent need for the government to make Mumbai homeless-free.

On the occasion of world homeless day a program was organised for the homeless of Worli and Mahim with the help of Brijesh Arya, the President of the organisation Pehchan and Member of State level Shelter Monitoring Committee. After a lot of repeated requests the BMC has now announced training and shelter for the homeless. Under the Central Government all will be provided a house of their own. Mumbai needs to be made homeless free. According to Brijesh Arya, there are many problems and now we can see a positive change. Everyone needs to face this problem collectively. During this time the other members Babu Batteli, Jaydeep Arora, Shivaji Londe, Ratnakar Shetty,, Subhash Rokade, Manasvi Jain, Ramu Parmar, Basanti Parmar, Rekha Chawda, Geeta Chawda, Madhu Parmar, Arjun were also present.

बेघर मुक्त मुंबई की आवश्यकता है - अनिल गलगली

बेघर मुक्त मुंबई की आवश्यकता है - अनिल गलगली

मुंबई में मनाया गया विश्व बेघर दिवस

हालांकि सरकार ने मुंबई में फुटपाथ पर रहने वाले बेघर लोगों के अधिकारों के लिए कई योजनाओं की घोषणा की है, लेकिन हकीकत कुछ और है। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने कहा कि बेघर मुक्त मुंबई की आवश्यकता है।

विश्व बेघर दिवस के अवसर पर संगठन के अध्यक्ष एवं राज्य आश्रय निगरानी समिति के सदस्य बृजेश आर्य द्वारा माहिम एवं कामाठीपुरा में बेघर लोगों के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया। अनिल गलगली ने कहा कि लगातार फॉलोअप के बाद अब मुंबई मनपा ने बेघरों को प्रशिक्षण और आश्रय देने की घोषणा की है। केंद्र सरकार के माध्यम से सभी को उनका घर मिल जाए तो समस्या का समाधान हो जाएगा। बेघर मुक्त मुंबई की आवश्यकता है। बृजेश आर्य ने कहा कि समस्याएं कई हैं और अब सकारात्मक बदलाव सामने आ रहा है। हम सभी को मिलकर इसका सामना करना होगा। इस मौके पर  बाबू बत्तेली, जगदीप अरोरा, रत्नाकर शेट्टी, शिवाजी लोंढे, सुभाष रोकडे, मनस्वी जैन, रामू परमार, बसंती परमार, गीता चावडा, मधु परमार, अर्जुन मौजूद थे।

बेघर मुक्त मुंबई करणे आवश्यक - अनिल गलगली

बेघर मुक्त मुंबई करणे आवश्यक - अनिल गलगली

मुंबईत जागतिक बेघर दिवस

मुंबईतील पदपथावर राहणाऱ्या बेघरांच्या हक्कांसाठी शासनाने विविध योजनेची घोषणा केली असली तरी प्रत्यक्षात वस्तुस्थिती वेगळी आहे. शासनाला बेघर मुक्त मुंबई करण्याची नितांत गरज असल्याचे प्रतिपादन आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी केले.

जागतिक बेघर दिवस निमित्ताने मुंबईतील पहचान संस्थेच्या पुढाकाराने माहीम आणि कामाठीपुरा येथे बेघरांसाठी कार्यक्रमाचे आयोजन संस्थेचे अध्यक्ष आणि राज्य निवारा सनियंत्रण समितीचे सदस्य ब्रिजेश आर्य यांनी केले होते. यावेळी उपस्थित आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली म्हणाले की सततच्या पाठपुराव्यानंतर आता मुंबई महापालिकेने बेघरांसाठी प्रशिक्षण आणि निवारा देण्याची घोषणा केली आहे. केंद्र सरकारच्या माध्यमातून सर्वांना हक्काची घरे मिळाल्यास प्रश्न मार्गी लागेल. बेघर मुक्त मुंबई करणे आवश्यक आहे. ब्रिजेश आर्य म्हणाले की समस्या फार आहेत आणि आता सकारात्मक बदल दिसून येत आहे. सर्वांनी मिळून याचा सामना करण्याची गरज आहे. यावेळी बाबू बत्तेली, जगदीप अरोरा, रत्नाकर शेट्टी, शिवाजी लोंढे  सुभाष रोकडे, मनस्वी जैन  रामू परमार, बसंती परमार,   गीता चावडा, मधु परमार, अर्जुन उपस्थित होते. यावेळी माय मुंबई दिनदर्शिकेसाठी राहुल परमार, मनोहर परमार, अर्जि परमार यांना फुजी कॅमेरा देण्यात आले.

