महाराष्ट्र राज्य के महिला व बाल विकास कार्य में काम करनेवाली सरकारी और समाजसेवी संस्थाओं में समन्वयता रखने की जिम्मेदारी जिन अधिकारियों पर हैं ऐसे वर्ग 1 और वर्ग 2 की 692 में से 464 यानी 67 प्रतिशत पद रिक्त होने की जानकारी आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली को महिला व बाल विकास आयुक्तालय ने दी हैं। हैरत वाली बात ये हैं कि आयुक्त और सचिव पद एक ही अधिकारी के पास होने से महिला व बाल विकास कार्य का बंटाधार हो चुका हैं।
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने महिला व बाल विकास आयुक्तालय से एकात्मिक बाल विकास सेवा योजना अंतर्गत वर्ग 1 और वर्ग 2 के अधिकारियों की जानकारी मांगी थी। महिला व बाल विकास आयुक्तालय के कार्यालय अधिक्षक ने अनिल गलगली को मंजूर पद, रिक्त पद और कार्यरत पद की जानकारी दी। वर्ग 1 अंतर्गत महिला व बाल विकास अधिकारी, जिलापरिषद के 34 पदों में से 32 पद कार्यरत हैं। वर्ग 1 अंतर्गत बाल विकास योजना अधिकारी, नागरी योजना की 104 में से 71 पद कार्यरत हैं और 33 पद रिक्त हैं। वहीं वर्ग 2 अंतर्गत बाल विकास योजना अधिकारी, ग्रामीण योजना की 554 में से 429 पद रिक्त हैं और सिर्फ 125 पद कार्यरत हैं। रिक्त पद पर नियुक्ती की जिम्मेदारी सरकार की हैं और विनिता वेद सिंघल यह सक्षम प्राधिकारी हैं।
सरकार ने विनिता वेद जो आयुक्त, एकात्मिक बाल विकास योजना पद पर कार्यरत थी उनका तबादला करते हुए संजय कुमार के स्थान पर उस पद को अधिकालिक वेतन श्रेणी में अवनत करते हुए उन्हें सचिव, महिला व बाल विकास पद का कार्यभार दिया। साथ ही में वर्तमान में आयुक्त, एकात्मिक बाल विकास योजना इस पद का भी अतिरिक्त कार्यभार दिया हैं।
महाराष्ट्र सरकार ने जुन 1993 में महिला व बाल विकास विभाग को स्वतंत्र प्रशासकीय विभाग के तौर गठन किया। इस विभाग का प्रमुख उद्देश्य महिला और बालक का जीना, सुरक्षा, विकास और समाज में सहभाग समग्रता से होना चाहिए इसपर ध्यान केंद्रित करना हैं। नीतियां बनाना, कार्यक्रम/ योजना तैयार कराना, विकास योजना को अमलीजामा पहनाना के साथ महिला व बाल विकास कार्य में काम करनेवाली सरकारी और समाजसेवी संस्थांओं में समन्वयता लाने की जिम्म्मेदारी इस विभाग की हैं। 67 प्रतिशत पद रिक्त होने से समन्वयता साध्य करना रही दूर की बात सारा कामकाज कागज पर ही हैं। गत 2 वर्ष के काम की जांच लोकायुक्त स्तर पर की गई तो महिला व बाल विकास विभाग में व्याप्त धांधली और अनियमितता उजागर होगी, ऐसा विश्वास व्यक्त करते हुए अनिल गलगली ने मुख्यमंत्री से जांच की मांग की हैं। रिक्त पदों को तत्काल नहीं भरा गया तो महिला व बाल विकास कार्य में काम करनेवाले सरकारी और समाजसेवी संस्थांओं में समन्वयता साध्य करना मुश्किल होने की चिंता अनिल गलगली ने जताई।
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