Friday, 4 October 2024

Implementation of Section 4 will reduce information applications - Anil Galgali

Implementation of Section 4 will reduce information applications - Anil Galgali 

"Right to Information Day" Organized by BMC P/South Ward Office


Right to Information Activist Anil Galgali expressed a clear opinion that the implementation of Section 4 of the Right to Information Act, 2005 will reduce the number of requests for information. Galgali said that if harmony is established between the applicants and the officials, the quality of service will be improved.

"Right to Information Day" was organized by BMC P/South Ward Office in Goregaon West Ward Office Auditorium. On this occasion, Senior Right to Information Activist Anil Galgali and Right to Information Activist Sharad Yadav gave detailed guidance to all the Public Information Officers and Assistant Public Information Officers of the department and informed them about the judgments made from time to time regarding Right to Information. The program was organized by Assistant Commissioner Sanjay Jadhav. Focusing on the Right to Information Act 2005 along with the Maharashtra Public Records Act, 2005 as well as the Regulation of Transfers of Maharashtra Government Employees and Prevention of Delay in Discharge of Government Duties Act, 2005. In the end, Galgali stated that the number of appeals will decrease and the Bmc will become truly transparent.


धारा 4 के अमल में लाने से सूचना आवेदन कम हो जायेंगे - अनिल गलगली

धारा 4 के अमल में लाने से सूचना आवेदन कम हो जायेंगे - अनिल गलगली 

बृहन्मुंबई नगर निगम पी/साउथ डिवीजन कार्यालय द्वारा "सूचना का अधिकार दिवस" ​​का आयोजन किया गया

सूचना का अधिकार कार्यकर्ता अनिल गलगली ने स्पष्ट राय व्यक्त की कि सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 4 के कार्यान्वयन से सूचना के अनुरोधों की संख्या में कमी आएगी। गलगली ने कहा कि यदि आवेदकों और अधिकारियों के बीच सामंजस्य स्थापित हो जाए तो सेवा की गुणवत्ता में सुधार होगा।

बृहन्मुंबई मनपा पी/दक्षिण प्रभाग कार्यालय की ओर से गोरेगांव पश्चिम वार्ड कार्यालय सभागार में "सूचना का अधिकार दिवस" ​​का आयोजन किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ सूचना अधिकार कार्यकर्ता अनिल गलगली और सूचना अधिकार कार्यकर्ता एवं प्रशासनिक मामलों के सलाहकार शरद यादव ने विभाग के सभी जन सूचना अधिकारियों और सहायक जन सूचना अधिकारियों को विस्तृत मार्गदर्शन दिया तथा उपस्थित लोगों को सूचना के अधिकार के संबंध में समय-समय पर किये गये निर्णयों से भी अवगत कराया गया। कार्यक्रम का आयोजन सहायक आयुक्त संजय जाधव ने किया। अनिल गलगली ने आगे कहा कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के साथ-साथ महाराष्ट्र सार्वजनिक रिकॉर्ड अधिनियम, 2005 के साथ-साथ महाराष्ट्र सरकार के कर्मचारियों के स्थानांतरण का विनियमन और सरकारी कर्तव्यों के निर्वहन में देरी की रोकथाम अधिनियम, 2005 पर ध्यान केंद्रित किया जाए तो अपीलों की संख्या कम हो जाएगी और मुंबई नगर निगम वास्तव में पारदर्शी हो जाएगा।

कलम 4 ची अंमलबजावणी केल्यास माहिती अर्जात घट होईल- अनिल गलगली

कलम 4 ची अंमलबजावणी केल्यास माहिती अर्जात घट होईल- अनिल गलगली

"माहितीचा अधिकार दिन" बृहन्मुंबई महापालिका पी/दक्षिण विभाग कार्यालयाच्या वतीने आयोजित

माहितीचा अधिकार कायदा 2005 चे कलम 4 ची अंमलबजावणी केल्यास माहिती मागण्याच्या अर्जात घट होईल, असे स्पष्ट मत माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी व्यक्त केले. अर्जदार आणि अधिकारी यामध्ये सुसंवाद स्थापित झाल्यास सेवेमध्ये गुणवत्ता येईल असे गलगली म्हणाले.


"माहितीचा अधिकार दिन" बृहन्मुंबई महापालिका पी/दक्षिण विभाग कार्यालयाच्या वतीने गोरेगाव पश्चिम वॉर्ड कार्यालयातील सभागृहात आयोजित करण्यात आला. याप्रसंगी ज्येष्ठ माहिती अधिकार कार्यकर्ते अनिल गलगली आणि माहिती अधिकार कार्यकर्ते तथा प्रशासकीय कामकाज सल्लागार शरद यादव यांनी विभागातील सर्व जनमाहिती अधिकारी तसेच सहाय्यक जनमाहिती अधिकारी यांना सविस्तर मार्गदर्शन तसेच माहितीचा अधिकारसंदर्भात वेळोवेळी झालेल्या न्यायनिर्णयांची उपस्थितांना माहिती देण्यात आली. या कार्यक्रमाचे आयोजन सहाय्यक आयुक्त संजय जाधव यांनी केले. माहिती अधिकार कायदा 2005 सोबत महाराष्ट्र सार्वजनिक अभिलेख अधिनियम, 2005 तसेच महाराष्ट्र शासकीय कर्मचाऱ्यांच्या बदल्यांचे विनियमन आणि शासकीय कर्तव्ये पार पाडताना होणाऱ्या विलंबास प्रतिबंध अधिनियम, 2005 यावर लक्ष केंद्रित केले तर अपील संख्येत घट होईल आणि खऱ्या अर्थाने मुंबई महापालिका पारदर्शक होईल, असे गलगली यांनी सरतेशेवटी नमूद केले.



Tuesday, 24 September 2024

गोरेगांव गणेश दर्शन प्रतियोगिता 2024 पुरस्कार वितरण समारोह संपन्न

गोरेगांव गणेश दर्शन प्रतियोगिता 2024 पुरस्कार वितरण समारोह संपन्न

सामाजिक एवं शैक्षणिक संस्था साईं लीला फाउंडेशन की ओर से गोरेगांव गणेश दर्शन प्रतियोगिता 2024 के पुरस्कार वितरण समारोह में बड़ी संख्या में विभिन्न मंडलों के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता शामिल हुए।

इस कार्यक्रम में आरटीआई कार्यकर्ता और पत्रकार अनिल गलगली मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। अनिल गलगली ने गोरेगांव पश्चिम भगत सिंह नगर से शरद मित्र मंडल को पहला नकद 21,000 रु पुरस्कार प्रदान किया गया। दूसरा नकद पुरस्कार (15000 रुपये) गोरेगांव पूर्व में नई फाइव स्टार सेवा मंडल को दिया है, तो तीसरा नकद पुरस्कार (रु.11,000), गोरेगांव पश्चिम में जवाहरनगर के राजा को दिया गया। सभी मंडलो के पदाधिकारियों में उत्साह का माहौल था और भविष्य में साईं लीला के लिए सभी एक साथ फाउंडेशन के सहयोग से परोपकारी शिविरों का आयोजन करने का निर्णय लिया. रश्मि उपाध्याय ने सूत्रसंचालन किया वहीं श्रद्धा कदम कार्यक्रम की व्यवस्था में योगदान दिया। इस कार्यक्रम में पत्रकार अंकित मिश्रा और वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता शेखर नायक भी शामिल हुए।विभिन्न स्थानों पर गणेशोत्सव मंडल का दौरा कर आईआरएस समीर वानखेड़े, श्रमिक नेता अभिजीत राणे और अभिनेता रमेश गोयल ने ग्रुप का हौसला बढ़ाया।

गोरेगाव गणेश दर्शन स्पर्धा 2024 बक्षीस वितरण सोहळा दिमाखात संपन्न

गोरेगाव गणेश दर्शन स्पर्धा 2024 बक्षीस वितरण सोहळा दिमाखात संपन्न 

सामाजिक आणि शैक्षणिक संस्था असलेल्या साई लीला फाउंडेशनच्या वतीने गोरेगाव गणेश दर्शन स्पर्धा 2024 च्या बक्षीस वितरण सोहळयात मोठया संख्येने विविध मंडळाचे पदाधिकारी आणि कार्यकर्ते उपस्थित होते.

या कार्यक्रमात आरटीआय कार्यकर्ते आणि पत्रकार अनिल गलगली हे प्रमुख पाहुणे म्हणून उपस्थित होते. अनिल गलगली यांच्या हस्ते गोरेगाव पश्चिम भगतसिंग नगर येथील शरद मित्र मंडळाला 21,000 रुपयांचे प्रथम रोख पारितोषिक देण्यात आले. द्वितीय रोख पारितोषिक ( रु.15000 ) गोरेगांव पूर्व येथील न्यू फाइव स्टार सेवा मंडळाला देण्यात आले तर तिसरे रोख पारितोषिक ( रु. 11,000 ), गोरेगाव पश्चिम येथील जवाहरनगरच्या राजाला देण्यात आले. सर्वच मंडळात उत्साहाचे वातावरण होते. आणि सर्वांनी मिळून आगामी काळात साई लीला फाऊंडेशनच्या सहकार्याने समाजोपयोगी शिबिरे आयोजित करण्याचा निर्धार केला. सूत्रसंचालन अध्यक्ष असलेल्या रश्मी उपाध्याय यांनी केले तर व्यवस्था श्रद्धा कदम यांनी पाहिली.या कार्यक्रमात पत्रकार अंकित मिश्रा आणि ज्येष्ठ समाजसेवी शेखर नाईक पण सहभागी झाले होते. वेगवेगळ्या ठिकाणी गणेशोत्सव मंडळास भेट देत आयआरएस समीर वानखेडे, कामगार नेते अभिजीत राणे आणि अभिनेते रमेश गोयल यांनी मंडळास प्रोत्साहन दिले

Monday, 23 September 2024

कमोडोर लोकेश बत्रा मुंबई में हुए सम्मानित

कमोडोर लोकेश बत्रा को उनके अथक आरटीआई सक्रियता के लिए मनीलाइफ फाउंडेशन और मुंबई के कार्यकर्ताओं द्वारा सम्मानित किया गया

कमोडोर (कमोडर) लोकेश बत्रा (सेवानिवृत्त) को मनीलाइफ फाउंडेशन और मुंबई के प्रमुख सूचना अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ताओं द्वारा सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के माध्यम से पारदर्शिता, जवाबदेही और सुशासन को बढ़ावा देने के लिए उनके अथक समर्पण के लिए सम्मानित किया गया। कमोडोर बत्रा द्वारा राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता के लिए अथक प्रयास, मुख्य रूप से चुनावी बॉन्ड योजना को चुनौती देने के माध्यम से, एक अभूतपूर्व निर्णय का कारण बना जिसने पूरे भारत में चिंतित नागरिकों को प्रेरित किया है।
 
मनीलाइफ फाउंडेशन की संस्थापक-ट्रस्टी सुचेता दलाल की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में कमोडोर बत्रा के आरटीआई को जनहित के साधन के रूप में उपयोग करने के अथक प्रयासों, विशेष रूप से राजनीतिक फंडिंग और सरकारी व्यय जैसे क्षेत्रों में पारदर्शिता के लिए उनके संघर्ष की सराहना की गई।
 
अपने संबोधन में सुश्री दलाल ने हार्दिक अभिनंदन पत्र पढ़ा, जिसमें कमोडोर बत्रा के काम के गहन प्रभाव पर प्रकाश डाला गया। अभिनंदन समारोह में पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त शैलेश गांधी ने कमोडोर बत्रा को शॉल भेंट किया। मनीलाइफ फाउंडेशन के संस्थापक-ट्रस्टी देबाशीष बसु ने फाउंडेशन और मुंबई के आरटीआई कार्यकर्ताओं की ओर से उन्हें प्रशंसा पत्र प्रदान किया। 
 
इस अवसर पर बोलते हुए शैलेश गांधी ने कहा, "मेरे मित्र कमोडोर बत्रा को सम्मानित करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। सेवानिवृत्ति के बाद उनकी उपलब्धियां बहुत बड़ी हैं और राष्ट्र के लिए नौसेना में उनकी विशिष्ट सेवा से भी अधिक मूल्यवान हैं। पारदर्शिता के लिए उनका संघर्ष हम सभी को प्रेरित करता रहेगा।"
 
2005 में आरटीआई अधिनियम की शुरुआत के बाद से, कमोडोर बत्रा ने पीएम केयर्स फंड, प्रधानमंत्री राहत कोष और 2007 निठारी हत्याकांड की जांच सहित महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनके प्रयासों से इलेक्ट्रॉनिक भारतीय पोस्टल ऑर्डर (ई-आईपीओ) की शुरुआत भी हुई, जिससे विदेश में रहने वाले भारतीयों को आरटीआई अधिनियम के माध्यम से जानकारी प्राप्त करने का अधिकार मिला।
 
अपने स्वीकृति भाषण में कमोडोर बत्रा ने आरटीआई समुदाय को धन्यवाद दिया और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए आरटीआई का उपयोग करने में सतर्कता की निरंतर आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "पारदर्शिता की लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। हमें आरटीआई अधिनियम को हर भारतीय के हाथों में एक मजबूत उपकरण बनाए रखने के लिए मिलकर काम करना जारी रखना चाहिए। हालाँकि मैंने जीत के बाद चुनावी बॉन्ड के साथ अपने पारदर्शिता अभियान को समाप्त करने के बारे में सोचा था, लेकिन इस लड़ाई को आगे बढ़ाने के लिए युवा पीढ़ी को प्रेरित करने की आवश्यकता ने मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया है।"
 
भारतीय नौसेना के पूर्व प्रमुख एडमिरल विष्णु भागवत (सेवानिवृत्त) भी इस सम्मान समारोह में मौजूद थे। एडमिरल भागवत ने कमोडोर बत्रा को नौसेना अधिकारी से एक सशक्त आरटीआई कार्यकर्ता के रूप में बदलते हुए देखकर गर्व व्यक्त किया। एडमिरल भागवत ने कहा, "यह देखना प्रेरणादायक है कि कैसे लोकेश वर्दी से हटकर एक पारदर्शिता प्रचारक बन गए हैं, जो लगातार न्याय के लिए लड़ रहे हैं। उनकी यात्रा सराहनीय है और युवा पीढ़ी को इससे प्रेरणा लेनी चाहिए।"
 
उपस्थित लोगों में मनीलाइफ फाउंडेशन के ट्रस्टी वाल्टर विएरा भी शामिल थे, जिन्होंने कमोडोर बत्रा के समर्पण की सराहना की। इस कार्यक्रम में अन्य आरटीआई कार्यकर्ताओं को भी अपने अनुभव साझा करने का मौका मिला।
 
वरिष्ठ पत्रकार और आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने आरटीआई अधिनियम का उपयोग करते समय रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए सलाह दी, "कभी-कभी अपील पर निर्भर रहने के बजाय सूचना अधिकारी के साथ तालमेल बनाना महत्वपूर्ण होता है। आरटीआई और दृढ़ता एक शक्तिशाली उपकरण है।"
 
महिती अधिकार मंच के संयोजक भास्कर प्रभु ने दृढ़ता के महत्व पर जोर देते हुए कहा, "यदि आप अपने प्रयासों को जारी रखते हैं, जैसा कि कमोडोर बत्रा ने किया है, तो आप बदलाव देखेंगे। छोटे स्तर से शुरुआत करें और स्थानीय पहलुओं पर गौर करें। अपने वार्ड में पार्कों और उद्यानों पर अपने स्थानीय नगर निगम के व्यय को देखें। आरटीआई के तहत जानकारी प्राप्त करने के लिए आरटीआई कार्यकर्ताओं के कंधों पर न चढ़ें। अपने प्रयास करें, संबंध बनाएं और दृढ़ रहें।"
 
आरटीआई कार्यकर्ता और अधिवक्ता कृष्ण गुप्ता ने बताया कि कैसे आरटीआई आवेदनों ने मीरा-भायंदर में सार्वजनिक स्थानों से अवैध होर्डिंग और बैनर हटाने में मदद की। उन्होंने कहा, "आरटीआई का उपयोग करके वर्षों तक लगातार प्रयास करने के बाद, हम आज मीरा-भायंदर को अवैध बैनरों से मुक्त रखने में कामयाब हुए हैं। इसकी शुरुआत नगर निगम द्वारा दी गई अनुमतियों के बारे में जानकारी मांगने वाले आरटीआई से हुई होगी। फिर भी, हमने आगे भी एफआईआर और शिकायतें दर्ज करने के लिए जानकारी का उपयोग करना जारी रखा है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बैनर और होर्डिंग फिर से दिखाई न दें।"
 
यह कार्यक्रम लोकतंत्र को मजबूत करने और शासन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने में कमोडोर बत्रा जैसे आरटीआई कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका की एक शक्तिशाली याद दिलाता है। इस सभा में कमोडोर बत्रा के असाधारण प्रयासों और जवाबदेही और सुशासन के लिए व्यापक आरटीआई समुदाय की सामूहिक लड़ाई का जश्न मनाया गया।

 

 

Thursday, 19 September 2024

चांदिवली के जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी जुलूस में अनिल गलगली ने की शिरकत

चांदिवली के जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी जुलूस में अनिल गलगली ने की शिरकत

पैगंबर-ए-इस्लाम मोहम्मद साहब के यौमे पैदाइश के दिन जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी जुलूस में आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने शिरकत कर ईद उल मिलादुन्नबी की बधाई दी। चांदिवली के विभिन्न क्षेत्रों में आयोजित कार्यक्रमों में अनिल गलगली के साथ एनसीपी नेता अबू स्वालेह, बिलाल ग्रुप के वसीम हाशमी, एड करन शिंदे, रियाज मुल्ला, मैक्सेस ग्रुप के सुलतान और नवाब अंसारी उपस्थित थे।

Wednesday, 4 September 2024

मध्य रेल्वेने 4 महाकाय होर्डिंग काढले तर 14 होर्डिंगचा आकार केला कमी

मध्य रेल्वेने 4 महाकाय होर्डिंग काढले तर 14 होर्डिंगचा आकार केला कमी

घाटकोपर होर्डिंग दुर्घटनेनंतर सर्वोच्च न्यायालयाच्या आदेशानुसार मध्य रेल्वेने 4 महाकाय होर्डिंग काढले तर 14 होर्डिंगचा आकार कमी केली असल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मध्य रेल्वेने दिली आहे. तर पश्चिम रेल्वेने मागितलेली माहिती स्पष्ट नसल्याचे सांगत कारवाईची माहिती दिली नाही.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मध्य रेल्वेकडे सर्वोच्च न्यायालयाच्या आदेशानुसार केलेल्या कारवाईची माहिती मागितली होती. मध्य रेल्वेच्या वरिष्ठ विभागीय व्यावसायिक व्यवस्थापक बी अरुण कुमार यांनी केलेल्या कारवाईची यादी दिली. या यादीत 18 पैकी 4 होर्डिंग कायमस्वरूपी निष्कासित करण्यात आले आहे. यात सँडहर्स्ट रोड ( 3200 फूट), चुनाभट्टी ( 3200 फूट), टिळक नगर येथील 2 ठिकाण ( 1598 फूट ) आहेत. मेसर्स रोशन स्पेस यांची 2 तर मेसर्स पायोनियर आणि मेसर्स अलख यांची प्रत्येकी 1 होर्डिंग आहेत.

ज्या होर्डिंगचा आकार कमी केला त्यात वाडी बंदर, भायखळा येथील 3, चुनाभट्टी येथील 5, सुमन नगर येथील 3 आणि टिळकनगर येथील 2 ठिकाणचा समावेश आहे. 14 होर्डिंगचा आकार कमी केला आहेत त्यात 7 देवांगी आऊटडोअर, 2 मेसर्स रोशन स्पेस, 2 मेसर्स झेस्ट एंटरप्राइज, मेसर्स वॉललोप, मेसर्स कोठारी आणि मेसर्स नुकलेसईट्स यांची प्रत्येकी 1 होर्डिंग आहेत.

पश्चिम रेल्वे संभ्रमात

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मध्य रेल्वेकडे सर्वोच्च न्यायालयाच्या आदेशानुसार केलेल्या कारवाईची माहिती मागितली होती.पश्चिम रेल्वेचे जन माहिती अधिकारी सौरभ कुमार यांनी मागितलेली माहिती स्पष्ट नसल्याचे सांगत कारवाईची माहिती दिली नाही.

अनिल गलगली यांनी मध्य रेल्वेच्या उपाययोजनावर आनंद व्यक्त केला आहे. यामुळे भविष्यात घाटकोपर सारख्या दुर्घटनेची पुनरावृत्ती होणार नाही.

Monday, 26 August 2024

पालिकेने 5 वर्षात 2360 कोटींची मुदत ठेव मुदतपूर्व मोडली

पालिकेने 5 वर्षात 2360 कोटींची मुदत ठेव मुदतपूर्व मोडली


मुंबई महापालिकेने मागील 5 वर्षात 2360 कोटींची मुदत ठेव मुदतपूर्व मोडल्याची माहिती आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांस मुंबई महापालिकेने दिली आहे.  यात बेस्टला अधिदान देण्यासाठी 6 वेळा मुदत ठेव मुदतपूर्व मोडली आहे.

आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी मागील 5 वर्षात मुंबई महापालिकेकडे मुदत ठेव मुदतपूर्व मोडल्याची माहिती मागितली होती. पालिकेच्या उप प्रमुख लेखापाल ( महसूल 2) ने अनिल गलगली यांस 8 मुदत ठेव मुदत पूर्व तोडल्याची यादी दिली. 2360 कोटी 20 लाख 19 हजार रुपये अशी मोडलेल्या मुदत ठेवींची रक्कम आहे.

◆ कर्मचाऱ्यांसाठी मोडली 645.20 कोटींची मुदत ठेव

कर्मचाऱ्यांचे निवृत्ती वेतन धारकांचे ऑगस्ट महिन्यांचे वेतन / निवृत्ती वेतनाचे अधिदान गणेशोत्सव सणापूर्वी दिनांक 29 ऑगस्ट 2022 रोजी करण्यासाठी युनियन बँक ऑफ इंडियातुन 29 ऑगस्ट 2022 रोजी 645,20,07,000 इतकी मुदत ठेव मोडली.

◆ एमएमआरडीएला दिले 949.50 कोटी

एमएमआरडीएला अधिदान करण्यासाठी स्टेट बँक ऑफ इंडियात जमा असलेली 949,50,00,000 इतकी मुदत ठेव दिनांक 15 मार्च 2024 रोजी मोडली.

◆ बेस्टला दिले 756.50 कोटी

2019 -20 च्या 19 ऑगस्ट 2019 रोजी 250 कोटी आणि 113 कोटी अश्या 2 मुदत ठेवी बेस्ट अधिदान करण्याकरिता मोडल्या. 21 ऑगस्ट 2019 रोजी 115 कोटींची मुदत ठेव पुन्हा बेस्ट अधिदान करण्याकरिता मोडली. सर्व मुदतठेवी ह्या स्टेट बँक ऑफ इंडियातील होत्या. 2022-23 च्या 25 मार्च 2022 रोजी बेस्ट अधिदान करण्याकरिता एकाच दिवशी 3 मुदत ठेवी अनुक्रमे 100 कोटी, 92.06 कोटी आणि 87.06 कोटी बेस्ट अधिदान करण्याकरिता मोडल्या. सर्व मुदतठेवी ह्या स्टेट बँक ऑफ इंडियातील होत्या.

साकीनाक्याचा विघ्नहर्ता आगमन

साकीनाक्याचा विघ्नहर्ता आगमन

साकीनाक्याचा विघ्नहर्ता श्रीकृष्ण मित्र मंडळाच्या श्री गणरायाचे आगमन झाले. आरटीआय कार्यकर्ते अनिल गलगली यांनी दर्शन घेत नारळ फोडून आगमन मिरवणुकीचा शुभारंभ केला. यावेळी वरिष्ठ पोलीस निरीक्षक गबाजी चिमटे, साधु कटके, चंद्रकांत माने, बाबू बत्तेली, राम साहू, रत्नाकर शेट्टी, रियाझ मुल्ला, डेरीयन कोटियन उपस्थित होते.


साकीनाका विघ्नहर्ता का आगमन 


साकीनाका विघ्नहर्ता श्री कृष्ण मित्र मंडल के श्री गणराय का आगमन हुआ। आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने दर्शन किए और नारियल तोड़कर आगमन जुलूस की शुरुआत की। इस अवसर पर वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक गबाजी चिमटे, साधु कटके, चंद्रकांत माने, बाबू बत्तेली, राम साहू, रत्नाकर शेट्टी, रियाज मुल्ला, डेरियन कोटियन उपस्थित थे।

Sakinaka Vighnharata arrival 

Shri Ganaraya Idol of Sakinaka Vighnharata  Shri Krishna Mitra Mandal arrived. RTI activist Anil Galgali took darshan and started the arrival procession by breaking a coconut. Sakinaka Senior Police Inspector Gabaji Chimte, Sadhu Katke, Chandrakant Mane, Babu Batteli, Ram Sahu, Ratnakar Shetty, Riaz Mulla, Derian Kotian were present on this occasion.

Monday, 5 August 2024

कैंसर उपचार में योगदान' पर हिंदी संगोष्ठी

टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल की राजभाषा कार्यान्वयन समिति द्वारा 'परमाणु ऊर्जा विभाग की विविध इकाइयों का कैंसर उपचार में योगदान' इस विषय पर हिंदी संगोष्ठी - 2024 का आयोजन किया गया. विविध इकाइयों से आए वक्ताओं ने इस विषय पर अपनी प्रस्तुति दी.

इस अवसर पर टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल - राजभाषा कार्यान्वयन समिति की मुख पत्रिका 'स्पंदन' का विमोचन भी हुआ.

चित्र में - संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी डॉक्टर त्रिलोकी मिश्रा। विशिष्ट उपस्थति - संचालक डॉक्टर सुदीप गुप्ता, डॉक्टर श्रीपाद बनावली, डॉक्टर कैलाश शर्मा, मुख्य प्रशासन अधिकारी अनिल साठे.





Sunday, 21 July 2024

स्वानंद बाबा आश्रम में मनाई गई गुरुपूर्णिमा

स्वानंद बाबा आश्रम में मनाई गई गुरुपूर्णिमा

ठाणे पश्चिम येऊर स्थित परम पूज्य स्वानंद बाबा आश्रम में परम पूज्य स्वानंद बाबा सेवा न्यास की तरफ से गुरुपूर्णिमा का भव्य आयोजन हुआ। इसमें सभी उपस्थितजनों ने स्वानंद बाबा की जयकारा के साथ नमन किया। आयोजित महाभंडारा में श्रद्धालुओं के साथ स्थानिक आदिवासियों ने उपस्थिति दर्ज कर प्रसाद का लाभ लिया।

स्वानंद बाबा आश्रम में हवन से गुरुपूर्णिमा का शुभारंभ हुआ। 108 मानस परिक्रमा के तहत शिवसागर मिश्रा ने 21वां सुंदरकांड का पठन किया। इस मौके पर प्रमुख ट्रस्टी एवं भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ल एवं ट्रस्टी शांति शुक्ला ने सभी उपस्थितजनों का स्वागत किया। इस मौके पर आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली, राकेश पांडे, मंगेलश्वर त्रिपाठी, श्याम शुक्ला, केशव पंडित, अजय सिंह, नागेंद्र शुक्ला, राजकिशोर तिवारी, महेश शर्मा,अमित नारायण, चंद्रकांत दुबे,  पुष्पराज मिश्रा, विपेंद्र पाठक, संतोष पाठक, धीरज मिश्रा, दिनेश पाठक, अमन दुबे, दिलीप सिंह, लतीफ खान, अशफाक खान उपस्थित थे।